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एक लाख का ईनामी ढेर: 10 साल से दुजाना और रणदीप के लिए काम कर रहा था मनोज, पुलिस को देखते ही चला देता था गोली

अमर उजाला नेटवर्क, हापुड़ Published by: शाहरुख खान Updated Mon, 30 Jan 2023 08:19 AM IST
सार

हापुड़ में पुलिस मुठभेड़ में माराय गया मनोज भाटी कम समय में बड़े बदमाशों में शुमार हो गया था। रणदीप भाटी के अलावा वह दुजाना गिरोह का भी सदस्य रहा और लगातार अपराध को अंजाम देता रहा। पिछले दस वर्षों में उसने लूट, हत्या, फिरौती जैसी कई घटनाओं को अंजाम दिया। उसके कुख्यात होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस को देखते ही वह सीधे गोली चला देता था।

गांव सबली के जंगल में पुलिस मुठभेड के बाद घटनास्थल पर एसपी को जानकारी देते एसओजी के पुलिसकर्मी।
गांव सबली के जंगल में पुलिस मुठभेड के बाद घटनास्थल पर एसपी को जानकारी देते एसओजी के पुलिसकर्मी। - फोटो : अमर उजाला

विस्तार

हापुड़ कोतवाली और एसओजी की टीम ने एक लाख रुपये के इनामी बदमाश मनोज भाटी को मुठभेड़ के बाद मार गिराया है। वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय रहे रणदीप भाटी और सुंदर भाटी गैंग का शॉर्प शूटर था। मनोज भाटी हापुड़ कचहरी के बाहर 16 अगस्त को हुई फरीदाबाद के हिस्ट्रीशीटर लखन की हत्या में शामिल था। 


मनोज भाटी कम समय में बड़े बदमाशों में शुमार हो गया। रणदीप भाटी के अलावा वह दुजाना गिरोह का भी सदस्य रहा और लगातार अपराध को अंजाम देता रहा। पिछले दस वर्षों में उसने लूट, हत्या, फिरौती जैसी कई घटनाओं को अंजाम दिया। उसके कुख्यात होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस को देखते ही वह सीधे गोली चला देता था।


पहले भी रह चुका है एक लाख का इनामी
तीन साल पहले मनोज भाटी और यूपी एसटीएफ के बीच ग्रेटर नोएडा में मुठभेड़ हुई थी। उस वक्त भी मनोज भाटी पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था। उसने एसटीएफ के कॉन्स्टेबल को गोली मारी थी। दो साल जेल में बंद रहने के बाद वह एक बार फिर जेल से बाहर आया और अपराध करने में जुट गया। 

मनोज भाटी मुख्य रूप से रणदीप भाटी गैंग और अनिल दुजाना गैंग के लिए हत्या, लूट, रंगदारी और कारोबारियों को धमकी देने का काम करता था। इसके बदले में दुजाना और रणदीप भाटी गैंग उसे पैसा देते थे। इसके अलावा वह एक फ्रीलांसर शार्प शूटर के रूप में भी काम करता था। लखन हत्याकांड के लिए भी उसे फ्रीलांसर शूटर के रूप में इस्तेमाल किया गया था।
 

ट्यूबवेल की ओट लेकर चलाई सात गोलियां

पुलिस के अनुसार जब टीम मनोज भाटी को लेकर घटना में प्रयुक्त पिस्टल बरामद करने के लिए जा रही थी, तभी एक बाग के पास मनोज हेड कांस्टेबल रविंद्र की पिस्टल लेकर भाग निकला और एक खंडहर पड़ी सरकारी अस्पताल की ओट लेकर पुलिस टीम पर छह से सात फायर झोंक दिए। 

बदमाश की फायरिंग में इंस्पेक्टर सोमबीर सिंह बाजू में गोली लगने से घायल होने के साथ कई पुलिसकर्मी बाल बाल बच गए। पुलिस ने भी ओट लेकर कई राउंड जवाबी फायर किए। जिसमें एक गोली सिर में लगने से मनोज ढेर हो गया। इस दौरान दूसरा आरोपी अंकित दूसरी पुलिस टीम के साथ था।
 

