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ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान: अब बॉयलर पर नहीं चलेंगी फैक्टरियां, प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए जारी किए आदेश

संवाद न्यूज एजेंसी, सोनीपत (हरियाणा) Published by: भूपेंद्र सिंह Updated Fri, 30 Sep 2022 11:03 PM IST
सार

ग्रेप ने बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए आदेश जारी किए थे। अधिकारियों ने कहा कि बॉयलर चलाने के लिए उद्योगपति बायोमास फ्यूल का इस्तेमाल कर सकते हैं। डीजल जेनरेटर बंद होने से राई व कुंडली में साढ़े तीन हजार फैक्टरियों पर भी आ गई है। उद्योगपतियों की चिंता बढ़ी है।

राई औद्योगिक क्षेत्र।
राई औद्योगिक क्षेत्र। - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

विस्तार

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से रोकने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देश पर एक अक्तूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू किया जा रहा है। ऐसे में सोनीपत जिले में अब बॉयलर से चलने वाली फैक्टरी बंद कर दी जाएगी। जिससे जिले में कुल 625 में से करीब 425 पर संकट गहरा गया है।



अन्य कंपनी औद्योगिक क्षेत्र से बाहर होने के चलते उन्हें 31 दिसंबर तक मोहलत दी गई है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि बॉयलर चलाने के लिए उद्योगपति बायोमास फ्यूल का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं ग्रेप में जेनरेटर पर भी संकट रहेगा। ऐसे में कुंडली व राई में पहले ही बिजली संकट झेल रहे उद्योगपतियों की मुसीबत बढ़ जाएगी। 


दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण कम करने के लिए सर्दियों में लागू होने वाला ग्रेप सिस्टम इस बार 15 दिन पहले एक अक्तूबर से ही लागू किया जा रहा है। ठंड का मौसम आते ही एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 400 तक पहुंच जाता है। दीपावली में यह स्तर 500 से भी ऊपर पहुंच जाता है।

इस कारण हृदय, दमा रोगियों को सर्वाधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) प्रतिवर्ष 15 अक्तूबर से ग्रेप सिस्टम लागू करता है, लेकिन इस बार सभी विभागों को 15 दिन पहले ही प्रदूषण नियंत्रण पर काम करने के लिए निर्देश दिए गए हैं।

ऐसे में जिले में बॉयलर से चलने वाली करीब 425 फैक्टरी पर संकट गहरा गया है। इसमें सबसे अधिक रबड़ व रंगाई की फैक्टरी भी हैं। इनमें बॉयलर का ही प्रयोग होता है। औद्योगिक क्षेत्र के अंदर स्थित सभी बॉयलर फैक्टरी बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। हालांकि औद्योगिक क्षेत्र के बाहर स्थित फैक्टरियों को अभी 31 दिसंबर तक राहत दी गई है। उसके बाद उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। 

वहीं फिजिशियन, सामान्य अस्पताल डॉ. शैलेंद्र राणा का कहना है कि जेनरेटर से निकलने वाले धुएं से दूषित हवा में मौजूद सल्फर डाई ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढऩे के कारण सांस लेने में तकलीफ, खांसी, दमा, जल्दी थकावट होने की शिकायत हो जाती है। खासकर जो लंबे समय तक इसके आसपास रहते है।
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वहीं क्षेत्रीय अधिकारी, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नवीन गुलिया का कहना है कि ग्रेप के नियमों को लागू कराया जाएगा। बॉयलर के उद्योग अब बायोमास ईंधन से ही चलाए जा सकेंगे। नियमों की अवहेलना करने वालों पर कार्रवाई होगी। बायोमास ईंधन में लकड़ी का गुटका, पराली, राइस हस्क समेत सभी एग्रो वेस्ट प्रयोग किए जा सकते हैं।

वहीं चेयरमैन, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पी राघवेंद्र राव का कहना है कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग व ग्रेप के नियमों की पालना कराई जाएगी। इसके लिए जिला उपायुक्त व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को आदेश जारी कर दिए गए हैं। 

राई व कुंडली में पहले ही उद्योग बिजली संकट झेल रहे हैं। ऐसे में अगर जेनरेटर बंद करने की नौबत आई तो हम फैक्टरी नहीं चला पाएंगे। ऐसी सूरत में तो फैक्टरी को बंद ही करना पड़ेगा। राई औद्योगिक क्षेत्र में 30 से अधिक फैक्टरी बॉयलर पर निर्भर हैं। वह तो बंद ही हो जाएंगी। सरकार को उद्योगपतियों की समस्याओं पर भी ध्यान देना चाहिए। उनकी न प्रशासन सुनवाई कर रहा और न सरकार। ऐसे में उनके लिए खुद का बचाव कर पाना मुश्किल हो जाएगा। -राकेश देवगन उद्योगपति एवं प्रधान, राई इंडस्ट्रियल एरिया मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन 

डेढ़ सौ से अधिक फैक्टरी पर संकट गहराया
उद्योगपति एवं पदाधिकारी, कुंडली औद्योगिक एसोसिएशन सुभाष गुप्ता का कहना है कि ग्रेप लागू होने से पहले ही बिजली संकट से जूझ रहे उद्योग बंद करने की हालत में आ जाएंगे। अभी बताया गया है कि 300 एक्यूआई होने के बाद जेनरेटर बंद कराए जाएंगे। हालांकि बॉयलर से कंपनी नहीं चल पाएंगे। ऐसे में कुंडली में करीब डेढ़ सौ से अधिक फैक्टरी पर संकट गहरा गया है। पीएनजी से बॉयलर चलाने की बात कही जा रही है, लेकिन यहां इसका उलट है। उद्योगपतियों को आठ पहले पीएनजी कनेक्शन लेने को किए गए आवेदन अटके पड़े हैं। कनेक्शन देने वाली कंपनी के पास सामान तक नहीं है। सर्वे तक नहीं कराया जाता। अब जल्द ही दीपावली के पटाखे, पराली काधुआं आ जाएगा। इससे एक्यूआई तेजी से बढ़ेगा। सरकार को पहले स्थाई प्रबंध करने चाहिए।  

आज से कई फैक्टरी बंद हो जाएंगी। जिससे आर्थिक नुकसान होगा। पहले ही मंदी का दौर चल रहा है और सरकार ऊपर से बॉयलर की फैक्टरी बंद करने के आदेश दिए हैं। बायोमास फ्यूल का प्रबंध कर सभी के लिए उद्योग चलाना मुमकिन नहीं है। - उद्योगपति एवं प्रधान, बड़ी इंडस्ट्रियल मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन अमित गोयल 

पहले ही उद्योगपति कर्ज के तले दबे हैं
उद्योगपति एवं प्रधान, बड़ी औद्योगिक वेलफेयर एसोसिएशन कर्ण सिंह चहल का कहना है कि पहले ही उद्योगपति बैंक के कर्ज तले दबे हुए हैं। सरकार को उद्योगपतियों को राहत देते हुए समय देना चाहिए। पीएनजी लगाने से उद्योगपतियों पर अतिरिक्त भार बढ़ेगा। सभी उद्योगपति पीएनजी लगवाने में समर्थ भी नहीं है। सरकार को समय देना चाहिए ताकि उद्योगपति अपना इंतजाम कर सकें। सरकार की यह नीति उद्योगपतियों के खिलाफ है। सरकार को उद्योगपतियों की तरफ देखते हुए फैसला लेना चाहिए। 

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