प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ने गारमेंट इंडस्ट्री के लिए जिस विशेष पैकेज को मंजूरी दी है वह उसके अच्छे दिन लेकर आएगी। साइबर सिटी के उद्यमियों ने केंद्र सरकार के 74,000 करोड़ रुपये के पैकेज की दिल खोलकर सराहना की है। उनका कहना है कि यह पैकेज कपड़ा उद्योग के लिए टॉनिक साबित होगी।
पिछले एक दशक से यहां की गारमेंट इंडस्ट्री की स्थिति ठीक नहीं है। यहां मिलने वाले विदेशी ऑर्डर में 30 फीसदी से अधिक की गिरावट आ चुकी है। उम्मीद जताई जा रही है कि यह पैकेज कपड़ा उद्योग को आगे बढ़ाने में मदद करेगी। ऑटोमोबाइल के बाद गुडग़ांव में गारमेंट इंडस्ट्री का बोलबाला है।
यहां के बने परिधानों की अमेरिका से लेकर यूरोप तक निर्यात होता है। मगर दिनों दिन वहां इसकी मांग घटती जा रही है। ऑर्डर में आ रही इस कमी के पीछे चीन, बांग्लादेश, वियतनाम और श्रीलंका की चुनौती है।
अमेरिका और यूरोप से परिधानों के जो ऑर्डर भारत को मिलते थे उसमें अब इन देशों की हिस्सेदारी काफी हो गई है। गारमेंट इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का कहना है कि इन ऑर्डर में 30 चीन, 20 बांग्लादेश और 10 फीसदी वियतनाम और श्रीलंका के खाते में चला गया है।
इनका कहना है कि केंद्र सरकार ने भले ही देरी से मगर सही समय पर विशेष पैकेज का एलान किया है। गारमेंट सेक्टर में गिरावट के पीछे सिर्फ एक या दो परेशानियां नहीं हैं बल्कि कई दिक्कतों से इसे रूबरू होना पड़ रहा है। एक्सपोर्टरों का कहना है कि सरकार का रवैया कपड़ा उद्योग के प्रति काफी उपेक्षापूर्ण और उदासीनता वाला रहा है।
बुनियादी समस्याओं से उद्यमी काफी परेशान हैं। लेबर औरय् बिजली महंगी होने से प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ता जा रहा है। न्यूनतम वेतन का मुद्दा भी काफी परेशान कर रहा है।
चीन और बांग्लादेश में इसके मुकाबले लेबर काफी सस्ती है और इन्हें सरकारी सहयोग भी काफी मिलता है। यही वजह है कि विदेशी बायर्स वहीं से माल खरीदना पसंद कर रहे हैं।
फिक्स्ड टर्म रोजगार
गारमेंट इंडस्ट्री चलाने वाले उद्यमियों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा फिक्स्ड टर्म रोजगार की इजाजत देकर काफी अच्छा किया है। गारमेंट उद्योग सिजनल इंडस्ट्री है।
यहां साल के छह या सात माह ही काम होता है। मगर अब तक उन्हें कर्मचारियों को पूरे साल रखना होता है। फिलहाल कैबिनेट कमेटी ने जिस नए प्रावधान को लागू किया है उसके अनुसार वह काम नहीं होने पर श्रमिकों को हटा सकते हैं।
पीएफ का वैकल्पिक होना अच्छा कदम
जिन श्रमिकों का वेतन 15,000 रुपये से अधिक हो वह चाहे तो पीएफ से छूट ले सकते हैं। उनके लिए पीएफ अकाउंट में राशि जमा कराना अनिवार्य नहीं होगा। अगर वह चाहे तो करें या नहीं।
