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Uttarakhand: हाईकोर्ट के निर्देश के बाद शासन ने जारी किए आदेश, राजीव भरतरी ने फिर संभाला PCCF पद पर चार्ज

अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून Published by: अलका त्यागी Updated Tue, 04 Apr 2023 03:16 PM IST
सार

कॉर्बेट नेशनल पार्क में पेड़ों के कटान की जांच कर रहे राजीव भरतरी का तबादला 25 नंबर 2021 को प्रमुख वन संरक्षक के पद से जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष पद पर कर दिया गया था। अब करीब 16 महीने बाद हाईकोर्ट के निर्देश पर उन्हें हॉफ पद पर चार्ज दिया गया।

Uttarakhand News: IFS Rajiv Bhartari Reached forest headquarters to take charge of post of PCCF
आईएफएस राजीव भरतरी - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी के हाथ में फिर से उत्तराखंड वन विभाग की कमान आ गई है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उत्तराखंड सरकार ने दोपहर करीब डेढ़ बजे उनके चार्ज संभालने के आदेश जरी किए। जिसके बाद भरतरी को प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) पद पर दोबारा चार्ज दिया गया।



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दरअसल, हाईकोर्ट ने सरकार को मंगलवार सुबह 10 बजे तक राजीव भरतरी को प्रमुख वन संरक्षक का पदभार सौंपने के निर्देश दिए थे। इसके बाद सरकार की उलझन बढ़ गई  थी। आज महावीर जयंती पर सरकारी छुट्टी है। ऐसे में यह पहेली बनी हुई थी कि छुट्टी के दिन भरतरी को हॉफ की कुर्सी पर बैठाया जाएगा या नहीं। 

वन विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारी भी सुबह से ही मुख्यालय पहुंच गए थे। राजीव भरतरी का कहना है कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उन्हें दोबारा चार्ज दिया गया है।

आईएफएस विनोद कुमार सिंघल को बनाया था हॉफ

21 फरवरी को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट)  इलाहाबाद की नैनीताल स्थित सर्किट बेंच ने राजीव भरतरी को प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) के पद से हटाए जाने और उनके स्थान पर विनोद कुमार सिंघल को नियुक्त किए जाने के मामले में सुनवाई के बाद अपना फैसला भरतरी के पक्ष में दिया था।

कैट ने भरतरी का तबादला करने के आदेश पर रोक लगाते हुए सरकार को उन्हें तत्काल प्रभाव से उसी पद पर बहाल करने के आदेश दिए थे। इसके बाद 21 मार्च को सरकार की ओर से भी कैट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई, जिसे कैट ने निरस्त कर दिया। यह सरकार के लिए दूसरा बड़ा झटका था। इसके बाद पीसीसीएफ सिंघल की ओर से कैट में व्यक्तिगत रूप से पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई, लेकिन उन्हें भी कोई राहत नहीं मिल पाई। कैट के तीन आदेश के बाद सरकार की ओर से इस मामले में शीघ्र निर्णय लिए जाने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

अब जब हाईकोर्ट ने भरतरी को हॉफ की कुर्सी सौंपे जाने के स्पष्ट आदेश दे दिए हैं, ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा था कि सरकार इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करते हुए कोई आदेश जारी करेगी। लेकिन देर रात तक भी असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। उधर, इस मामले शासन का रुख जानने के लिए प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु से कई बार संपर्क किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।

ये था मामला

मामले के अनुसार आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी ने याचिका दायर कर कहा था कि वह भारतीय वन सेवा के राज्य के सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं, लेकिन सरकार ने 25 नवंबर 2021 को उनका स्थानांतरण प्रमुख वन संरक्षक पद से जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष पद पर कर दिया था, जिसे उन्होंने संविधान के खिलाफ माना। इस संबंध में उन्होंने सरकार को चार प्रत्यावेदन दिए, लेकिन सरकार ने इन प्रत्यावेदनों पर कोई सुनवाई नहीं की। राजीव भरतरी ने कहा कि उनका स्थानांतरण राजनीतिक कारणों से किया गया है, जिसमें उनके सांविधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
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