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UPSC sends names of three IPS officers to Punjab government for new DGP
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पंजाब: बीके भावरा हो सकते हैं नए डीजीपी, सिद्धू की उम्मीदों पर फिरा पानी, चहेते अधिकारी का नाम लिस्ट में नहीं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Tue, 04 Jan 2022 10:39 PM IST
सार
पंजाब को जल्द ही नया पुलिस प्रमुख मिल जाएगा। मंगलवार को तीन आईपीएस अधिकारियों के नाम का पैनल संघ लोक सेवा आयोग ने पंजाब सरकार को भेज दिया है। इन्हीं तीन अधिकारियों में से किसी एक को पंजाब का पुलिस महानिदेशक बनाया जाएगा। खास बात यह है कि इस सूची में नवजोत सिंह सिद्धू के चहेते आईपीएस सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय का नाम शामिल नहीं है।
दिनकर गुप्ता व बीके भावरा।
- फोटो : फाइल
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संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने पंजाब में नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के लिए तीन आईपीएस अधिकारियों के नाम राज्य सरकार को सौंप दिए हैं। इन नामों में मौजूदा डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय का नाम शामिल नहीं है। तीन नामों में दिनकर गुप्ता, बीके भावरा और प्रबोध कुमार हैं। राज्य सरकार को अब इन तीनों अधिकारियों में से किसी एक को डीजीपी नियुक्त करना होगा। इस बीच, सूत्रों के अनुसार, दिनकर गुप्ता और प्रबोध कुमार केंद्र सरकार में डेपुटेशन पर जाने की इच्छा जता चुके हैं और उन्होंने डीजीपी पद पर नियुक्ति से इंकार कर दिया है। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि बीके भावरा पंजाब के नए डीजीपी होंगे।
मंगलवार को नई दिल्ली में हुई यूपीएससी की बैठक में पंजाब सरकार की ओर से भेजे अधिकारियों के पैनल पर फिर से विचार हुआ, क्योंकि इससे पहले यूपीएससी ने कट ऑफ डेट की आपत्ति के साथ पैनल वापस लौटा दिया था कि पैनल में केवल उन्हीं अधिकारियों के नाम शामिल हों, जिनके पास पैनल भेजे जाने की तिथि से अगले छह माह तक का कार्यकाल बचा हो।
यूपीएससी के अनुसार अगर कट ऑफ डेट पांच अक्तूबर मानी जाती तो चट्टोपाध्याय, चौधरी और तिवारी तीनों डीजीपी पद की दौड़ से बाहर हो जाते क्योंकि 31 मार्च 2022 तक इनके पास छह माह का कार्यकाल नहीं बचा था। पंजाब सरकार ने इस पर यूपीएससी को पत्र लिखकर उक्त नियम में ढील दिए जाने की अपील भी की और 30 सितंबर 2021 को कट ऑफ डेट मानने को कहा लेकिन आखिरकार यूपीएससी ने नियमों का हवाला देते हुए बीके भावरा, दिनकर गुप्ता और प्रबोध कुमार के नाम राज्य सरकार को सौंप दिए।
वीके बावरा 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और इस समय डीजीपी होमगार्ड तैनात हैं। वे विजिलेंस चीफ के तौर पर भी काम कर चुके हैं। यूपीएससी को भेजे गए पैनल में उनका नाम सबसे ऊपर रहा है। वह 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग द्वारा पूरे प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए थे। इस बार भावरा की डीजीपी पद पर नियुक्ति ऐसे समय में हो रही है, जब राज्य में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है।
नवजोत सिद्धू ने चहेते अफसर पर गिरी गाज
