कानपुर के बहुचर्चित संजीत हत्याकांड से यूपी पुलिस को मिले सबक का ही नतीजा है कि गोंडा के करनैलगंज से अपहृत पांच साल के बच्चे को समय रहते सकुशल बरामद कर लिया गया। कानपुर के संजीत यादव के अपहरण के बाद फिरौती की रकम देने के बाद भी पुलिस उसे बदमाशों के चंगुल से नहीं छुड़ा पाई, लेकिन गोंडा मामले में पुलिस ने अविलंब कार्रवाई करते हुए अपहृत बच्चे को बचा लिया।
मासूम को बचाने के दौरान गोंडा के करनैलगंज में एसटीएफ और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें दो बदमाश गोली लगने से घायल हो गए हैं। एसटीएफ ने मुठभेड़ में चार बदमाशों को गिरफ्तार किया है।
क्या है कानपुर के संजीत हत्याकांड की पूरी कहानी
बीते 22 जून को कानपुर के संजीत यादव का अपहरण हो गया था। परिजनों ने दूसरे दिन राहुल यादव नाम के शख्स के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। दो सप्ताह से अधिक समय तक पूछताछ की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। परिजन लगातार गुहार लगा रहे थे, धरना प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन अफसरों के कान और आंख बंद रहे। नतीजा ये हुआ कि संजीत को मार दिया गया। 22 जून की वारदात 23 जुलाई को यानी एक महीने बाद खुल पाई।
पता चला कि 22 जुलाई को संजीत के दोस्तों ने ही उसका अपहरण किया था, लेकिन उसकी हत्या 26 जुलाई को की गई थी। पुलिस के पास उसे बचाने के लिए चार दिन का वक्त था, लेकिन किसी ने कड़ाई से जांच करने की जहमत नहीं उठाई।
संजीत के हत्यारोपियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने संजीत की हत्या करने के बाद शव को गुजैनी के पास पांडु नदी में ठिकाने लगाया था। इस पर पुलिस ने संजीत का शव बरामद करने के लिए नहर में तलाश शुरू की। 22 घंटे बीतने के बाद भी शव का पता नहीं चल सका।
संजीत अपहरण कांड के पांच आरोपियों को पुलिस ने गुरुवार दोपहर को हिरासत में लिया था। पूछताछ में आरोपियों ने संजीत की हत्या कर शव ठिकाने लगाने की बात भी कबूल कर ली। हालांकि शव अब तक बरामद नहीं हो पाया है।
संजीत अपहरण हत्याकांड में पुलिस की लापरवाही शुरू से ही रही। पुलिस अपहरण को सच मान ही नहीं रही थी। पुलिस को आशंका थी कि संजीत ने खुद अपने अपहरण की साजिश रची या फिर कहीं ऐसे ही चला गया होगा।
पुलिस ने संजीत के करीबियों, दोस्तों तक के बारे में ठीक से जानकारी नहीं जुटाई, न ही सर्विलांस पर कोई नंबर लगाया। अगर ऐसा किया होता तो संजीत के दोस्त यानी आरोपी कुलदीप और ईशू तक पुलिस आसानी से पहुंच जाती।
संजीत से अपहरणकर्ताओं का कनेक्शन
संजीत आरोपी कुलदीप और ईशू से परिचित था। आरोपी रामजी भी उसके साथ काम कर चुका था। अगर पुलिस इनमें से किसी को भी उठाकर पूछताछ करती तो केस काफी पहले ही खुल जाता। संजीत की जान भी बच सकती थी। लेकिन अपहरण जैसी संगीन वारदात लापरवाही में उलझी रही।
हालांकि शुक्रवार को इस मामले में एक आईपीएस अधिकारी समेत 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। संजीत के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने पुलिस की जानकारी में अपहरणकर्ताओं को 30 लाख की फिरौती दी थी, लेकिन फिर भी बेटा नहीं बच सका।
इस घटना के बाद संजीत के परिवारवालों के साथ-साथ पुलिस विभाग के हाथ भी केवल मायूसी लगी है। पुलिस ने इससे सबक लेते हुए शुक्रवार को गोंडा से अपहरण किए गए बच्चे को बचाने के लिए सारा दम-खम लगा दिया।
