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Uttarakhand Politics: सरकार का अनुपयोगी परिसंपत्तियों को बेचने का विचार, विपक्ष सहमत नहीं, पढ़ें पूरा मामला

राकेश खंडूड़ी, अमर उजाला, देहरादून Published by: रेनू सकलानी Updated Sun, 05 Mar 2023 12:18 PM IST
सार

राज्य गठन के बाद से प्रदेश सरकार के पास पूरे प्रदेश में ऐसी परिसंपत्तियां हैं, जो बेकार हैं या उनसे किसी भी तरह के राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही है। ये परिसंपत्तियां छोटे कारखाने, होटल, रेस्ट हाउस, उद्यान, सरकारी भवनों आदि के रूप में मौजूद हैं।

Uttarakhand Politics Government idea to sell unserviceable assets opposition does not agree
पूर्व सीएम हरीश रावत और सीएम पुष्कर सिंह धामी - फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

राज्य सरकार अपनी अनुपयोगी परिसंपत्तियों को बेचने (मुद्रीकरण) पर गंभीरता से विचार कर रही है। प्रदेश की विकास दर को अगले पांच साल में दोगुना करने के लिए तैनात की गई अमेरिकी एजेंसी मैकेंजी ग्लोबल को इसकी कार्ययोजना तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है।

सरकार की ऐसी परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण से नई जरूरत के हिसाब से पूंजी जुटाने की योजना है, ताकि वह अपनी आज की जरूरत के हिसाब से योजनाएं और अवस्थापना तैयार कर सके। विपक्ष सरकार के इस विचार से सहमत नहीं है। वह आशंकित है कि संपत्तियों को बेचकर पूंजी जुटाने का रास्ता राज्य के दीर्घकालिक हितों को चोट पहुंचाएगा।

बता दें कि राज्य गठन के बाद से प्रदेश सरकार के पास पूरे प्रदेश में ऐसी परिसंपत्तियां हैं, जो बेकार हैं या उनसे किसी भी तरह के राजस्व की प्राप्ति नहीं हो रही है। ये परिसंपत्तियां छोटे कारखाने, होटल, रेस्ट हाउस, उद्यान, सरकारी भवनों आदि के रूप में मौजूद हैं।

सरकार के स्तर पर यह भी विचार है कि सचिवालय, विधानसभा या निदेशालय स्तर के कई भवन जो राजधानी के भीड़-भाड़ वाले इलाकों में हैं, उनका मुद्रीकरण कर उस पूंजी से आधुनिक सुविधाओं और संसाधनों के साथ सरकारी दफ्तरों का एक कलस्टर बना दिया जाए जहां अफसरों और कर्मचारियों के लिए भी आवासीय परिसर हों।

विकास की नई इबारत लिखने के लिए ये हो सकते हैं रास्ते

  • निजी निवेश को बढ़ावा देकर नई अवस्थापना का विकास, ताकि रोजगार के साधन भी जुटें
  • अनुपयोगी परिसंपत्तियों को बेचकर जुटाई गई पूंजी से नई परिसंपत्तियां बनाई जाए
  • परिसंपत्तियों को निजी क्षेत्र की भागीदारी यानी पीपीपी मोड पर उपयोगी बनाने और उससे राजस्व कमाने की योजना

अवस्थापना बोर्ड के जरिये आगे बढ़ेगी सरकार

अपनी इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए सरकार उत्तराखंड निवेश एवं अवस्थापना विकास बोर्ड बनाने जा रही है। मसूरी चिंतन शिविर में यह फैसला हुआ था, जिस पर कैबिनेट अपनी सैद्धांतिक सहमति दे चुकी है। सरकार इसके लिए एक अधिनियम बना रही है ताकि बोर्ड के पास कानूनी अधिकार हों।

परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण के संबंध में मसूरी चिंतन शिविर में निर्णय हुआ था। इस संभावना पर विचार हो रहा है। मैकेंजी ग्लोबल अपनी रिपोर्ट देगा। - आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव, नियोजन

ऐसी परिसंपत्तियां जो किसी काम की नहीं है, उसे बेचे जाने में कोई दिक्कत नहीं। आम तौर पर सरकारें ऐसा करने से हिचकती हैं। लेकिन पहली कोशिश निजी क्षेत्र की भागीदारी से परिसंपत्तियों को पूंजी जुटाने के योग्य बनाने की होने चाहिए। - इंदु कुमार पांडेय, पूर्व मुख्य सचिव व आर्थिक मामलों के जानकार

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परिसंपत्तियों को बेचना समस्या का समाधान नहीं बल्कि इसको निमंत्रण देना है। सरकार को चाहिए कि परिसंपत्तियों को नए स्वरूप में विकसित करके इससे पूंजी जुटाई जा सकती है। ऐसे प्रयोगों से दीर्घकालिक चोट पहुंचेगी। -हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री

 

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