पंजाब में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने जब अपने पसंदीदा अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को कार्यकारी डीजीपी नियुक्त किया तो पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू को यह इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने प्रधान पद से अपना इस्तीफा पार्टी हाईकमान को भेज दिया। दरअसल, सिद्धू डीजीपी पद पर सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को नियुक्त कराना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने इस्तीफे जैसा अस्त्र भी इस्तेमाल कर डाला।
आखिरकार सिद्धू के दबाव में ही हाईकमान के इशारे पर चन्नी सरकार ने नए डीजीपी के लिए अफसरों का पैनल यूपीएससी को भेजा और इकबाल प्रीत सिंह सहोता को हटाकर सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को कार्यकारी डीजीपी लगा दिया, क्योंकि चट्टोपाध्याय को पक्के तौर पर डीजीपी लगाना था, इसलिए यूपीएससी को भेजे पैनल में उनका नाम प्रमुखता से रखा गया लेकिन इस पद पर नियुक्ति के तय नियमों ने नवजोत सिद्धू के इरादों पर पानी फेर दिया और यूपीएससी ने चट्टोपाध्याय का नाम डीजीपी पैनल से ही बाहर कर दिया। वहीं, मुख्यमंत्री चन्नी को भी झटका लगा है क्योंकि इकबाल प्रीत सिंह सहोता भी इस पद की दौड़ से बाहर हो गए हैं। राज्य सरकार के पैलन में सहोता का नाम सातवें स्थान पर रखा गया था।
यूपीएससी पैनल ने क्या दी थी दलील
यूपीएससी का कहना था कि पंजाब सरकार ने 30 सितंबर, 2021 को जो पैनल भेजा, उसमें पूर्व डीजीपी दिनकर गुप्ता का नाम भी शामिल था जबकि दिनकर गुप्ता उस समय अवकाश पर थे। यानी 30 सितंबर को प्रदेश के डीजीपी का पद खाली नहीं था। ऐसे में पैनल भेजने का ही औचित्य नहीं रह गया था और जो अधिकारी डीजीपी लगा है, उसी का नाम डीजीपी लगाने के लिए पैनल में भी भेज दिया गया।
यूपीएससी का कहना था कि दिनकर गुप्ता चार अक्तूबर तक एक हफ्ते के अवकाश पर थे, तब 4 अक्तूबर को सरकार ने गुप्ता को हटाकर इकबाल प्रीत सिंह सहोता को कार्यकारी डीजीपी नियुक्त कर दिया। इस लिहाज से पैनल की कट ऑफ डेट पांच अक्तूबर बनती है क्योंकि पंजाब में पांच अक्तूबर को डीजीपी का पद खाली हो चुका था।
विस्तार
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने पंजाब में नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के लिए तीन आईपीएस अधिकारियों के नाम राज्य सरकार को सौंप दिए हैं। इन नामों में मौजूदा डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय का नाम शामिल नहीं है। तीन नामों में दिनकर गुप्ता, बीके भावरा और प्रबोध कुमार हैं। राज्य सरकार को अब इन तीनों अधिकारियों में से किसी एक को डीजीपी नियुक्त करना होगा। इस बीच, सूत्रों के अनुसार, दिनकर गुप्ता और प्रबोध कुमार केंद्र सरकार में डेपुटेशन पर जाने की इच्छा जता चुके हैं और उन्होंने डीजीपी पद पर नियुक्ति से इंकार कर दिया है। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि बीके भावरा पंजाब के नए डीजीपी होंगे।
मंगलवार को नई दिल्ली में हुई यूपीएससी की बैठक में पंजाब सरकार की ओर से भेजे अधिकारियों के पैनल पर फिर से विचार हुआ, क्योंकि इससे पहले यूपीएससी ने कट ऑफ डेट की आपत्ति के साथ पैनल वापस लौटा दिया था कि पैनल में केवल उन्हीं अधिकारियों के नाम शामिल हों, जिनके पास पैनल भेजे जाने की तिथि से अगले छह माह तक का कार्यकाल बचा हो।
