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kainchi dham significance history open after corona lockdown rules for visiting baba neeb karori ashram after lockdown
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भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं कैंची धाम के कपाट, मंदिर परिसर में करना होगा इन नियमों का पालन
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम के कपाट 1 जुलाई, बुधवार से खोल दिए गए हैं
- फोटो : google
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उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम के कपाट 1 जुलाई, बुधवार से खोल दिए गए हैं। भक्तों के लिए 24 मार्च से कैंची धाम के कपाट बंद कर दिए गए थे। एक बार फिर से कपाट खुलने से यहां पर भक्तों का आगमन शुरू हो जाएगा।
कैंची धाम की बहुत मान्यता हैं, यहां पर देश- विदेश से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता है। यहां आने मात्र से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
बाबा नीब करौरी महाराज जी को कैंची धाम से विशेष लगाव था।
बाबा नीब करौरी महाराज जी को हनुमान जी का अवतार माना जाता है
- फोटो : अमर उजाला
बाबा नीब करौरी महाराज जी का धाम
कैंची धाम बाबा नींब करौरी महाराज जी का धाम है। यहां पर बाबा नींब करौरी महाराज कई सालों तक रहे। भक्त बताते हैं कि अभी भी बाबा जी यहां पर दर्शन देते हैं, जबकी नींब करौरी महाराज ने कई साल पहले ही अपने प्राण त्याग दिए थे।
बाबा नीब करौरी महाराज
बाबा नीब करौरी महाराज जी को हनुमान जी का अवतार माना जाता है। कई पुस्तकों में बाबा नींब करौरी महाराज जी के अनेको चमत्कारों का वर्णन भी है। भक्त बताते हैं कि बाबा नीब करौरी महाराज जी को कैंची धाम से विशेष लगाव था।
15 जून को कैंची धाम के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है...
15 जून को कैंची धाम में विशेष भंडारा लगता है
- फोटो : अमर उजाला
15 जून को लगता है भव्य भंडारा
हर साल 15 जून को कैंची धाम में विशेष भंडारा लगता है। 15 जून को कैंची धाम के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाबा नीब करौरी महाराज जी ने 15 जून 1964 को कैंची धाम में हनुमान जी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा की थी। इस दिन देश-विदेश से यहां लोग बाबा के दर्शन करने और पावन प्रसाद को ग्रहण करने आते हैं। इस बार कोरोना वायरस की वजह से यहां पर भव्य भंडारे का आयोजन नहीं किया गया था।
मंदिर परिसर में भक्तों को कुछ नियमों का पालन करना होगा...
कैंची धाम के कपाट 1 जुलाई से भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं
- फोटो : अमर उजाला
दर्शन का समय
कैंची धाम के कपाट 1 जुलाई से भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं। भक्तों के दर्शन के लिए सुबह 9 बजे से 5 बजे तक मंदिर के कपाट खुले रहेंगे। मंदिर में कोरोना वायरस से सुरक्षित रहने के लिए सभी नियमों का पालन किया जाएगा।
मंदिर में प्रवेश के नियम
कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ते जा रहा है, जिस वजह से मंदिर परिसर में भक्तों को कुछ नियमों का पालन करना होगा।
इस समय लाए गए प्रसाद भोग को भक्तों को स्वयं से भगवान को दर्शन कराने के बाद घर को ले जाना होगा...
मंदिर परिसर में मास्क पहनना अनिवार्य होगा
- फोटो : self
मास्क और सैनिटाइज
मंदिर परिसर में मास्क पहनना अनिवार्य होगा। इसके साथ प्रवेश से पहले खुद को सैनिटाइज भी करना होगा।
उचित दूरी बनानी होगी
मंदिर परिसर में उचित दूरी बनानी होगी। मंदिर परिसर में भारत सरकार के द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का पालन किया जाएगा।
एक समय में पांच भक्तों का प्रवेश
एक समय में मंदिर परिसर में सिर्फ पांच भक्तों को प्रवेश की अनुमति होगी।
प्रसाद भोग को स्वयं दर्शन करा कर ले जाएं
इस समय लाए गए प्रसाद भोग को भक्तों को स्वयं से भगवान को दर्शन कराने के बाद घर को ले जाना होगा। आमतौर पर यहां पर मंदिर के पुजारी ही भगवान के लिए लाए गए प्रसाद का भोग लगाते थे, परंतु कोरोना वायरस के चलते इस समय विशेष नियमों का पालन करना होगा।
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