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दिशा की जमानत पर फैसला मंगलवार को, कहा- किसानों के मुद्दे उठाना अगर देशद्रोह तो जेल में ही ठीक हूं

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: प्राची प्रियम Updated Sun, 21 Feb 2021 06:24 AM IST
Toolkit case update delhi patiala house court hears bail plea of Disha Ravi
दिशा रवि - फोटो : अमर उजाला

जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि खालिस्तान समर्थकों के साथ मिलकर टूलकिट तैयार कर रही थी। इतना ही नहीं वह भारत को बदनाम करने और किसानों के प्रदर्शन की आड़ में देश में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश का हिस्सा थी। दिल्ली पुलिस ने अदालत के समक्ष दिशा की जमानत अर्जी पर आपत्ति जताते हुए यह तर्क रखा।



वहीं बचाव पक्ष ने पुलिस के तर्को को खारिज करते हुए कहा कि दिशा को फर्जी मामले में फंसाया जा रहा है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत अर्जी पर फैसला मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया।


पुलिस ने जमानत पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह गंभीर मामला है। यह महज एक टूलकिट नहीं है। असली मंसूबा भारत को बदनाम करने और देश में अशांति पैदा करने का था। दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि रवि ने व्हाट्सएप पर हुई बातचीत (चैट), ईमेल और अन्य साक्ष्य मिटा दिए तथा वह इस बात से अवगत थी कि उसे किस तरह की कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।



किसानों के प्रदर्शन की आड़ में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश
पुलिस ने अदालत के समक्ष दलील दी कि यदि दिशा ने कोई गलत काम नहीं किया था, तो उसने अपने ट्रैक (संदेशों) को क्यों छिपाया और साक्ष्य मिटा दिया। पुलिस ने आरोप लगाया कि इससे उसका नापाक मंसूबा जाहिर होता है। दिल्ली पुलिस ने यह भी आरोप लगाया कि दिशा भारत को बदनाम करने, किसानों के प्रदर्शन की आड़ में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश के भारतीय चैप्टर का हिस्सा थी। वह टूलकिट तैयार करने और उसे साझा करने को लेकर खालिस्तान समर्थकों के संपर्क में थी।

टूलकिट के पीछे नापाक मंसूबा 
पुलिस ने अदालत से कहा कि दिशा के रवैये से प्रदर्शित होता है कि इस टूलकिट के पीछे एक नापाक मंसूबा था। ‘टूलकिट’ ऐसा दस्तावेज होता है, जिसमें किसी मुद्दे की जानकारी देने के लिए और उससे जुड़े कदम उठाने के लिए विस्तृत सुझाव दिए होते हैं। आमतौर पर किसी बड़े अभियान या आंदोलन के दौरान उसमें हिस्सा लेने वाले लोगों को इसमें दिशा-निर्देश दिए जाते हैं। इसका उद्देश्य किसी खास वर्ग या लक्षित समूह को जमीनी स्तर पर गतिविधियों के लिए दिशानिर्देश देना होता है।

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दिशा के तर्क-किसानों के विरोध को उजागर करना राजद्रोह तो वह जेल में ही ठीक है
दिशा रवि के वकील ने पुलिस के तर्को को खारिज करते हुए कहा कि 26 जनवरी को हुई हिंसा के लिए किसानों के विरोध पर टूलकिट जिम्मेदार है, इस बात का कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि विश्व स्तर पर किसानों के विरोध को उजागर करना राजद्रोह है, तो मैं जेल में बेहतर हूं ।

प्रतिबंधित सिख संगठन से जोड़ने का कोई साक्ष्य नहीं
रवि के वकील ने पुलिस के उस आरोप को भी गलत बताया कि उनकी मुवक्किल के प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन से संबंध हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि रवि ने किसी से मुलाकात की तो भी उसका यह अर्थ नहीं कि वह अलगाववादी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने किसानों के मार्च के लिए अनुमति दी, जबकि पुलिस दावा कर रही है कि रवि ने लोगों से जुड़ने के लिए कहा तो वह कैसे देशद्रोही हो गई।

एफआईआर पर उठाए सवाल  
लाल किले पर हिंसा के सिलसिले में ऐसा कोई व्यक्ति गिरफ्तार नहीं हुआ है, जो कहता है कि वह टूलकिट की वजह से इसके लिए प्रेरित था। उन्होंने दावा किया कि यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि किसानों के मार्च के दौरान हिंसा के लिए टूलकिट जिम्मेदार है। उन्होंने एफआईआर पर भी सवाल उठाए और जोर देकर कहा कि लोग किसी विषय पर अलग दृष्टिकोण रख सकते हैं। एफआईआर में आरोप है कि योग और चाय को निशाना बनाया जा रहा है। क्या यह अपराध है?

राजद्रोह और अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज
गौरतलब है कि निचली अदालत ने दिशा की पांच दिनों की पुलिस हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद शुक्रवार को तीन दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। दिशा को दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने पिछले शनिवार को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। दिशा पर राजद्रोह और अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है।

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