यूपीएससी के अनुसार अगर कट ऑफ डेट पांच अक्तूबर मानी जाती तो चट्टोपाध्याय, चौधरी और तिवारी तीनों डीजीपी पद की दौड़ से बाहर हो जाते क्योंकि 31 मार्च 2022 तक इनके पास छह माह का कार्यकाल नहीं बचा था। पंजाब सरकार ने इस पर यूपीएससी को पत्र लिखकर उक्त नियम में ढील दिए जाने की अपील भी की और 30 सितंबर 2021 को कट ऑफ डेट मानने को कहा लेकिन आखिरकार यूपीएससी ने नियमों का हवाला देते हुए बीके भावरा, दिनकर गुप्ता और प्रबोध कुमार के नाम राज्य सरकार को सौंप दिए।
1987 बैच के आईपीएस हैं वीके भावरा
वीके बावरा 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और इस समय डीजीपी होमगार्ड तैनात हैं। वे विजिलेंस चीफ के तौर पर भी काम कर चुके हैं। यूपीएससी को भेजे गए पैनल में उनका नाम सबसे ऊपर रहा है। वह 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग द्वारा पूरे प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए थे। इस बार भावरा की डीजीपी पद पर नियुक्ति ऐसे समय में हो रही है, जब राज्य में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है।
नवजोत सिद्धू ने चहेते अफसर पर गिरी गाज
पंजाब में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने जब अपने पसंदीदा अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को कार्यकारी डीजीपी नियुक्त किया तो पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू को यह इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने प्रधान पद से अपना इस्तीफा पार्टी हाईकमान को भेज दिया। दरअसल, सिद्धू डीजीपी पद पर सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को नियुक्त कराना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने इस्तीफे जैसा अस्त्र भी इस्तेमाल कर डाला।
आखिरकार सिद्धू के दबाव में ही हाईकमान के इशारे पर चन्नी सरकार ने नए डीजीपी के लिए अफसरों का पैनल यूपीएससी को भेजा और इकबाल प्रीत सिंह सहोता को हटाकर सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को कार्यकारी डीजीपी लगा दिया, क्योंकि चट्टोपाध्याय को पक्के तौर पर डीजीपी लगाना था, इसलिए यूपीएससी को भेजे पैनल में उनका नाम प्रमुखता से रखा गया लेकिन इस पद पर नियुक्ति के तय नियमों ने नवजोत सिद्धू के इरादों पर पानी फेर दिया और यूपीएससी ने चट्टोपाध्याय का नाम डीजीपी पैनल से ही बाहर कर दिया। वहीं, मुख्यमंत्री चन्नी को भी झटका लगा है क्योंकि इकबाल प्रीत सिंह सहोता भी इस पद की दौड़ से बाहर हो गए हैं। राज्य सरकार के पैलन में सहोता का नाम सातवें स्थान पर रखा गया था।
यूपीएससी पैनल ने क्या दी थी दलील
यूपीएससी का कहना था कि पंजाब सरकार ने 30 सितंबर, 2021 को जो पैनल भेजा, उसमें पूर्व डीजीपी दिनकर गुप्ता का नाम भी शामिल था जबकि दिनकर गुप्ता उस समय अवकाश पर थे। यानी 30 सितंबर को प्रदेश के डीजीपी का पद खाली नहीं था। ऐसे में पैनल भेजने का ही औचित्य नहीं रह गया था और जो अधिकारी डीजीपी लगा है, उसी का नाम डीजीपी लगाने के लिए पैनल में भी भेज दिया गया।
यूपीएससी का कहना था कि दिनकर गुप्ता चार अक्तूबर तक एक हफ्ते के अवकाश पर थे, तब 4 अक्तूबर को सरकार ने गुप्ता को हटाकर इकबाल प्रीत सिंह सहोता को कार्यकारी डीजीपी नियुक्त कर दिया। इस लिहाज से पैनल की कट ऑफ डेट पांच अक्तूबर बनती है क्योंकि पंजाब में पांच अक्तूबर को डीजीपी का पद खाली हो चुका था।
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