पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
चंडीगढ़। वर्तमान डिजिटल युग में मनुष्य में धैर्य की कमी और हिसंक प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। गांधी जयंती के मौके पर युवाओं से बातचीत में उन्होंने बताया हमारे व्यवहार में धैर्य खत्म हो गया है। हम हर छोटी बात पर लड़ाई करने के लिए उग्र रहते हैं। सोशल मीडिया पर एक लाइन पढ़कर हम एक-दूसरे पर लाठियों से वार करने लगते हैं। गांधीजी के जीवन से युवाओं को धैर्य, अहिंसा, सहिष्णुता, अनुशासन, समय पाबंधी इत्यादि सीखकर अपने जीवन में उतारने की जरूरत है।
क्या कहते हैं युवा
गांधीजी के स्वराज के विचार आज भी प्रासंगिक
डिजिटल युग में हम सोशल मीडिया पोस्ट और गीतकारी को ही संपूर्ण जानकारी मान लेते हैं। गांधी जी को जानने के लिए युवा को सोशल मीडिया पोस्ट की बजाय किताबों के माध्यम से उनके जीवन के बारे में पढ़ने की जरूरत है। एग्रो इंडस्ट्री, छोटे कुटीर उद्योग इत्यादि को बढ़ावा देने और स्वराज जैसे उनके विचार आज भी प्रासंगिक है। - मनप्रीत माहल, छात्र, गांधीयन एंड पीस स्टडीज, पीयू
गांधीजी को अपना आदर्श बनाएं युवा
आज युवाओं के लिए गांधी जयंती स्कूल और कॉलेज की छुट्टी तक ही सीमित रह गए हैं। पूरी दुनिया उनके विचारों पर रिसर्च कर रही है और हम उन्हें भूलते जा रहे हैं। वर्तमान में युवाओं की परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें गांधी जी को आदर्श बनाने की जरूरत है। अहिंसा और अनुशासन जैसे विचार युवाओं की प्रगति के लिए बहुत जरुरी है। -निखिल नरमेटा, इंजीनियरिंग छात्र, पीयू
अहिंसा और सच्चाई की हमेशा जीत होती है
वर्तमान में लोगों में हिंसक प्रवृति बढ़ती जा रही है। लोगों में आपसी प्यार और सहिष्णुता का भाव खत्म होता जा रहा है। आज हमें देश और समाज की प्रगति के लिए अहिंसा और सच्चाई जैसे गांधीजी के विचारों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। - बेनजीर, लॉ छात्रा, पीयू
समय की पाबंदी और अनुशासन सीखें युवा
गांधीजी समय के पाबंद थे। वह हर काम समय से पूरा करते थे। इसके अलावा अनुशासन, अहिंसा इत्यादि गुणों को युवाओं को आज अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। आज हम हर छोटी बात पर या तो कोर्ट चले जाते हैं या लाठियां उठा लेते हैं। हमारे व्यवहार में शांति से मिलकर मुद्दों का हल निकालने की प्रवृति ख़त्म होती जा रही है। - हैप्पी, हिंदी पीएचडी छात्र, पीयू
चंडीगढ़। वर्तमान डिजिटल युग में मनुष्य में धैर्य की कमी और हिसंक प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। गांधी जयंती के मौके पर युवाओं से बातचीत में उन्होंने बताया हमारे व्यवहार में धैर्य खत्म हो गया है। हम हर छोटी बात पर लड़ाई करने के लिए उग्र रहते हैं। सोशल मीडिया पर एक लाइन पढ़कर हम एक-दूसरे पर लाठियों से वार करने लगते हैं। गांधीजी के जीवन से युवाओं को धैर्य, अहिंसा, सहिष्णुता, अनुशासन, समय पाबंधी इत्यादि सीखकर अपने जीवन में उतारने की जरूरत है।
क्या कहते हैं युवा
गांधीजी के स्वराज के विचार आज भी प्रासंगिक
डिजिटल युग में हम सोशल मीडिया पोस्ट और गीतकारी को ही संपूर्ण जानकारी मान लेते हैं। गांधी जी को जानने के लिए युवा को सोशल मीडिया पोस्ट की बजाय किताबों के माध्यम से उनके जीवन के बारे में पढ़ने की जरूरत है। एग्रो इंडस्ट्री, छोटे कुटीर उद्योग इत्यादि को बढ़ावा देने और स्वराज जैसे उनके विचार आज भी प्रासंगिक है। - मनप्रीत माहल, छात्र, गांधीयन एंड पीस स्टडीज, पीयू
गांधीजी को अपना आदर्श बनाएं युवा
आज युवाओं के लिए गांधी जयंती स्कूल और कॉलेज की छुट्टी तक ही सीमित रह गए हैं। पूरी दुनिया उनके विचारों पर रिसर्च कर रही है और हम उन्हें भूलते जा रहे हैं। वर्तमान में युवाओं की परिस्थितियों को देखते हुए उन्हें गांधी जी को आदर्श बनाने की जरूरत है। अहिंसा और अनुशासन जैसे विचार युवाओं की प्रगति के लिए बहुत जरुरी है। -निखिल नरमेटा, इंजीनियरिंग छात्र, पीयू
अहिंसा और सच्चाई की हमेशा जीत होती है
वर्तमान में लोगों में हिंसक प्रवृति बढ़ती जा रही है। लोगों में आपसी प्यार और सहिष्णुता का भाव खत्म होता जा रहा है। आज हमें देश और समाज की प्रगति के लिए अहिंसा और सच्चाई जैसे गांधीजी के विचारों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। - बेनजीर, लॉ छात्रा, पीयू
समय की पाबंदी और अनुशासन सीखें युवा
गांधीजी समय के पाबंद थे। वह हर काम समय से पूरा करते थे। इसके अलावा अनुशासन, अहिंसा इत्यादि गुणों को युवाओं को आज अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। आज हम हर छोटी बात पर या तो कोर्ट चले जाते हैं या लाठियां उठा लेते हैं। हमारे व्यवहार में शांति से मिलकर मुद्दों का हल निकालने की प्रवृति ख़त्म होती जा रही है। - हैप्पी, हिंदी पीएचडी छात्र, पीयू