दिल्ली हाईकोर्ट ने जंतर मंतर पर एक समुदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में आरोपी एवं सेव इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रीत सिंह की जमानत अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। पिछली सुनवाई में अदालत ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। प्रीत सिंह ने हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट द्वारा 27 अगस्त को उनको जमानत न देने के फैसले के खिलाफ अपील की है।
आरोपी ने आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी अधिनियम की धारा 51 (बी) के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक आदेश की अवज्ञा), इत्यादि आरोप में जमानत मांगी है। अदालत ने पिछली सुनवाई में कहा कि पुलिस द्वारा मामले में रिपोर्ट दायर करने के बाद ही वे कुछ निर्णय देंगी। अदालत ने मामले की सुनवाई 15 सितंबर तय की थी। आज अदालत ने सुनवाई करते हुए जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता विष्णु शंकर ने पिछली सुनवाई में अदालत को बताया था कि उनके मुवक्किल को फर्जी मामले में फंसाया गया है। उनके मुवक्किल पर जंतर मंतर पर कार्यक्रम में एक समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक भाषण व टिप्पणियां करने का आरोप है जबकि उसने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की। इसके अलावा जेल में उनके मुवक्किल की तबीयत खराब हो रही है, जिसके आधार पर उसे जल्द जमानत प्रदान की जाए।
निचली अदालत ने प्रीत सिंह को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि आरोपी स्पष्ट रूप से अन्य सहयोगियों के साथ भड़काऊ भाषणों में सक्रिय रूप से शामिल था और कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर दिए गए भाषणों में भड़काऊ भाषण से अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकता। इतना ही नहीं वह उक्त कार्यक्रम का सह-आयोजक भी था।
अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया रिकॉर्ड पर पेश साक्ष्यों व अभियोजन पक्ष के तर्कों से स्पष्ट है कि आरोपी ने कार्यक्रम के आयोजन के मुख्य आयोजक के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस आयोजन को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इसके अलावा यह आयोजन भारत सरकार द्वारा जारी किए गए कोविड-19 प्रोटोकॉल की पूर्ण अवहेलना करके जंतर-मंतर पर आयोजित किया गया।
विस्तार
दिल्ली हाईकोर्ट ने जंतर मंतर पर एक समुदाय के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में आरोपी एवं सेव इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रीत सिंह की जमानत अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। पिछली सुनवाई में अदालत ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। प्रीत सिंह ने हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट द्वारा 27 अगस्त को उनको जमानत न देने के फैसले के खिलाफ अपील की है।
आरोपी ने आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी अधिनियम की धारा 51 (बी) के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 (लोक सेवक आदेश की अवज्ञा), इत्यादि आरोप में जमानत मांगी है। अदालत ने पिछली सुनवाई में कहा कि पुलिस द्वारा मामले में रिपोर्ट दायर करने के बाद ही वे कुछ निर्णय देंगी। अदालत ने मामले की सुनवाई 15 सितंबर तय की थी। आज अदालत ने सुनवाई करते हुए जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता विष्णु शंकर ने पिछली सुनवाई में अदालत को बताया था कि उनके मुवक्किल को फर्जी मामले में फंसाया गया है। उनके मुवक्किल पर जंतर मंतर पर कार्यक्रम में एक समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक भाषण व टिप्पणियां करने का आरोप है जबकि उसने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की। इसके अलावा जेल में उनके मुवक्किल की तबीयत खराब हो रही है, जिसके आधार पर उसे जल्द जमानत प्रदान की जाए।
निचली अदालत ने प्रीत सिंह को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि आरोपी स्पष्ट रूप से अन्य सहयोगियों के साथ भड़काऊ भाषणों में सक्रिय रूप से शामिल था और कार्यक्रम के दौरान कथित तौर पर दिए गए भाषणों में भड़काऊ भाषण से अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकता। इतना ही नहीं वह उक्त कार्यक्रम का सह-आयोजक भी था।
अदालत ने कहा था कि प्रथम दृष्टया रिकॉर्ड पर पेश साक्ष्यों व अभियोजन पक्ष के तर्कों से स्पष्ट है कि आरोपी ने कार्यक्रम के आयोजन के मुख्य आयोजक के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस आयोजन को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। इसके अलावा यह आयोजन भारत सरकार द्वारा जारी किए गए कोविड-19 प्रोटोकॉल की पूर्ण अवहेलना करके जंतर-मंतर पर आयोजित किया गया।