पीडीपी और भाजपा के बीच बीते दिनों कई मामलों को लेकर तनातनी का माहौल रहा। इन तनातनी की खबरों के बीच रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव ने श्रीनगर में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से मुलाकात की। इस मुलाकात में गठबंधन सरकार के दोनों दलों के बीच उत्पन्न गिले-शिकवों को दूर करने की कोशिश की गई।
लगभग आधे घंटे तक चली बातचीत में घाटी में कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार, एजेंडा आफ एलायंस के प्रभावी क्रियान्वयन तथा बयानबाजी को लेकर उत्पन्न गिले-शिकवे दूर करने की कोशिश की गई।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ दो दिवसीय दौरे पर आए राम माधव रविवार को अचानक महबूबा मुफ्ती से मिलने श्रीनगर पहुंच गए। मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में दोनों के बीच बंद कमरे में बात हुई। मुलाकात के बाद निकले राम माधव ने मीडिया से बात नहीं की और न ही पीडीपी ने इसके बारे में कोई अधिकृत जानकारी दी।
सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच बातचीत में घाटी के हालात पर चिंता जताई गई। साथ ही शांति बहाली के लिए माहौल तैयार करने पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री से पिछले दिनों मुख्यमंत्री की हुई मुलाकात में यह साफ संदेश दिया गया था कि पहले घाटी में माहौल बनाया जाए, इसके बाद सभी पक्षकारों से बातचीत की पहल की जाएगी। इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर साफ किया कि अलगाववादियों से किसी भी कीमत पर बात नहीं होगी।
माना जा रहा है कि दोनों के बीच मुलाकात में इस मुद्दे पर भी बात हुई है। यह साफ संदेश दिया गया कि केंद्र सरकार घाटी में शांति बहाली के लिए सभी प्रयास करने को तैयार है। साथ ही अलगाववादियों को छोड़कर सबसे बातचीत को भी तैयार है, लेकिन पहले कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार लाकर माहौल बनाने की जरूरत है।
राम माधव की महबूबा से मुलाकात के बाद चर्चाओं को बल मिला है। कयासबाजी की जा रही है कि रियासत में राज्यपाल शासन लग सकता है।
पीडीपी-भाजपा के बीच हाल के दिनों में बयानबाजी से उत्पन्न तनाव, घाटी में लगातार गिर रही कानून व्यवस्था की स्थिति से राज्यपाल शासन की चर्चाओं और राज्यपाल के दिल्ली जाने के बीच श्रीनगर में मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अलगाववादियों पर साधा निशाना
फेसबुक पर शनिवार को लिखी एक पोस्ट में राम माधव ने लिखा कि मोदी सरकार कश्मीर के अलगाववादियों के साथ कोई बातचीत नहीं करेगी। घाटी के अलगाववादी नेताओं की मंशा पर निशाना साधते हुए लिखा कि अलगाववादी चाहते हैं कि कश्मीर घाटी में हर रोज एक लाश उठे, जिससे कि वे उन लाशों पर जज्बातों की राजनीति कर सकें।
कश्मीर के मुद्दे पर सरकार का रुख बिल्कुल स्पष्ट है कि आतंक और उसके प्रायोजक लोगों से पूरी सख्ती से निपटा जाए। इसके साथ ही कश्मीर घाटी में राह से भटके युवाओं पर भी दृढ़ता दिखाएं, जिससे कि कश्मीर में हिंसा को रोका जा सके। अलगाववादी नेता कश्मीरियों को हिंसा की राजनीति में बलि का बकरा बना रहे हैं।
पीडीपी और भाजपा के बीच बीते दिनों कई मामलों को लेकर तनातनी का माहौल रहा। इन तनातनी की खबरों के बीच रविवार को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राममाधव ने श्रीनगर में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से मुलाकात की। इस मुलाकात में गठबंधन सरकार के दोनों दलों के बीच उत्पन्न गिले-शिकवों को दूर करने की कोशिश की गई।
लगभग आधे घंटे तक चली बातचीत में घाटी में कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार, एजेंडा आफ एलायंस के प्रभावी क्रियान्वयन तथा बयानबाजी को लेकर उत्पन्न गिले-शिकवे दूर करने की कोशिश की गई।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ दो दिवसीय दौरे पर आए राम माधव रविवार को अचानक महबूबा मुफ्ती से मिलने श्रीनगर पहुंच गए। मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में दोनों के बीच बंद कमरे में बात हुई। मुलाकात के बाद निकले राम माधव ने मीडिया से बात नहीं की और न ही पीडीपी ने इसके बारे में कोई अधिकृत जानकारी दी।
सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच बातचीत में घाटी के हालात पर चिंता जताई गई। साथ ही शांति बहाली के लिए माहौल तैयार करने पर जोर दिया गया। प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री से पिछले दिनों मुख्यमंत्री की हुई मुलाकात में यह साफ संदेश दिया गया था कि पहले घाटी में माहौल बनाया जाए, इसके बाद सभी पक्षकारों से बातचीत की पहल की जाएगी। इस बीच केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर साफ किया कि अलगाववादियों से किसी भी कीमत पर बात नहीं होगी।
माना जा रहा है कि दोनों के बीच मुलाकात में इस मुद्दे पर भी बात हुई है। यह साफ संदेश दिया गया कि केंद्र सरकार घाटी में शांति बहाली के लिए सभी प्रयास करने को तैयार है। साथ ही अलगाववादियों को छोड़कर सबसे बातचीत को भी तैयार है, लेकिन पहले कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार लाकर माहौल बनाने की जरूरत है।