पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
बर्फ से ढके गंगोत्री-गोमुख क्षेत्र में भोजपत्र के पौधों की नर्सरी बनाकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रही डॉ. हर्षवंती बिष्ट अब लोगों को गोमुख के बदलते स्वरूप से रू-ब-रू कराने की तैयारी कर रही हैं।
पढ़ें, एक पत्थर उछाला और आसमान में कर दिया 'सुराख'अर्जुन अवॉर्डी पर्वतारोही और पर्यावरणविद डॉ. हर्षवंती बिष्ट हाल ही में नेपाल से कल्चरल एंड एनवायरमेंटल कंजरवेसन पर हिलेरी माउंटेन लिगसी अवॉर्ड लेकर लौटी हैं।
पढ़ें, मंडप में दुल्हन ने किया सुहाग का कत्ल!विवेकानंद ग्राम जोगीवाला निवासी डॉ. हर्षवंती डोईवाला डिग्री कॉलेज में प्राचार्या हैं। गोमुख के बदलते स्वरूप पर डॉ. बिष्ट किताब लिख रही हैं। साथ ही पिक्टोरियल भी तैयार करने की कोशिश में हैं।
इसमें 1978 से वर्तमान समय की दुर्लभ तस्वीरें देंगी। बताया कि करीब 35 साल से वे गंगोत्री जा रही हैं। इस दौरान ग्लेशियर काफी पीछे खिसक गया है।
पढ़ें, ...तो क्या पीडीएफ लगाएगी कांग्रेस की नैया पार70-80 के दशक में असीमित पर्यटकों के आगमन ने संतुलन बिगाड़ दिया था, लेकिन 1989 में राष्ट्रीय पार्क बनने के बाद पर्यटकों की संख्या सीमित हुई। 2000 में संख्या कम किए जाने की बात कही गई, जिसके बाद से सुधार हो रहा है।
अब जहां-तहां कचरा नहीं दिखता, वनस्पति जरूर दिखती है। भरड़ आसानी से दिखाई देते हैं। पिछले दौरे में भूरा भालू और स्नो लैपर्ड देखने को मिले थे।
पढ़ें, 'भगत सिंह कोश्यारी पर भारी पड़ेंगे एनडी तिवारी'कहा कि सरकार भी अब कुछ सजग हुई है और कई निजी संस्थाएं भी काम कर रही हैं। बताया कि नेपाल में 1984 में एवरेस्ट दल का सदस्य रहते हुए उनका रुझान पर्यावरण संरक्षण की ओर बढ़ा।
इसके बाद वे गोमुख क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए भोजपत्र और सेलिक्स की पौध की नर्सरी तैयार कर रही हैं। अभी तक हजारों पौधे लगाए जा चुके हैं। इस कार्य के लिए ही उनको अवॉर्ड भी मिला है।
बर्फ से ढके गंगोत्री-गोमुख क्षेत्र में भोजपत्र के पौधों की नर्सरी बनाकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम कर रही डॉ. हर्षवंती बिष्ट अब लोगों को गोमुख के बदलते स्वरूप से रू-ब-रू कराने की तैयारी कर रही हैं।
पढ़ें, एक पत्थर उछाला और आसमान में कर दिया 'सुराख'
अर्जुन अवॉर्डी पर्वतारोही और पर्यावरणविद डॉ. हर्षवंती बिष्ट हाल ही में नेपाल से कल्चरल एंड एनवायरमेंटल कंजरवेसन पर हिलेरी माउंटेन लिगसी अवॉर्ड लेकर लौटी हैं।
पढ़ें, मंडप में दुल्हन ने किया सुहाग का कत्ल!
विवेकानंद ग्राम जोगीवाला निवासी डॉ. हर्षवंती डोईवाला डिग्री कॉलेज में प्राचार्या हैं। गोमुख के बदलते स्वरूप पर डॉ. बिष्ट किताब लिख रही हैं। साथ ही पिक्टोरियल भी तैयार करने की कोशिश में हैं।
इसमें 1978 से वर्तमान समय की दुर्लभ तस्वीरें देंगी। बताया कि करीब 35 साल से वे गंगोत्री जा रही हैं। इस दौरान ग्लेशियर काफी पीछे खिसक गया है।
पढ़ें, ...तो क्या पीडीएफ लगाएगी कांग्रेस की नैया पार
70-80 के दशक में असीमित पर्यटकों के आगमन ने संतुलन बिगाड़ दिया था, लेकिन 1989 में राष्ट्रीय पार्क बनने के बाद पर्यटकों की संख्या सीमित हुई। 2000 में संख्या कम किए जाने की बात कही गई, जिसके बाद से सुधार हो रहा है।
अब जहां-तहां कचरा नहीं दिखता, वनस्पति जरूर दिखती है। भरड़ आसानी से दिखाई देते हैं। पिछले दौरे में भूरा भालू और स्नो लैपर्ड देखने को मिले थे।
पढ़ें, 'भगत सिंह कोश्यारी पर भारी पड़ेंगे एनडी तिवारी'
कहा कि सरकार भी अब कुछ सजग हुई है और कई निजी संस्थाएं भी काम कर रही हैं। बताया कि नेपाल में 1984 में एवरेस्ट दल का सदस्य रहते हुए उनका रुझान पर्यावरण संरक्षण की ओर बढ़ा।
इसके बाद वे गोमुख क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए भोजपत्र और सेलिक्स की पौध की नर्सरी तैयार कर रही हैं। अभी तक हजारों पौधे लगाए जा चुके हैं। इस कार्य के लिए ही उनको अवॉर्ड भी मिला है।