इसे उद्यमी अपने लिए बड़ी राहत मान रहे हैं। उनका कहना है कि पीएफ के नाम पर उन्हें काफी परेशान होना पड़ता है। कई बार विदेशी बॉयर्स भी पीएफ को लेकर उद्यमियों पर काफी दबाव बनाने हैं। यही कारण है कि कई बार उद्यमियों को श्रमिक और कंपनी दोनों पक्षों का फीएफ अंशदान करना पड़ता है। अब इससे छुटकारा मिल जाएगा।
नए कर्मचारियों का पीएफ भरेगी सरकार
गारमेंट उद्योग में 15,000 से कम वेतन पाने वाले नए कर्मचारियों के पीएफ खाते में पहले तीन साल तक 12 फीसदी अंशदान सरकार करेगी। इसे भी कपड़ा उद्योग अपने लिए बड़ी राहत मान रहा है।
गुडग़ांव की गारमेंट इंडस्ट्री एक नजर में
-गारमेंट सेक्टर में तकरीबन 2,00000 श्रमिक करते हैं काम
-इसमें महिलाओं की संख्या तकरीबन 40 फीसदी
-प्रदेश के गारमेंट कारोबार में गुडग़ांव का योगदान 72.2 फीसदी
-गुडग़ांव के बने परिधान अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्राजील और अमेरिका में जाते हैं
-लेडीज गारमेंट के परिधानों की विदेशों में अधिक मांग
-गुडग़ांव में गारमेंट की 1500 से अधिक औद्योगिक यूनिटें
इन समस्याओं का भी हो समाधान तो बने बात.
-सरकार को सिंगल विंडो सिस्टम को मिले बढ़ावा
-गारमेंट कंपनियों को ऑर्डर दिलाने में सरकार निभाए भूमिका
-बुनियादी सुविधाएं हों दुरुस्त
-उद्योगों को मिले सस्ती दर पर बिजली
-रिसर्च एंड डेवलपमेंट को मिले बढ़ावा
-गारमेंट सेक्टर के लिए अलग से बनाई जाए पॉलिसी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ने गारमेंट इंडस्ट्री के लिए जिस विशेष पैकेज को मंजूरी दी है वह उसके अच्छे दिन लेकर आएगी। साइबर सिटी के उद्यमियों ने केंद्र सरकार के 74,000 करोड़ रुपये के पैकेज की दिल खोलकर सराहना की है। उनका कहना है कि यह पैकेज कपड़ा उद्योग के लिए टॉनिक साबित होगी।
पिछले एक दशक से यहां की गारमेंट इंडस्ट्री की स्थिति ठीक नहीं है। यहां मिलने वाले विदेशी ऑर्डर में 30 फीसदी से अधिक की गिरावट आ चुकी है। उम्मीद जताई जा रही है कि यह पैकेज कपड़ा उद्योग को आगे बढ़ाने में मदद करेगी। ऑटोमोबाइल के बाद गुडग़ांव में गारमेंट इंडस्ट्री का बोलबाला है।
यहां के बने परिधानों की अमेरिका से लेकर यूरोप तक निर्यात होता है। मगर दिनों दिन वहां इसकी मांग घटती जा रही है। ऑर्डर में आ रही इस कमी के पीछे चीन, बांग्लादेश, वियतनाम और श्रीलंका की चुनौती है।
चीन, बांग्लादेश और वियतनाम का रहा है दबदबा
अमेरिका और यूरोप से परिधानों के जो ऑर्डर भारत को मिलते थे उसमें अब इन देशों की हिस्सेदारी काफी हो गई है। गारमेंट इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का कहना है कि इन ऑर्डर में 30 चीन, 20 बांग्लादेश और 10 फीसदी वियतनाम और श्रीलंका के खाते में चला गया है।
इनका कहना है कि केंद्र सरकार ने भले ही देरी से मगर सही समय पर विशेष पैकेज का एलान किया है। गारमेंट सेक्टर में गिरावट के पीछे सिर्फ एक या दो परेशानियां नहीं हैं बल्कि कई दिक्कतों से इसे रूबरू होना पड़ रहा है। एक्सपोर्टरों का कहना है कि सरकार का रवैया कपड़ा उद्योग के प्रति काफी उपेक्षापूर्ण और उदासीनता वाला रहा है।
