पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
अदालत ने स्पष्ट किया कि वॉट्सऐप बनाना और उसमें राय व्यक्त करना या टूलकिट का संपादक होना कोई अपराध नहीं है। अदालत ने उक्त टिप्पणी करते हुए जलवायु कार्यकर्ता रवि दिशा को जमानत प्रदान कर दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि दिशा के खिलाफ ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं है कि उसने भारत के खिलाफ कोई अभियान चलाया। अदालत ने पुलिस के उस तर्क को भी खारिज कर दिया कि दिशा के खालिस्तानी अर्थात अलगाववादियों से संपर्क हैं। अदालत ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं पाया गया कि उसने अलगाववादी विचार की सदस्यता ली है।
पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेन्द्र राणा ने अपने फैसले में बचाव पक्ष के उस तर्क पर सहमति जताई कि किसानों के ट्रैक्टर परेड के लिए पुलिस ने ही इजाजत दी थी। अदालत ने कहा कि ऐसे में सह-अभियुक्त शांतनु के विरोध मार्च में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंचने में कुछ भी गलत नहीं है। अदालत ने दिशा को एक लाख रुपये के व्यक्तिगत मुचलके व दो अन्य जमानत राशि पर रिहा करने का निर्देश दिया। देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी है।
अदालत ने बचाव पक्ष के उस तर्क को खारिज कर दिया कि जमानत राशि घटाकर 50 हजार रुपये की जाए। दिशा को 13 फरवरी को किसान टूलकिट मामले में बंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था।अदालत ने कहा कि पुलिस ऐसा कोई भी साक्ष्य पेश नहीं कर पाई कि दिशा को जेल में रखा जा सके। अदालत ने कहा कि उसका कोई भी आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में वह जमानत पाने की हकदार है।
अदालत ने दिल्ली पुलिस के उस तर्क को भी खारिज कर दिया कि दिशा रवि खालिस्तान समर्थकों के साथ मिलकर टूलकिट तैयार कर रही थी और वह भारत को बदनाम करने और किसानों के प्रदर्शन की आड़ में देश में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश का हिस्सा थी। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ग्रेटा थुनबर्ग को टूलकिट को अग्रेषित करने के अलावा, यह बताने में विफल रहा कि याची दिशा ने अलगाववादियों का समर्थन कैसे किया। अदालत ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि अभियुक्त और उसके सह-षड्यंत्रकारियों के भयावह मंसूबों के अनुसार किसी भी भारतीय दूतावास में कोई हिंसा हुई।
अदालत ने कहा कि योग और चाय के अलावा, इस विवाद का समर्थन करने के लिए मेरे ध्यान में कोई सबूत नहीं लाया गया है। अदालत ने कहा सह-अभियुक्त शांतनु के विरोध मार्च में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंचने में कुछ भी गलत नहीं है। फिर भी, उसकी पहचान छुपाने की कोशिश अनावश्यक विवादों से दूर रहने के लिए एक उत्सुक प्रयास से ज्यादा कुछ नहीं लगता है। इसके अलावा चूंकि उक्त टूलकिट या पीजेएफ के साथ लिंक आपत्तिजनक नहीं पाया गया है, इसलिए उसे टूलकिट व पीजेएफ से जोड़ने वाले सबूतों को नष्ट करने के लिए सिर्फ वॉट्सऐप चैट को डिलीट करना भी निरर्थक हो जाता है। अदालत ने कहा कि हिंसा के मामलों में काफी लोगों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन एक भी दिशा का लिंक साबित नहीं हुआ है।
