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Jal Jeevan Mission: Dehradun ranks first in Uttarakhand for providing tap water to every household
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Jal Jeevan Mission: हर घर नल से जल पहुंचाने में पहले स्थान पर देहरादून, अचीवर श्रेणी में नीचे खिसका उत्तराखंड
अमर उजाला ब्यूरो, देहरादून
Published by: अलका त्यागी
Updated Mon, 06 Mar 2023 12:03 AM IST
सार
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जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जारी जल जीवन सर्वेक्षण फरवरी माह की रिपोर्ट में बताया गया है कि जनवरी में प्रदेश के सात जिले 75-100 प्रतिशत कार्यों की श्रेणी में शामिल थे, जिनकी संख्या फरवरी में बढ़कर आठ हो गई है।
जल जीवन मिशन योजना के तहत हर घर नल से जल पहुंचाने में देहरादून पहले स्थान पर है। वहीं देहरादून की राष्ट्रीय रैंकिंग में भी सुधार आया है। चंपावत जिला भी अब शीर्ष श्रेणी में आ गया है। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर अचीवर श्रेणी (50-75 प्रतिशत) में उत्तराखंड एक पायदान नीचे खिसक गया है।
जल शक्ति मंत्रालय की ओर से जारी जल जीवन सर्वेक्षण फरवरी माह की रिपोर्ट में बताया गया है कि जनवरी में प्रदेश के सात जिले 75-100 प्रतिशत कार्यों की श्रेणी में शामिल थे, जिनकी संख्या फरवरी में बढ़कर आठ हो गई है।
जनवरी में देहरादून, टिहरी, चंपावत, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, बागेश्वर और चमोली के साथ फरवरी में चंपावत जिला भी शामिल हो गया है। अब प्रदेश के आठ जिले ऐसे हैं, जिनमें जल जीवन मिशन का 75 से 100 फीसदी तक काम पूरा हो चुका है।
केवल पांच जिले हरिद्वार, पौड़ी, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल, अल्मोड़ा ही ऐसे हैं, जो कि अचीवर श्रेणी में शामिल हैं। इस श्रेणी में हरिद्वार जिला पहले पायदान पर आ गया है। अच्छी बात ये है कि चंपावत जिला भी 50-75 प्रतिशत श्रेणी से निकलकर 75-100 प्रतिशत (हाई अचीवर) में शामिल हो गया है।
राष्ट्रीय स्तर पर एक पायदान नीचे खिसका प्रदेश
राष्ट्रीय स्तर पर अचीवर श्रेणी में उत्तराखंड एक पायदान नीचे खिसक गया है। अक्तूबर, नवंबर, दिसंबर, जनवरी में उत्तराखंड इस श्रेणी में 8वें स्थान पर था। फरवरी माह में राज्य 9वें पायदान पर पहुंच गया है। जनवरी में उत्तराखंड के 168.599 अंक थे जो कि अब घटकर 159.858 अंकों पर आ गए हैं।
क्या है रैंकिंग
जल सर्वेक्षण में पांच रैंक में नंबर दिए गए हैं। पहली फ्रंट रनर श्रेणी है, जिसमें वे जिले शामिल हैं, जिनमें जल जीवन मिशन के लक्ष्य के सापेक्ष 100 प्रतिशत काम हुए हैं। दूसरी हाई अचीवर श्रेणी में वे जिले शामिल हैं, जिनमें 75-100 प्रतिशत काम हुए हैं। तीसरी अचीवर्स श्रेणी में वे जिले शामिल हैं, जिनमें 50-75 प्रतिशत काम हुए हैं। चौथी परफॉमर्स श्रेणी में वे जिले शामिल हैं, जिनमें अक्तूबर के लक्ष्य के सापेक्ष 25-50 प्रतिशत काम हुए हैं। पांचवीं एस्पाइरेंट्स श्रेणी में वे जिले शामिल हैं, जिनमें केवल 0-25 प्रतिशत काम हुए हैं।
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