नसीब सैनी, अमर उजाला, कैथल (हरियाणा)
Updated Thu, 14 Jan 2021 03:30 PM IST
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पराली से खुशहाली के लक्ष्य के तहत कैथल में पराली से सीएनजी बनाकर उपयोगी कच्चे माल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए कैथल में जिला प्रशासन द्वारा प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। इसमें ब्लॉक अनुसार छोटी यूनिट और जिलास्तर पर बड़ी यूनिट का गठन होगा। जहां किसानों से पराली लेकर सीएनजी पैदा की जाएगी। जिलास्तरीय प्लांट के लिए जगह की तलाश की जा रही है। वहीं संबंधित फर्मों व किसानों से एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन) गठित करने के लिए प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है।
जिले में अभी तक कंबाइन से कटाई के बाद बचे अवशेष को किसानों द्वारा आग लगाकर नष्ट किया जाता था। पिछले दो सालों में प्रशासन ने कस्टम हायरिंग सेंटर बनवाकर किसानों से पराली प्रबंधन करवाया है। लेकिन इसमें किसानों का प्रति एकड़ खर्च करीब 2500 से 4000 रुपये तक आया है। ऐसे में किसानों को इससे ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया।
अब नए प्रोजेक्ट में प्रशासन द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि उन्हें खर्च के बजाय प्रति क्विंटल 200 से 300 रुपये तक की आमदनी हो जाए। इस तरह से पराली उनके लिए परेशानी का नहीं, बल्कि आय का साधन होगा। इससे प्रति एकड़ आठ से दस हजार रुपये किसान को आमदनी होगी। जिले में एक लाख 15 हजार हेक्टेयर के लगभग एरिया में धान का उत्पादन होता है। इसमें बासमती ग्रुप को छोड़कर शेष की पराली को कंबाइन से कटवाने के बाद फानों को आग लगाकर नष्ट किया जाता था।
पहले ही 10 हजार लोगों के लिए रोजगार का साधन है पराली
कैथल में इससे पहले ही जिले में पराली को खरीद कर राजस्थान व गुजरात तक भेजने का व्यापार जोरों पर चल रहा है। गुजरात व कैथल के व्यापारी इस पराली को सीजन में एकत्रित करते हैं और चारे सहित गत्ता फैक्ट्रियों और अन्य उपयोग के लिए साल भर बेचते रहते हैं। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर इस क्षेत्र में करीब दस हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
जिले में 70 एफपीओ बनेंगे
मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी पंखुड़ी गुप्ता के अनुसार एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। जिसमें सभी ब्लॉकों में यूनिट लगाई जाएंगी जिसे रॉग वैल कहा जाता है। यहां से क्रूड ऑयल तैयार करके जिलास्तरीय रिफाइनरी में लाया जाएगा। यहां उससे सीएनजी बनाई जाएगी। इसके लिए पूरे जिले में अलग-अलग 70 एफपीओ बनाए जा रहे हैं। एफपीओ के माध्यम से ही पराली की खरीद की जाएगी। जिसमें कृभको की मदद से किसानों की अन्य तकनीकी मदद भी की जाएगी।
पराली से खुशहाली के लक्ष्य के तहत कैथल में पराली से सीएनजी बनाकर उपयोगी कच्चे माल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए कैथल में जिला प्रशासन द्वारा प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा है। इसमें ब्लॉक अनुसार छोटी यूनिट और जिलास्तर पर बड़ी यूनिट का गठन होगा। जहां किसानों से पराली लेकर सीएनजी पैदा की जाएगी। जिलास्तरीय प्लांट के लिए जगह की तलाश की जा रही है। वहीं संबंधित फर्मों व किसानों से एफपीओ (फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन) गठित करने के लिए प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है।
जिले में अभी तक कंबाइन से कटाई के बाद बचे अवशेष को किसानों द्वारा आग लगाकर नष्ट किया जाता था। पिछले दो सालों में प्रशासन ने कस्टम हायरिंग सेंटर बनवाकर किसानों से पराली प्रबंधन करवाया है। लेकिन इसमें किसानों का प्रति एकड़ खर्च करीब 2500 से 4000 रुपये तक आया है। ऐसे में किसानों को इससे ज्यादा लाभ नहीं मिल पाया।
अब नए प्रोजेक्ट में प्रशासन द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि उन्हें खर्च के बजाय प्रति क्विंटल 200 से 300 रुपये तक की आमदनी हो जाए। इस तरह से पराली उनके लिए परेशानी का नहीं, बल्कि आय का साधन होगा। इससे प्रति एकड़ आठ से दस हजार रुपये किसान को आमदनी होगी। जिले में एक लाख 15 हजार हेक्टेयर के लगभग एरिया में धान का उत्पादन होता है। इसमें बासमती ग्रुप को छोड़कर शेष की पराली को कंबाइन से कटवाने के बाद फानों को आग लगाकर नष्ट किया जाता था।
पहले ही 10 हजार लोगों के लिए रोजगार का साधन है पराली
कैथल में इससे पहले ही जिले में पराली को खरीद कर राजस्थान व गुजरात तक भेजने का व्यापार जोरों पर चल रहा है। गुजरात व कैथल के व्यापारी इस पराली को सीजन में एकत्रित करते हैं और चारे सहित गत्ता फैक्ट्रियों और अन्य उपयोग के लिए साल भर बेचते रहते हैं। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर इस क्षेत्र में करीब दस हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
जिले में 70 एफपीओ बनेंगे
मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी पंखुड़ी गुप्ता के अनुसार एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। जिसमें सभी ब्लॉकों में यूनिट लगाई जाएंगी जिसे रॉग वैल कहा जाता है। यहां से क्रूड ऑयल तैयार करके जिलास्तरीय रिफाइनरी में लाया जाएगा। यहां उससे सीएनजी बनाई जाएगी। इसके लिए पूरे जिले में अलग-अलग 70 एफपीओ बनाए जा रहे हैं। एफपीओ के माध्यम से ही पराली की खरीद की जाएगी। जिसमें कृभको की मदद से किसानों की अन्य तकनीकी मदद भी की जाएगी।
नए साल में जिला प्रशासन का इस बात पर जोर रहेगा कि पराली का उचित प्रबंधन हो। इसके लिए किसानों के एफपीओ बनाए जाएंगे। इसके बाद पराली से अन्य उपयोगी उत्पाद तैयार किए जाएंगे ताकि पराली से किसानों या पर्यावरण को नुकसान होने के बजाय खशहाली आए। किसानों की आय में बढ़ोतरी हो। - सुजान सिंह यादव, डीसी, कैथल।