जोशीमठ नगर की तलहटी में सेना की आवाजाही सुगम बनाने के लिए बनने वाले 6.50 किमी हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण जबसे शुरू हुआ है तब-तब इस निर्माण पर संकट खड़ा हो गया। पहले बाईपास के निर्माण के कारण जोशीमठ में पर्यटन ठप होने का हवाला देकर इसका काम रुका रहा अब जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद से इसके निर्माण पर पांच जनवरी से रोक लगी हुई है। बाईपास का अब तक एक किमी हिल कटिंग का काम ही हो पाया है।
वर्ष 1988-89 में यूपी सरकार ने सिंचाई विभाग को हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण की स्वीकृति दी थी। तब सड़क कटिंग का काम सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने शुरू किया था लेकिन स्थानीय लोगों ने बाईपास का विरोध शुरू कर दिया। तब लोगों ने तर्क दिया था कि यदि इस बाईपास का निर्माण हो गया तो जोशीमठ में पर्यटन व तीर्थाटन गतिविधियां ठप पड़ जाएंगी।
वर्ष 1991 में रामकिशन सिंह रावत के नेतृत्व में स्थानीय लोग सड़क के विरोध में उच्च न्यायालय इलाहबाद गए और न्यायालय से इस पर रोक लग गई। तब बाईपास का निर्माण ठप पड़ गया था। ऑलवेदर रोड परियोजना कार्य के तहत 2021 में केंद्र सरकार ने फिर से हेलंग बाईपास के निर्माण को हरी झंडी दी।
वर्ष 1988-89 में यूपी सरकार ने सिंचाई विभाग को हेलंग-मारवाड़ी बाईपास निर्माण की स्वीकृति दी थी। तब सड़क कटिंग का काम सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने शुरू किया था लेकिन स्थानीय लोगों ने बाईपास का विरोध शुरू कर दिया। तब लोगों ने तर्क दिया था कि यदि इस बाईपास का निर्माण हो गया तो जोशीमठ में पर्यटन व तीर्थाटन गतिविधियां ठप पड़ जाएंगी।
वर्ष 1991 में रामकिशन सिंह रावत के नेतृत्व में स्थानीय लोग सड़क के विरोध में उच्च न्यायालय इलाहबाद गए और न्यायालय से इस पर रोक लग गई। तब बाईपास का निर्माण ठप पड़ गया था। ऑलवेदर रोड परियोजना कार्य के तहत 2021 में केंद्र सरकार ने फिर से हेलंग बाईपास के निर्माण को हरी झंडी दी।