प्रतिद्वंद्विता और एक-दूसरे का विरोध महज राजनीति में ही नहीं होता है। मठ-मंदिर, आश्रम और अखाड़े भी राजनीति के किले हैं। इनमें गद्दी और संपत्ति ही नहीं बल्कि वजूद की लड़ाई भी है। इसके लिए संत-महंतों में खींचतान, मनभेद और मतभेद चलते आए हैं।
हरिद्वार: ...तो क्या आनंद गिरि के आश्रम में छिपे हैं महंत नरेंद्र गिरि की मौत के राज, कई सेवक हुए फरार
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि से भी कुछ संतों के वैचारिक मतभेद थे। नरेंद्र गिरि के शिष्य संत आनंद गिरि ने गुरु से अलग होने के बाद उनसे नाराज संतों की शरण में पहुंचकर अपनी ताकत बढ़ाई। युवा भारत साधु समाज का अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पहचान का दायरा भी बढ़ा लिया।
श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत और कथित सुसाइड नोट में शिष्य संत आनंद गिरि फंस गए हैं। आनंद गिरि कभी नरेंद्र गिरि के सबसे प्रिय शिष्य थे। प्रयागराज स्थित लेटे हनुमान मंदिर के गद्दी के महंत थे। लेकिन इसी साल मई में गुरु-शिष्य के बीच विवाद और आरोप-प्रयारोप लगे। कुछ दिनों बाद गुरु-शिष्य में सुलह भी हो गई।
लेकिन शिष्य ने गुरु से दूरियां बनाकर हरिद्वार को अपना ठिकाना बना लिया। कांगड़ी गाजीवाला में संत आनंद का आश्रम बन रहा है। आनंद गिरि हरिद्वार के मठ-मंदिर, आश्रम-अखाड़ों की राजनीति से भलीभांति परिचित हैं।
हरिद्वार: ...तो क्या आनंद गिरि के आश्रम में छिपे हैं महंत नरेंद्र गिरि की मौत के राज, कई सेवक हुए फरार
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ब्रह्मलीन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि से भी कुछ संतों के वैचारिक मतभेद थे। नरेंद्र गिरि के शिष्य संत आनंद गिरि ने गुरु से अलग होने के बाद उनसे नाराज संतों की शरण में पहुंचकर अपनी ताकत बढ़ाई। युवा भारत साधु समाज का अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पहचान का दायरा भी बढ़ा लिया।
श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत और कथित सुसाइड नोट में शिष्य संत आनंद गिरि फंस गए हैं। आनंद गिरि कभी नरेंद्र गिरि के सबसे प्रिय शिष्य थे। प्रयागराज स्थित लेटे हनुमान मंदिर के गद्दी के महंत थे। लेकिन इसी साल मई में गुरु-शिष्य के बीच विवाद और आरोप-प्रयारोप लगे। कुछ दिनों बाद गुरु-शिष्य में सुलह भी हो गई।
लेकिन शिष्य ने गुरु से दूरियां बनाकर हरिद्वार को अपना ठिकाना बना लिया। कांगड़ी गाजीवाला में संत आनंद का आश्रम बन रहा है। आनंद गिरि हरिद्वार के मठ-मंदिर, आश्रम-अखाड़ों की राजनीति से भलीभांति परिचित हैं।