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Morbi bridge collapse Gujarat court rejects regular bail plea of Oreva Group MD Jaysukh Patel
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मोरबी पुल हादसा: ओरेवा समूह के जयसुख पटेल की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा- घटना के लिए आप भी जिम्मेदार
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अहमदबाद
Published by: निर्मल कांत
Updated Sat, 01 Apr 2023 11:10 PM IST
जिला एव सत्र न्यायाधीश पीसी जोशी ने जयसुख पटेल की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आपने उन घटनाक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाई थी, जिनके कारण यह हादसा हुआ।
गुजरात की एक अदालत ने मोरबी शहर में पिछले साल झूला पुल के ढहने के मामले में ओरेवा समूह के प्रंबंध निदेशक जयसुख पटेल की नियमित जमानत याचिका शनिवार को खारिज कर दी। ओरेवा समूह ब्रिटिश काल में बने इस पुल के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार था। पुल पिछले साल 30 अक्तूबर को ढह गया था जिसमें 135 लोग की मौत हो गई थी, जबकि 56 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
जिला एव सत्र न्यायाधीश पीसी जोशी ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि पटेल ने उन घटनाक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाई थी, जिनके कारण यह हादसा हुआ। पीड़ितों के वकील एनआर जडेजा ने मीडिया को बताया कि अदालत ने कहा कि ओरेवा समूह ने पुल नवीनीकरण कार्य को एक ऐसी कंपनी को सौंप दिया था, जिसके पास जरूरी तकनीकी जानकारी नहीं थी और ढांचे को जनता के लिए खोलने से पहले कोई परीक्षण या विशेषज्ञों से सलाह नहीं ली गई थी।
राज्य सरकार और पीड़ितों के परिजनों ने पटेल की जमानत याचिका का विरोध किया था। इससे पहले अदालत द्वारा उनकी अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी, जिसके कुछ सप्ताह बाद यह याचिका दायर की गई थी।
मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दायर आरोपपत्र में पटेल को मुख्य आरोपी के रूप में दिखाया गया है। अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं पहले इसी अदालत ने खारिज कर दी थीं। एसआईटी ने 10 मार्च को पटेल के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दायर किया था और उसके बाद मामले को उनके तथा नौ अन्य आरोपियों के खिलाफ सुनवाई के लिए सत्र अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था।
एसआईटी ने 27 जनवरी को इस मामले में पहले गिरफ्तार किए गए नौ आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। पटेल को उस समय भगोड़े के रूप में दिखाया गया था। बाद में उसने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया और 31 जनवरी को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
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आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 336 (मानव जीवन को खतरे में डालने वाला कार्य), 337 (कोई लापरवाही या लापरवाही से किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाना) और 338 (लापरवाही से कार्य करके गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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