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सर्वखाप पंचायत का कहना है कि साइंस के अनुसार नजदीकी रिश्तों में विवाह करने पर संतान कमजोर पैदा होती है। वंशानुगत बीमारियां चलती रहती हैं। यहीं कारण है कि पूर्वज शादी के लिए तीन से पांच गोत्र छोड़कर शादी करते थे। लेकिन आज पुरानी परंपराओं से चल रहे समाज को कानून गलत ठहराने लगा है।
रोहतक के सेक्टर-दो स्थित सीनियर सिटीजन क्लब में सोमवार को सर्वजातीय सर्वखाप पंचायत में पदाधिकारियों ने यह बात रखी। सर्वखाप पंचायत ने पूर्व जनरल डीपी वत्स को हरियाणा सर्वखाप महापंचायत का संयोजक नियुक्त किया।
युवाओं को शिक्षित करने की जरूरत
डीपी वत्स के नेतृत्व में ही सर्वखाप पंचायत सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी। सोमवार को इसी मुद्दे को लेकर सर्वखाप पदाधिकारियों ने विचार विमर्श किया। पंचायत में एक दर्जन से अधिक सर्वखाप के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। जनरल वत्स ने कहा कि इन ब्रीडिंग के कारण बीमारियां जन्म लेती हैं। जिसके कारण क्रास ब्रीडिंग को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को शिक्षित करने की जरूरत है।
खाप पंचायतों की छवि गलत ढंग से पेश की
उन्होंने कहा कि जेनेटिक्स साइंस के अनुसार नजदीकी रिश्तों में ब्रीडिंग करने से संक्रमण फैलता है। इसलिए शताब्दियों से गोत्र सिस्टम चलते आ रहे हैं। इसलिए एक गोत्र में शादी से जहां बीमारियां फैलने का डर रहता है, वहीं सामाजिक भाईचारा भी बिगड़ता है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में खाप पंचायतों की छवि को एक एनजीओ ने गलत ढंग से तरोड़-मरोड़ कर पेश कर दिया।
हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन की मांग
संयोजक डीपी वत्स ने कहा कि अंतरजातीय विवाह के विरोध में हमारे रीति रिवाज नहीं है। खाप पंचायतें भी समाज को इसकी इजाजत देती हैं। ऑनर किलिंग, तालिबानी की संज्ञा खाप पंचायतों को दी जाती है, जो निराधार है। हिंदू विवाह अधिनियम में भी संशोधन किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि खाप पंचायतों के बेहतर कार्यों को सुप्रीम कोर्ट में 18 फरवरी को प्रस्तुत करने के लिए दो फरवरी को दिल्ली के केशवपुरम धर्मशाला में सर्वजातीय सर्व खाप पंचायत का आयोजन किया जाएगा। जिसमें उत्तरप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा की सर्वजातीय सर्व खाप पंचायतें हिस्सा लेंगी। इस पंचायत में सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने के लिए कोर्डिनेटर तय किया जाएगा ताकि खाप पंचायतों का पक्ष मजबूती के साथ सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया जा सके।
सर्वखाप पंचायत का कहना है कि साइंस के अनुसार नजदीकी रिश्तों में विवाह करने पर संतान कमजोर पैदा होती है। वंशानुगत बीमारियां चलती रहती हैं। यहीं कारण है कि पूर्वज शादी के लिए तीन से पांच गोत्र छोड़कर शादी करते थे। लेकिन आज पुरानी परंपराओं से चल रहे समाज को कानून गलत ठहराने लगा है।
रोहतक के सेक्टर-दो स्थित सीनियर सिटीजन क्लब में सोमवार को सर्वजातीय सर्वखाप पंचायत में पदाधिकारियों ने यह बात रखी। सर्वखाप पंचायत ने पूर्व जनरल डीपी वत्स को हरियाणा सर्वखाप महापंचायत का संयोजक नियुक्त किया।
युवाओं को शिक्षित करने की जरूरत
डीपी वत्स के नेतृत्व में ही सर्वखाप पंचायत सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगी। सोमवार को इसी मुद्दे को लेकर सर्वखाप पदाधिकारियों ने विचार विमर्श किया। पंचायत में एक दर्जन से अधिक सर्वखाप के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया। जनरल वत्स ने कहा कि इन ब्रीडिंग के कारण बीमारियां जन्म लेती हैं। जिसके कारण क्रास ब्रीडिंग को बढ़ावा देने के लिए युवाओं को शिक्षित करने की जरूरत है।
खाप पंचायतों की छवि गलत ढंग से पेश की
उन्होंने कहा कि जेनेटिक्स साइंस के अनुसार नजदीकी रिश्तों में ब्रीडिंग करने से संक्रमण फैलता है। इसलिए शताब्दियों से गोत्र सिस्टम चलते आ रहे हैं। इसलिए एक गोत्र में शादी से जहां बीमारियां फैलने का डर रहता है, वहीं सामाजिक भाईचारा भी बिगड़ता है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट में खाप पंचायतों की छवि को एक एनजीओ ने गलत ढंग से तरोड़-मरोड़ कर पेश कर दिया।
हिंदू विवाह अधिनियम में संशोधन की मांग
संयोजक डीपी वत्स ने कहा कि अंतरजातीय विवाह के विरोध में हमारे रीति रिवाज नहीं है। खाप पंचायतें भी समाज को इसकी इजाजत देती हैं। ऑनर किलिंग, तालिबानी की संज्ञा खाप पंचायतों को दी जाती है, जो निराधार है। हिंदू विवाह अधिनियम में भी संशोधन किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि खाप पंचायतों के बेहतर कार्यों को सुप्रीम कोर्ट में 18 फरवरी को प्रस्तुत करने के लिए दो फरवरी को दिल्ली के केशवपुरम धर्मशाला में सर्वजातीय सर्व खाप पंचायत का आयोजन किया जाएगा। जिसमें उत्तरप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा की सर्वजातीय सर्व खाप पंचायतें हिस्सा लेंगी। इस पंचायत में सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखने के लिए कोर्डिनेटर तय किया जाएगा ताकि खाप पंचायतों का पक्ष मजबूती के साथ सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया जा सके।