दिल वालों की दिल्ली में 90 फीसदी से ज्यादा आबादी में प्रोटीन की कमी है। इसके चलते न सिर्फ लोगों की मांसपेशियां कमजोर हो रही हैं, बल्कि वे कार्डियोवस्कुलर जैसे गंभीर रोग के शिकार भी हो रहे हैं।
चिकित्सीय अध्ययनों की मानें तो प्रोटीन एकमात्र ऐसा तत्व है, जो हर दिन खाद्य पदार्थों में लिया जाता है और वह उसी दिन यूरिन के जरिए निकल भी जाता है। लेकिन लोगों को लगता है कि एक बार प्रोटीन लेने से उनका दो-चार दिन का काम चल जाएगा।
विशेषज्ञों की मानें तो अगर किसी व्यक्ति का 60 किलोग्राम वजन है तो उसे प्रति किलोग्राम पर प्रति एक ग्राम प्रोटीन यानी 60 ग्राम प्रोटीन लेना आवश्यक है। तभी उसके शरीर में मोटापा और प्रोटीन का संतुलन बन सकता है। लेकिन अधिकतर लोग 40 से 50 फीसदी तक ही प्रोटीन बमुश्किल ले पाते हैं।
मंगलवार को मुंबई से आए डॉ. नंदन जोशी ने बताया कि लोगों में प्रोटीन की कमी को जानने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आईएमआरबी अध्ययन किया गया था, जिसमें 70 फीसदी लोगों में प्रोटीन की कमी पाई गई। जबकि 93 फीसदी लोगों को यह पता ही नहीं था कि प्रोटीन किस तरह उन्हें प्राप्त हो जाता है।
ठीक इसी तरह साल 2018 में इनबॉडी व आईपीएसओएस के अध्ययन में ये सामने आ चुका है कि कॉरपोरेट कंपनियों में काम करने वाले 70 फीसदी लोगों की मांसपेशियां कमजोर हैं। इसीलिए बुधवार से देश भर में आरोग्य वर्ल्ड इंडिया ट्रस्ट व इनबॉडी के सहयोग से प्रोटीन सप्ताह शुरू किया जा रहा है।
वहीं आरोग्य वर्ल्ड इंडिया ट्रस्ट की राष्ट्रीय प्रमुख सुमथि ए राव ने बताया कि अभी तक के चिकित्सीय अध्ययनों में ये स्पष्ट हो चुका है कि देश में 10 में से 6 कामकाजी लोग की मांसपेशियां कमजोर हैं।
जबकि 10 में से 9 लोग ऐसे भी मिले हैं जो ये नहीं जानते कि किस खाद्य पदार्थ के सेवन से उन्हें कितना प्रोटीन प्राप्त हो सकता है? प्रोटीन की कमी न सिर्फ मधुमेह, बल्कि दिल से जुड़े गंभीर रोगों को भी बढ़ावा देता है।
इस तरह किया गया अध्ययन
वर्ष 2018 में दिल्ली और मुंबई को आधार मानते हुए करीब 1260 लोगों पर आईएमआरबी अध्ययन किया गया। इनमें से मांसाहारी 742 और शाकाहारी 518 लोग शामिल थे। अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि 85 फीसदी मांसाहारी और 91 फीसदी शाकाहारी भोजन करने वालों में प्रोटीन की कमी है।
मुंबई से ज्यादा दिल्ली वालों में प्रोटीन की कमी मिली। अध्ययन के अनुसार मुंबई में 68 तो दिल्ली में 90 फीसदी से ज्यादा लोगों में प्रोटीन की कमी मिली है।
बताया जा रहा है कि इसी अध्ययन के बाद करोड़ों भारतीयों के भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान लाने का फैसला लिया गया, जिसके तहत पिछले और इस वर्ष प्रोटीन जागरूकता सप्ताह संचालित किया जा रहा है।
दिल वालों की दिल्ली में 90 फीसदी से ज्यादा आबादी में प्रोटीन की कमी है। इसके चलते न सिर्फ लोगों की मांसपेशियां कमजोर हो रही हैं, बल्कि वे कार्डियोवस्कुलर जैसे गंभीर रोग के शिकार भी हो रहे हैं।
चिकित्सीय अध्ययनों की मानें तो प्रोटीन एकमात्र ऐसा तत्व है, जो हर दिन खाद्य पदार्थों में लिया जाता है और वह उसी दिन यूरिन के जरिए निकल भी जाता है। लेकिन लोगों को लगता है कि एक बार प्रोटीन लेने से उनका दो-चार दिन का काम चल जाएगा।
विशेषज्ञों की मानें तो अगर किसी व्यक्ति का 60 किलोग्राम वजन है तो उसे प्रति किलोग्राम पर प्रति एक ग्राम प्रोटीन यानी 60 ग्राम प्रोटीन लेना आवश्यक है। तभी उसके शरीर में मोटापा और प्रोटीन का संतुलन बन सकता है। लेकिन अधिकतर लोग 40 से 50 फीसदी तक ही प्रोटीन बमुश्किल ले पाते हैं।
मंगलवार को मुंबई से आए डॉ. नंदन जोशी ने बताया कि लोगों में प्रोटीन की कमी को जानने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आईएमआरबी अध्ययन किया गया था, जिसमें 70 फीसदी लोगों में प्रोटीन की कमी पाई गई। जबकि 93 फीसदी लोगों को यह पता ही नहीं था कि प्रोटीन किस तरह उन्हें प्राप्त हो जाता है।
ठीक इसी तरह साल 2018 में इनबॉडी व आईपीएसओएस के अध्ययन में ये सामने आ चुका है कि कॉरपोरेट कंपनियों में काम करने वाले 70 फीसदी लोगों की मांसपेशियां कमजोर हैं। इसीलिए बुधवार से देश भर में आरोग्य वर्ल्ड इंडिया ट्रस्ट व इनबॉडी के सहयोग से प्रोटीन सप्ताह शुरू किया जा रहा है।
वहीं आरोग्य वर्ल्ड इंडिया ट्रस्ट की राष्ट्रीय प्रमुख सुमथि ए राव ने बताया कि अभी तक के चिकित्सीय अध्ययनों में ये स्पष्ट हो चुका है कि देश में 10 में से 6 कामकाजी लोग की मांसपेशियां कमजोर हैं।
जबकि 10 में से 9 लोग ऐसे भी मिले हैं जो ये नहीं जानते कि किस खाद्य पदार्थ के सेवन से उन्हें कितना प्रोटीन प्राप्त हो सकता है? प्रोटीन की कमी न सिर्फ मधुमेह, बल्कि दिल से जुड़े गंभीर रोगों को भी बढ़ावा देता है।
इस तरह किया गया अध्ययन
वर्ष 2018 में दिल्ली और मुंबई को आधार मानते हुए करीब 1260 लोगों पर आईएमआरबी अध्ययन किया गया। इनमें से मांसाहारी 742 और शाकाहारी 518 लोग शामिल थे। अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि 85 फीसदी मांसाहारी और 91 फीसदी शाकाहारी भोजन करने वालों में प्रोटीन की कमी है।
मुंबई से ज्यादा दिल्ली वालों में प्रोटीन की कमी मिली। अध्ययन के अनुसार मुंबई में 68 तो दिल्ली में 90 फीसदी से ज्यादा लोगों में प्रोटीन की कमी मिली है।
बताया जा रहा है कि इसी अध्ययन के बाद करोड़ों भारतीयों के भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान लाने का फैसला लिया गया, जिसके तहत पिछले और इस वर्ष प्रोटीन जागरूकता सप्ताह संचालित किया जा रहा है।