आखिरकार शनिवार सुबह करनैलगंज में बदमाशों के साथ मुठभेड़ के बाद बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया गया। पुलिस टीम ने चार बदमाशों की गिरफ्तार किया है, जिनमें एक महिला भी शामिल है। अगर इस बार पुलिस कामयाब नहीं होती तो शायद गोंडा में भी संजीत हत्याकांड जैसा मामला बनते देर नहीं लगती।
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के करनैलगंज इलाके के एक पान मसाला व गुटखा व्यवसायी हरि गुप्ता के पांच साल के बेटे नमो का शुक्रवार को बदमाशों ने दिनदहाड़े अपहरण कर लिया था। बदमाशों ने आधे घंटे बाद फोन करके चार करोड़ की फिरौती मांगी।
शुक्रवार दोपहर करनैलगंज नगर के मोहल्ला गाड़ी बाजार में स्थित कस्बा पुलिस चौकी के पीछे कुछ लोग कार से स्वास्थ्य विभाग का परिचय पत्र गले में टांग कर आए। वे जब हरि गुप्ता के घर के सामने पहुंचे तो सैनिटाइजर देने की बात कही। नमो को सैनिटाइजर देने के बहाने कार के पास ले गए और गाड़ी में बैठा कर फरार हो गए।
जिसके बाद इस मामले की जांच के लिए एसटीएफ की टीम लगाई गई। डीजीपी मुख्यालय ने इस मामले पर सीधी नजर रखी। इस मामले में डीजीपी कार्यालय ने गोंडा के पुलिस कप्तान से रिपोर्ट तलब की।
शनिवार की सुबह एसटीएफ की टीम और बदमाशों की मुठभेड़ हुई, जिसमें अपहृत नमो को पुलिस ने सकुशल बरामद कर लिया। टीम ने चार बदमाशों की गिरफ्तार किया है, इनमें एक महिला भी शामिल है।
कानपुर के बहुचर्चित संजीत हत्याकांड से यूपी पुलिस को मिले सबक का ही नतीजा है कि गोंडा के करनैलगंज से अपहृत पांच साल के बच्चे को समय रहते सकुशल बरामद कर लिया गया। कानपुर के संजीत यादव के अपहरण के बाद फिरौती की रकम देने के बाद भी पुलिस उसे बदमाशों के चंगुल से नहीं छुड़ा पाई, लेकिन गोंडा मामले में पुलिस ने अविलंब कार्रवाई करते हुए अपहृत बच्चे को बचा लिया।
मासूम को बचाने के दौरान गोंडा के करनैलगंज में एसटीएफ और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें दो बदमाश गोली लगने से घायल हो गए हैं। एसटीएफ ने मुठभेड़ में चार बदमाशों को गिरफ्तार किया है।
क्या है कानपुर के संजीत हत्याकांड की पूरी कहानी
बीते 22 जून को कानपुर के संजीत यादव का अपहरण हो गया था। परिजनों ने दूसरे दिन राहुल यादव नाम के शख्स के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की। दो सप्ताह से अधिक समय तक पूछताछ की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। परिजन लगातार गुहार लगा रहे थे, धरना प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन अफसरों के कान और आंख बंद रहे। नतीजा ये हुआ कि संजीत को मार दिया गया। 22 जून की वारदात 23 जुलाई को यानी एक महीने बाद खुल पाई।
पता चला कि 22 जुलाई को संजीत के दोस्तों ने ही उसका अपहरण किया था, लेकिन उसकी हत्या 26 जुलाई को की गई थी। पुलिस के पास उसे बचाने के लिए चार दिन का वक्त था, लेकिन किसी ने कड़ाई से जांच करने की जहमत नहीं उठाई।
संजीत के हत्यारोपियों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने संजीत की हत्या करने के बाद शव को गुजैनी के पास पांडु नदी में ठिकाने लगाया था। इस पर पुलिस ने संजीत का शव बरामद करने के लिए नहर में तलाश शुरू की। 22 घंटे बीतने के बाद भी शव का पता नहीं चल सका।
संजीत अपहरण कांड के पांच आरोपियों को पुलिस ने गुरुवार दोपहर को हिरासत में लिया था। पूछताछ में आरोपियों ने संजीत की हत्या कर शव ठिकाने लगाने की बात भी कबूल कर ली। हालांकि शव अब तक बरामद नहीं हो पाया है।