नई दिल्ली। पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दो करोड़ रुपये की ठगी में सीपीआर कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड के निदेशक सूरजमल विहार निवासी पवन कुमार गर्ग (61) को गिरफ्तार किया है। उस पर लोगों के शेयर और बांड अवैध तरीके से स्थानांतरित करने का आरोप है।
ईओडब्ल्यू के संयुक्त आयुक्त डॉ. ओपी मिश्रा ने बताया कि आईपी एक्सटेंशन निवासी रविंदर गुप्ता ने वर्ष 2018 में दर्ज कराई शिकायत में कहा था कि वर्ष 2009-10 में उन्होंने अपने और परिजनों के नाम से सीपीसी कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड के माध्यम से डीमैट और ट्रेडिंग खाते खोले थे। कारोबार के दौरान पवन ने उनके भतीजों से मेलजोल बढ़ाया और उनके शेयर व बांड अवैध तरीके से अपने खाते में स्थानांतरित कर हड़प लिए। इसके लिए पवन ने भतीजों के नाम से जाली डीमैट स्लिप तैयार की। इस स्लिप को उसने अवैध शेयर कारोबार के लिए स्टॉक एक्सचेंज में पेश किया। इससे उन्हें 2.6 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
जांच में ईओडब्ल्यू को पता चला कि पवन गर्ग ने शिकायतकर्ता व उनके परिजनों के नाम के शेयर और बांड को गिरवी भी रखा था। रुपये शिकायतकर्ता के खातों में नहीं आए। ऐसा करना गैरकानूनी था। इस खुलासे के बाद ईओडब्ल्यू ने 22 फरवरी को पवन गर्ग को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि पवन गर्ग चार्टर्ड अकाउंटेंसी पढ़ चुका है। उसने वर्ष 1996 में अपनी कंपनी शुरू की थी। इसमें उसके परिजन भी शामिल थे।
नई दिल्ली। पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दो करोड़ रुपये की ठगी में सीपीआर कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड के निदेशक सूरजमल विहार निवासी पवन कुमार गर्ग (61) को गिरफ्तार किया है। उस पर लोगों के शेयर और बांड अवैध तरीके से स्थानांतरित करने का आरोप है।
ईओडब्ल्यू के संयुक्त आयुक्त डॉ. ओपी मिश्रा ने बताया कि आईपी एक्सटेंशन निवासी रविंदर गुप्ता ने वर्ष 2018 में दर्ज कराई शिकायत में कहा था कि वर्ष 2009-10 में उन्होंने अपने और परिजनों के नाम से सीपीसी कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड के माध्यम से डीमैट और ट्रेडिंग खाते खोले थे। कारोबार के दौरान पवन ने उनके भतीजों से मेलजोल बढ़ाया और उनके शेयर व बांड अवैध तरीके से अपने खाते में स्थानांतरित कर हड़प लिए। इसके लिए पवन ने भतीजों के नाम से जाली डीमैट स्लिप तैयार की। इस स्लिप को उसने अवैध शेयर कारोबार के लिए स्टॉक एक्सचेंज में पेश किया। इससे उन्हें 2.6 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
जांच में ईओडब्ल्यू को पता चला कि पवन गर्ग ने शिकायतकर्ता व उनके परिजनों के नाम के शेयर और बांड को गिरवी भी रखा था। रुपये शिकायतकर्ता के खातों में नहीं आए। ऐसा करना गैरकानूनी था। इस खुलासे के बाद ईओडब्ल्यू ने 22 फरवरी को पवन गर्ग को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि पवन गर्ग चार्टर्ड अकाउंटेंसी पढ़ चुका है। उसने वर्ष 1996 में अपनी कंपनी शुरू की थी। इसमें उसके परिजन भी शामिल थे।