वहीं दिशा की एक दिन की रिमांड अवधि खत्म होने पर अदालत में पेश किया गया। पुलिस ने चार दिन का पुलिस रिमांड बढ़ाने का आग्रह किया। अदालत ने जमानत पर फैसला आने तक रिमांड बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा कि फैसला आने के बाद ही इस पर विचार किया जा सकता है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि वॉट्सऐप बनाना और उसमें राय व्यक्त करना या टूलकिट का संपादक होना कोई अपराध नहीं है। अदालत ने उक्त टिप्पणी करते हुए जलवायु कार्यकर्ता रवि दिशा को जमानत प्रदान कर दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि दिशा के खिलाफ ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं है कि उसने भारत के खिलाफ कोई अभियान चलाया। अदालत ने पुलिस के उस तर्क को भी खारिज कर दिया कि दिशा के खालिस्तानी अर्थात अलगाववादियों से संपर्क हैं। अदालत ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं पाया गया कि उसने अलगाववादी विचार की सदस्यता ली है।
पटियाला हाउस स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेन्द्र राणा ने अपने फैसले में बचाव पक्ष के उस तर्क पर सहमति जताई कि किसानों के ट्रैक्टर परेड के लिए पुलिस ने ही इजाजत दी थी। अदालत ने कहा कि ऐसे में सह-अभियुक्त शांतनु के विरोध मार्च में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंचने में कुछ भी गलत नहीं है। अदालत ने दिशा को एक लाख रुपये के व्यक्तिगत मुचलके व दो अन्य जमानत राशि पर रिहा करने का निर्देश दिया। देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी है।
अदालत ने बचाव पक्ष के उस तर्क को खारिज कर दिया कि जमानत राशि घटाकर 50 हजार रुपये की जाए। दिशा को 13 फरवरी को किसान टूलकिट मामले में बंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था।अदालत ने कहा कि पुलिस ऐसा कोई भी साक्ष्य पेश नहीं कर पाई कि दिशा को जेल में रखा जा सके। अदालत ने कहा कि उसका कोई भी आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। ऐसे में वह जमानत पाने की हकदार है।
अदालत ने दिल्ली पुलिस के उस तर्क को भी खारिज कर दिया कि दिशा रवि खालिस्तान समर्थकों के साथ मिलकर टूलकिट तैयार कर रही थी और वह भारत को बदनाम करने और किसानों के प्रदर्शन की आड़ में देश में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश का हिस्सा थी। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ग्रेटा थुनबर्ग को टूलकिट को अग्रेषित करने के अलावा, यह बताने में विफल रहा कि याची दिशा ने अलगाववादियों का समर्थन कैसे किया। अदालत ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि अभियुक्त और उसके सह-षड्यंत्रकारियों के भयावह मंसूबों के अनुसार किसी भी भारतीय दूतावास में कोई हिंसा हुई।
अदालत ने कहा कि योग और चाय के अलावा, इस विवाद का समर्थन करने के लिए मेरे ध्यान में कोई सबूत नहीं लाया गया है। अदालत ने कहा सह-अभियुक्त शांतनु के विरोध मार्च में भाग लेने के लिए दिल्ली पहुंचने में कुछ भी गलत नहीं है। फिर भी, उसकी पहचान छुपाने की कोशिश अनावश्यक विवादों से दूर रहने के लिए एक उत्सुक प्रयास से ज्यादा कुछ नहीं लगता है। इसके अलावा चूंकि उक्त टूलकिट या पीजेएफ के साथ लिंक आपत्तिजनक नहीं पाया गया है, इसलिए उसे टूलकिट व पीजेएफ से जोड़ने वाले सबूतों को नष्ट करने के लिए सिर्फ वॉट्सऐप चैट को डिलीट करना भी निरर्थक हो जाता है। अदालत ने कहा कि हिंसा के मामलों में काफी लोगों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन एक भी दिशा का लिंक साबित नहीं हुआ है।
वहीं दिशा की एक दिन की रिमांड अवधि खत्म होने पर अदालत में पेश किया गया। पुलिस ने चार दिन का पुलिस रिमांड बढ़ाने का आग्रह किया। अदालत ने जमानत पर फैसला आने तक रिमांड बढ़ाने से इनकार करते हुए कहा कि फैसला आने के बाद ही इस पर विचार किया जा सकता है।