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Vijay Diwas: father Lt Gen AN Aul and son Colonel Amit Aul pair fought Kargil conflict together
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कारगिल युद्ध: बाप-बेटे की इस जोड़ी के अदम्य साहस और वीरता ने नाकाम किए थे दुश्मनों के मंसूबे
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, द्रास
Published by: Sneha Baluni
Updated Fri, 26 Jul 2019 01:37 PM IST
लेफ्टिनेंट एएम ऑल (सेवानिवृत्त) और कर्नल अमित ऑल
- फोटो : Indian Army Twitter
आज कारगिल युद्ध को 20 साल पूरे हो गए हैं। आज ही के दिन 26 जुलाई 1999 को भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह से हराकर कारगिल युद्ध में अपनी विजय पताका लहराई थी। हर साल इस दिन को विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है। यह युद्ध करीब दो महीने तक चला था जिसमें भारतीय सेना ने साहस और जाबांजी का ऐसा उदाहरण पेश किया था जिसपर सभी देशवासियों को गर्व है। इस युद्ध में हिस्सा लेने वाले सैनिकों के जहन में आज भी इसकी यादें ताजा हैं।
इसी बीच आज हम आपको एक ऐसे पिता और बेटे की कहानी बताते हैं जिन्होंने कारगिल युद्ध को न केवल साथ में लड़ा था बल्कि गैलेंट्री अवॉर्ड भी प्राप्त किया था। इस पिता-पुत्र की जोड़ी का नाम लेफ्टिनेंट एएम ऑल और कर्नल अमित ऑल है। वह शायद अकेले ऐसे कमांडर हैं जिन्होंने अपने बेटे के साथ युद्ध में हिस्सा लिया था। गुरुवार को दोनों एक बार फिर से अपनी यादों को ताजा करने के लिए द्रास के लामोचान पहुंचे।
लेफ्टिनेंट जनरल ऑल युद्ध के दौरान 56 माउंटेन ब्रिगेड के कमांडर थे। जिसने रणनीतिक टाइगर हिल पर कब्जा किया था। वह वेस्टर्न कमांड के चीफ ऑफ स्टाफ के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। लेफ्टिनेंट जनरल ऑल (तत्कालीन ब्रिगेडियर) 56-माउंटेन ब्रिगेड का नितृत्व कर रहे थे जिसने तोलोलिंग और टाइगर हिल पर कब्जा किया था और अमित (तत्कालीन 3/3 गोरखा राइफल्स के सेकेंड लेफ्टिनेंट) मारपो ला क्षेत्र से ऑपरेट कर रहे थे। दोनों को युद्ध में अदम्य साहस और वीरता दिखाने के लिए गैलेंट्री अवॉर्ड प्रदान किए गए थे।
जनरल ऑल को उत्तम युद्ध सेवा मेडल और अमित को सेना मेडल मिला था। अमित ने कहा, 'मेरे पिता ने मुझे सलाह दी थी कि मां को सबकुछ न बताउं। तुम एक सिपाही हो जिसका काम युद्ध करना है।' उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान उनकी अपने पिता से बातचीत नहीं हुई और दोनों युद्ध खत्म होने के बाद लगभग दो महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद मिले। अमित ने कहा, 'मैंने अपना आखिरी खत तक यूनिट को भेज दिया था।'
यदि युद्धक्षेत्र में सैनिक शहीद हो जाता है तो इन पत्रों को उसके परिवार तक पहुंचा दिया जाता है। जनरल ऑल से जब अपने इकलौते बेटे के बारे में जारी चिंता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'संघर्ष में ऐसी कोई चिंता नहीं होती है। वह एक सैनिक है और आदेशों का पालन कर रहा था। जैसी कि एक सैनिक से अपेक्षा की जाती है। मुझे गर्व है कि उसने साहस से युद्ध लड़ा और इसके लिए उसे अवॉर्ड भी मिला।'
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