बुनियादी समस्याओं से उद्यमी काफी परेशान हैं। लेबर औरय् बिजली महंगी होने से प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ता जा रहा है। न्यूनतम वेतन का मुद्दा भी काफी परेशान कर रहा है।
चीन और बांग्लादेश में इसके मुकाबले लेबर काफी सस्ती है और इन्हें सरकारी सहयोग भी काफी मिलता है। यही वजह है कि विदेशी बायर्स वहीं से माल खरीदना पसंद कर रहे हैं।
फिक्स्ड टर्म रोजगार
गारमेंट इंडस्ट्री चलाने वाले उद्यमियों का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा फिक्स्ड टर्म रोजगार की इजाजत देकर काफी अच्छा किया है। गारमेंट उद्योग सिजनल इंडस्ट्री है।
यहां साल के छह या सात माह ही काम होता है। मगर अब तक उन्हें कर्मचारियों को पूरे साल रखना होता है। फिलहाल कैबिनेट कमेटी ने जिस नए प्रावधान को लागू किया है उसके अनुसार वह काम नहीं होने पर श्रमिकों को हटा सकते हैं।
ऐसे आ सकते हैं अच्छे दिन
गुड़गांव
- फोटो : अमर उजाला
पीएफ का वैकल्पिक होना अच्छा कदम
जिन श्रमिकों का वेतन 15,000 रुपये से अधिक हो वह चाहे तो पीएफ से छूट ले सकते हैं। उनके लिए पीएफ अकाउंट में राशि जमा कराना अनिवार्य नहीं होगा। अगर वह चाहे तो करें या नहीं।
इसे उद्यमी अपने लिए बड़ी राहत मान रहे हैं। उनका कहना है कि पीएफ के नाम पर उन्हें काफी परेशान होना पड़ता है। कई बार विदेशी बॉयर्स भी पीएफ को लेकर उद्यमियों पर काफी दबाव बनाने हैं। यही कारण है कि कई बार उद्यमियों को श्रमिक और कंपनी दोनों पक्षों का फीएफ अंशदान करना पड़ता है। अब इससे छुटकारा मिल जाएगा।
नए कर्मचारियों का पीएफ भरेगी सरकार
गारमेंट उद्योग में 15,000 से कम वेतन पाने वाले नए कर्मचारियों के पीएफ खाते में पहले तीन साल तक 12 फीसदी अंशदान सरकार करेगी। इसे भी कपड़ा उद्योग अपने लिए बड़ी राहत मान रहा है।
गुडग़ांव की गारमेंट इंडस्ट्री एक नजर में
-गारमेंट सेक्टर में तकरीबन 2,00000 श्रमिक करते हैं काम
-इसमें महिलाओं की संख्या तकरीबन 40 फीसदी
-प्रदेश के गारमेंट कारोबार में गुडग़ांव का योगदान 72.2 फीसदी
-गुडग़ांव के बने परिधान अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्राजील और अमेरिका में जाते हैं
-लेडीज गारमेंट के परिधानों की विदेशों में अधिक मांग
-गुडग़ांव में गारमेंट की 1500 से अधिक औद्योगिक यूनिटें
इन समस्याओं का भी हो समाधान तो बने बात.
-सरकार को सिंगल विंडो सिस्टम को मिले बढ़ावा
-गारमेंट कंपनियों को ऑर्डर दिलाने में सरकार निभाए भूमिका
-बुनियादी सुविधाएं हों दुरुस्त
-उद्योगों को मिले सस्ती दर पर बिजली
-रिसर्च एंड डेवलपमेंट को मिले बढ़ावा
-गारमेंट सेक्टर के लिए अलग से बनाई जाए पॉलिसी