नौसेरा सेक्टर में शहीद हुए मेजर चित्रेश बिष्ट को उनके दोस्त और भाई टाइगर कह कर बुलाते थे। बताते हैं कि शहीद बहुत बहादुर और निडर थे।

राजौरी में शनिवार को बारूदी सुरंग डिफ्यूज करते समय शहीद हुए मेजर चित्रेश बिष्ट की अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा। ‘शहीद चित्रेश अमर रहें’ के उद्घोष के साथ नम आंखों से लोगों ने उन्हें आखिरी सलामी दी। शहीद का पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो परिजन फफक पड़े, उन्हें बिलखता देख मौके पर मौजूद सैकड़ों लोगों की आंखें नम हो गईं। इस दौरान लोगों ने ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाकर अपना आक्रोश व्यक्त किया।

चित्रेश बिष्ट का पार्थिव शरीर रविवार रात ही देहरादून पहुंच गया था। सेना की तरफ से सोमवार सुबह साढे़ आठ बजे उनका पार्थिव शरीर घर लाने की जानकारी दी गई थी। सुबह साढ़े छह बजे के करीब सेना और पुलिस की चहलकदमी बढ़ी तो नेहरू कॉलोनी स्थित बिष्ट के आवास पर लोगाें के आने का सिलसिला शुरू हो गया। अंतिम दर्शन को भीड़ जुटने के मद्देनजर पुलिस ने बिष्ट आवास पर आने वाले दोनों रास्तों पर बैरियर लगा दिए थे, ताकि वीआईपी और सैन्य अधिकारियों के अलावा अन्य किसी का वाहन न आ सके। सुबह आठ बजकर 23 मिनट पर सेना के वाहन में शहीद चित्रेश सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचा तो ‘शहीद चित्रेश अमर रहें’ के उद्घोष से पूरा इलाका गूंजने लगा।

सेना के जवान पार्थिव शरीर को लेकर घर के अंदर पहुंचे तो पिता एसएस बिष्ट, मां रेखा बिष्ट, बड़ा भाई नीरज बिष्ट और अन्य परिजन फफक पड़े। मां अपने लाड़ले के अंतिम दर्शन पाने को काफी देर तक तड़पती रहीं। परिजनों के बिलखने की आवाज बाहर जमा लोगों के कानों तक पहुंची तो वो भी अपने आंसु नहीं रोक पाए। इसके बाद तो जन आक्रोश सातवें आसमान पर पहुंच गया।

शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट के पोस्टर हाथों में लेकर आए लोगों ने ‘वंदेमातरम’, ‘चित्रेश अमर रहें’ के साथ ही ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’, ‘शहीदों का बलिदान याद करेगा हिंदुस्तान’, ‘अबकी बार, पाकिस्तान से आर-पार’, ‘शहादत का बदला लेकर रहेंगे’ के नारे लगाने शुरू कर दिए। हजारों आक्रोशित लोगों की भीड़ के बीच पुलिस ने जैसे-तैसे रस्सों की मदद से वीआईपी के लिए रास्ता बनाया।