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Amar ujala dehradun 26th foundation day Padma Shri Dr. Madhuri Barthwal Share memoirs Uttarakhand news
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Amar Ujala Dehradun: शुक्रिया...आपके स्नेह-विश्वास ने बनाए रखा नंबर-1, पढ़ें पद्मश्री डॉ माधुरी का ये संस्मरण
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Published by: रेनू सकलानी
Updated Sat, 25 Feb 2023 12:53 PM IST
Amar Ujala Dehradun 26th Foundation Day: पद्मश्री डॉ माधुरी बड़थ्वाल का कहती हैं कि मैं अमर उजाला के विभिन्न कार्यक्रमों का हिस्सा बनी हूं। महिलाओं को समर्पित अमर उजाला की मुहिम अपराजिता ने मुझे बहुत आकर्षित किया।
नारी शक्ति पुरस्कार लेती डॉ. माधुरी बड़थ्वाल
- फोटो : अमर उजाला फाइल फोटो
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अमर उजाला से मेरी यादें उस समय से जुड़ी हैं, जब मैं बहुत छोटी थी। तभी से अमर उजाला की नियमित पाठक रही हूं। तब हम लैंसडौन कोटद्वार में रहते थे। उस वक्त शायद वहां मेरठ या बरेली से छपकर अखबार पहुंचता था। बाद में मैं जब रेडियो से जुड़ी तो अमर उजाला में समसामयिक विषयों पर छपने वाले लेखों ने मुझे कई कार्यक्रमों को तैयार करने में मदद की।
उस वक्त पढ़ाई जारी रखने के साथ ही खाली वक्त में मैं आकाशवाणी नजीबाबाद के लिए संगीत कार्यक्रम तैयार करती थी। यहां से प्रसारित होने वाले 'धरोहर' कार्यक्रम के माध्यम से हम लोकगाथा, गीत, संगीत का प्रचार प्रसार करते थे। इस कार्यक्रम के लिए तैयार होने वाली सृजनात्मक सामग्री के लिए हम अमर उजाला में छपे लेखों की मदद लेते थे।
इस कार्यक्रम के बारे में एक बार वर्ष 2002 में एक लेख अमर उजाला में भी छपा था। एक बार का किस्सा याद आता है। अमर उजाला के किसी लेख मेंं मैंने देखा कि उसमें लिखा है, कविलास का मतलब होता है फूल। यह गलत था। कविलास का मतलब होता है कैलास पर्वत। तब मैंने अमर उजाला के दफ्तर में फोन कर संपादक से बात की। संपादक कौन थे, याद नहीं। लेकिन, उन्होंने मेरी बात को बहुत सहर्ष भाव से सुना और उसे स्वीकार किया।
मैं जानती हूं, अखबारों में भी इंसान ही काम करते हैं, ..और वह इंसान ही क्या, जो गलती न करे। मैंने इस भाव से फोन नहीं किया था कि अखबार में गलत क्यों छपा, बल्कि यह मेरी अखबार के प्रति प्रेम और अभिरूचि थी, जिसे मैंने अपना फर्ज समझकर निभाया। अमर उजाला ने हमेशा से उत्तराखंड के तीज-त्योहारों और यहां की संस्कृति को आगे बढ़ाने में मदद की है।
मैंने अपना जीवन इन्हीं कामों को समर्पित किया है। इसलिए इस अखबार से हमेशा से एक रिश्ता सा बना रहा। जब पद्मश्री के लिए मेरे नाम की घोषणा हुई तो इत्तेफाक से यह खबर भी अमर उजाला में सबसे पहले छपी थी। मुझे बचपन से ही पढ़ने का बहुत शौक था, यही वजह थी कि मैं समय निकालकर पूरा अखबार पढ़ लेती थे।
संपादकीय पृष्ठ पढ़ना शुरू से मेरी अभिरूचि रही। शनिवार रविवार को आने वाले विशेषांक और कहानी किस्सों का कोना भी मुझे बहुत पसंद रहा है। मैं अमर उजाला के विभिन्न कार्यक्रमों का हिस्सा बनी हूं। महिलाओं को समर्पित अमर उजाला की मुहिम अपराजिता ने मुझे बहुत आकर्षित किया।
-पद्मश्री डॉ माधुरी बड़थ्वाल, संगीत निर्देशिका, लेखिका
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