राजधानी में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते हाईकोर्ट सहित जिला अदालतों में एक बार फिर सुनवाई विडियों कांफ्रेंसिंग सिस्टम से होने की सुगफुगाहट के बीच वकीलों ने फिजिकल सुनवाई जारी रखने की मांग की है। जिला अदालतों की बार एसोसिएशन की समन्वय समिति ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए वकील अपने परिवार को भूख से मरना देखने के बजाए कोरोना संक्रमित होना चाहेंगे।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल को समन्वय समिति ने लिखे पत्र में आग्रह किया कि अदालतों में कामकाज सीमित नहीं किया जाए और नियमित यानि फिजिकल सुनवाई को ही जारी रखा जाए। समिति ने तर्क रखा कि पिछले एक साल में कोरोना महामारी के चलते अदालतों में सीमित कामकाज हुआ या फिर वर्चुअल सुनवाई।
इन कारणों से वकीलों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। इस तंगी की वजह से काफी संख्या में वकीलों ने खुदकुशी की। समिति ने कहा पिछले दो माह में कोरोना से जितने वकीलों की मौत नहीं हुई, उससे कहीं अधिक वकीलों ने खुदकुशी की है। ऐसे में हाईकोर्ट सहित जिला अदालतों में फिजिकल सुनवाई को जारी रखा जाए।
समिति के प्रवक्ता व अधिवक्ता संजीव नसियार ने बताया कि महामारी के चलते पिछले साल देशव्यापी लॉकडाउन के बाद अदालतों में कामकाज बंद होने वकीलों ने बहुत ही बुरा वक्त देखे। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से वकीलों ने काफी वित्तीय नुकसान सहा है और अब आगे नुकसान सहने की स्थिति में नहीं है। नसियार ने कहा कि आर्थिक तंगी सहित कई अन्य कारणों से काफी संख्या में वकीलों ने खुदकुशी की है। उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिनों में ही उच्च न्यायालय के 3 वकीलों ने खुदकुशी की है।
समिति ने अदालतों में भीड़ कम करने के लिए सुझाव भी दिया है। समिति ने कहा कि किसी मामले की अंतिम बहस, गवाही जैसे मामले को लंच के बाद सुनवाई के लिए सूचिबद्ध किया जाए। साथ ही कहा है कि लंच से पहले अदालतों में 40 से 45 फीसदी तक वकीलों की भीड़ कम हो जाएगी।
विस्तार
राजधानी में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते हाईकोर्ट सहित जिला अदालतों में एक बार फिर सुनवाई विडियों कांफ्रेंसिंग सिस्टम से होने की सुगफुगाहट के बीच वकीलों ने फिजिकल सुनवाई जारी रखने की मांग की है। जिला अदालतों की बार एसोसिएशन की समन्वय समिति ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा कि परिस्थितियों को देखते हुए वकील अपने परिवार को भूख से मरना देखने के बजाए कोरोना संक्रमित होना चाहेंगे।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल को समन्वय समिति ने लिखे पत्र में आग्रह किया कि अदालतों में कामकाज सीमित नहीं किया जाए और नियमित यानि फिजिकल सुनवाई को ही जारी रखा जाए। समिति ने तर्क रखा कि पिछले एक साल में कोरोना महामारी के चलते अदालतों में सीमित कामकाज हुआ या फिर वर्चुअल सुनवाई।
इन कारणों से वकीलों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा। इस तंगी की वजह से काफी संख्या में वकीलों ने खुदकुशी की। समिति ने कहा पिछले दो माह में कोरोना से जितने वकीलों की मौत नहीं हुई, उससे कहीं अधिक वकीलों ने खुदकुशी की है। ऐसे में हाईकोर्ट सहित जिला अदालतों में फिजिकल सुनवाई को जारी रखा जाए।
समिति के प्रवक्ता व अधिवक्ता संजीव नसियार ने बताया कि महामारी के चलते पिछले साल देशव्यापी लॉकडाउन के बाद अदालतों में कामकाज बंद होने वकीलों ने बहुत ही बुरा वक्त देखे। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से वकीलों ने काफी वित्तीय नुकसान सहा है और अब आगे नुकसान सहने की स्थिति में नहीं है। नसियार ने कहा कि आर्थिक तंगी सहित कई अन्य कारणों से काफी संख्या में वकीलों ने खुदकुशी की है। उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिनों में ही उच्च न्यायालय के 3 वकीलों ने खुदकुशी की है।
समिति ने अदालतों में भीड़ कम करने के लिए सुझाव भी दिया है। समिति ने कहा कि किसी मामले की अंतिम बहस, गवाही जैसे मामले को लंच के बाद सुनवाई के लिए सूचिबद्ध किया जाए। साथ ही कहा है कि लंच से पहले अदालतों में 40 से 45 फीसदी तक वकीलों की भीड़ कम हो जाएगी।