दिनेश रावत, संवाद न्यूज एजेंसी, बड़कोट
Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal
Updated Mon, 01 Nov 2021 03:19 PM IST
नौगांव ब्लॉक प्रमुख सरोज पंवार, पुरोहित महासभा के अध्यक्ष पुरुषोतम उनियाल, तीर्थ पुरोहित मनमोहन उनियाल, पवन उनियाल, अजबीन पंवार व लोकेश चौहान आदि का कहना है कि यमुनोत्रीधाम में जमा गाद, मलबा व बोल्डरों को समय से न हटाया गया तो इससे बड़ी तबाही हो सकती है। इसका असर धाम के साथ ही यमुना के तटीय क्षेत्रों में हो रहे निर्माण कार्यों पर पड़ सकता है।
पहले बन चुकी हैं झील
पहले भी मलबे और बोल्डरों के चलते यमुना नदी के उद्गम व त्रिवेणी की तलहटी के दोनों ओर बनी घाटी में वर्ष 2007 में झील बन गई थी। हालांकि इससे उस समय कुछ नुकसान नहीं हुआ था। झील के धीरे-धीरे खुल जाने से लोगों ने राहत की सांस ली थी। नदी के मुहाने पर दोबारा से मलबा व बोल्डर होने से दोबारा झील बनी तो यह खतरा हो सकती है।
धाम में एकत्रित हुए मलबे, बोल्डर व गाद के मामले को लेकर सिंचाई, राजस्व विभाग एवं मंदिर समिति के सदस्यों की टीम भेजी जाएगी। उनकी रिपोर्ट आने पर जरूरी कार्रवाई की जाएगी।
- शालिनी नेगी, एसडीएम बड़कोट
विस्तार
यमुना नदी के उद्गम और सप्त ऋषिकुंड से निकलने वाली तीन धाराओं की तलहटी मलबे और बोल्डरों से पट गई है। इससे यमुनोत्री धाम और मंदिर परिसर के साथ ही तटवर्ती इलाकों पर आपदा के खतरे की आशंका जताई जा रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि मलबा व बोल्डर आपदा का कारण बन सकते हैं। लेकिन प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है।
हर वर्ष बढ़ रही मलबा व बोल्डरों की मात्रा
यमुना के उद्गम यमुनोत्री धाम में सप्त ऋषिकुंड की ओर निकलने वाली तीन धाराओं की तलहटी वर्षों से मलबे व बोल्डरों से पटी हुई है। इस क्षेत्र में हर वर्ष मलबा व बोल्डरों की मात्रा बढ़ती जा रही है।
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इतना ही नहीं यमुना नदी के मुहाने व मंदिर परिसर के बीच करीब 100 से 150 मीटर दायरे में मलबा व बोल्डरों के कारण नदी का प्रवाह मंदिर की ओर हो गया है। इससे धाम में किए गए सुरक्षात्मक कार्यों की नींव पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
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