250 नंबर सर्विलांस और 60 स्थानों पर दबिश के बाद हाथ लगे बदमाश

गौतमबुद्धनगर के नंगला नैनसुख निवासी मनोज भाटी पिछले करीब एक दशक से जायराम की दुनिया में सक्रिय था। उस पर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में हत्या, लूट, रंगदारी समेत अनेक संगीन धाराओं में 35 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस ने बताया कि वह रणदीप भाटी, सुंदर भाटी गैंग के लिए भी अपराध करता था। करीब तीन साल पहले मनोज भाटी और एसटीएफ (यूपी) के बीच ग्रेटर नोएडा में मुठभेड़ हो गई थी। उसने एक कांस्टेबल को गोली मारी थी। 
 

करीब दो साल तक जेल में रहने के बाद वह जमानत मिलने पर रिहा हो गया था। जेल से छूटने के बाद उसने हापुड़ में कचहरी के बाहर हरियाणा के हिस्ट्रीशीटर लखन की दिनदहाड़े गोली से भूनकर हत्या कर दी थी। तभी से वह पुलिस की हिट लिस्ट में था। लखनऊ मुख्यालय पर बैठे पुलिस के आला अफसर भी यहां कचहरी हत्याकांड को लेकर समय समय पर जानकारी लेकर आवश्यक दिशा निर्देश देते रहे। हाल ही में एडीजी की ओर से उस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था।

 

हापुड़ कचहरी कांड में अभी तक पुलिस 16 लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर चुकी है जबकि एक बदमाश अभी भी फरार है। पुलिस के लिए लखन की हत्या में मुख्य रूप से शामिल तीन शॉर्प शूटर मनोज भाटी, हरियाणा के भैंसावाली निवासी अंकित और नंगला के ही शुभम को पुलिस मुख्य रूप से तलाश कर रही थी। तीनों ही बदमाश पुलिस की गिरफ्त से दूर चल रहे थे।

 

पुलिस सूत्रों की माने तो इन बदमाशों को पकड़ने के लिए पुलिस की टीमें लगातार प्रयास में थी। पिछले साढ़े पांच माह में पुलिस ने करीब 250 नंबर सर्विलांस पर लगाए और 60 से अधिक स्थानों पर दबिश दी। लेकिन अपने शातिरपने के कारण ये बदमाश पुलिस की गिरफ्त से दूर चल रहे थे। जब भी पुलिस इनके करीब पहुंचती तो आरोपी फरार होने में कामयाब हो जाते। कचहरी हत्या के लंबे समय बाद भी मुख्य आरोपियों की गिरफ्तारी न होना पुलिस की किरकिरी का कारण बना था।

 

परिवार के सदस्यों से होती थी नेट से बात
शातिर अपराधी फोन कॉल से पूरी तरह दूरी बनाए थे। पुलिस ने 250 से अधिक नंबर सर्विलांस पर लगाए थे। लेकिन, बदमाशों की लोकेशन हाथ नहीं लग रही थी। पुलिस के अनुसार आरोपियों ने अपने परिवार के सदस्यों को इंटरनेट की डांगल दे रखी थी और इंटरनेट के माध्यम से ही कभी कभी उनकी बात परिवार के लोगों से होती थी। इसी बीच पुलिस को एक कार की लोकेशन मिली, जिसमें सामान रखकर आरोपी मकान शिफ्ट करने के लिए ले गए थे।

 

हर पंद्रह दिन में छोड़ देते थे मकान, एक रात में देनी पड़ी पांच जगह दबिश
आरोपी इतने शातिर थे कि आरोपी पंद्रह दिन में मकान किराये पर लेकर छोड़ देते थे। किराये पर मकान लेने के लिए बदमाश पहले एक व्यक्ति संपर्क करते उसके बाद वह जिस व्यक्ति से मिलवाता उसे लेकर किसी और मकान दिखाने की बात करते, इसके बाद उसके अगले व्यक्ति के यहां जाकर ही मकान किराये पर लेते थे। घटना के बाद से आरोपियों ने दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में अपने कई ठिकाने बदले। शनिवार की रात भी हापुड़ पुलिस को उनकी गिरफ्तारी के लिए पांच स्थानों पर दबिश देनी पड़ी। इसके बाद पुलिस को सफलता हासिल हुई।
 
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