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हजारों साल से भारतीय खाने में आवश्यक रूप से इस्तेमाल होने वाली हल्दी सेहत के लिए भी फायदेमंद है। इसमें कैंसर, डायबिटीज और गठिया जैसी बीमारियों से लड़ने की क्षमता है। अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्टरों ने इस संबंध में दावा किया है। उनका कहना है कि हल्दी में पर्याप्त स्वास्थ्य लाभ और औषधीय गुण हैं, जो उसे कई बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाते हैं।
कार्बनिक यौगिक पदार्थों के स्वास्थ्य लाभों का अध्ययन कर रहे जॉन हॉपकिंस मेडिसिन के सरस्वती सुकुमार की मानें तो हल्दी में मौजूद ‘कुरकुमिन’ भारतीय व्यंजनों को सिर्फ पीला रंग ही नहीं, बल्कि इससे बढ़कर और भी बहुत कुछ प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि हल्दी का भारतीय किचन में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है और पिछले दो दशकों में सैकड़ों अध्ययनों ने निर्धारित किया है कि कुरकुमिन कैंसर के खतरे को कम करने के साथ ही डायबिटीज और गठिया जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर हल्दी का पूरा स्वास्थ्य लाभ लेना है तो गरम तेल में डालकर इसका खाने में इस्तेमाल करना चाहिए।
सरस्वती सुकुमार ने कुछ साल पहले अपने एक सहयोगी के साथ मिलकर कुरकुमिन के पानी में घुलनशील फॉर्म पर काम करना शुरू किया जो एक दवा का रूप भी ले सकता है। फिलहाल प्रयोग की यह प्रक्रिया जारी है।
हजारों साल से भारतीय खाने में आवश्यक रूप से इस्तेमाल होने वाली हल्दी सेहत के लिए भी फायदेमंद है। इसमें कैंसर, डायबिटीज और गठिया जैसी बीमारियों से लड़ने की क्षमता है। अमेरिका में भारतीय मूल के डॉक्टरों ने इस संबंध में दावा किया है। उनका कहना है कि हल्दी में पर्याप्त स्वास्थ्य लाभ और औषधीय गुण हैं, जो उसे कई बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाते हैं।
कार्बनिक यौगिक पदार्थों के स्वास्थ्य लाभों का अध्ययन कर रहे जॉन हॉपकिंस मेडिसिन के सरस्वती सुकुमार की मानें तो हल्दी में मौजूद ‘कुरकुमिन’ भारतीय व्यंजनों को सिर्फ पीला रंग ही नहीं, बल्कि इससे बढ़कर और भी बहुत कुछ प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि हल्दी का भारतीय किचन में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है और पिछले दो दशकों में सैकड़ों अध्ययनों ने निर्धारित किया है कि कुरकुमिन कैंसर के खतरे को कम करने के साथ ही डायबिटीज और गठिया जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर हल्दी का पूरा स्वास्थ्य लाभ लेना है तो गरम तेल में डालकर इसका खाने में इस्तेमाल करना चाहिए।
सरस्वती सुकुमार ने कुछ साल पहले अपने एक सहयोगी के साथ मिलकर कुरकुमिन के पानी में घुलनशील फॉर्म पर काम करना शुरू किया जो एक दवा का रूप भी ले सकता है। फिलहाल प्रयोग की यह प्रक्रिया जारी है।