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पंजाब सरकार ने शराब कारोबार के एल-1 लाइसेंस रद्द करने की तैयारी कर ली है। राज्य में दिल्ली की तर्ज पर नई आबकारी नीति बनने के बाद सीबीआई और ईडी की ताबड़तोड़ कार्रवाई ने शराब के कारोबार को एक तरह से हिलाकर रख दिया है। आबकारी एवं कराधान विभाग ने फिलहाल नई पॉलिसी पर रोक लगाई है। सरकार की इस तैयारी से राज्य में शराब के थोक कारोबारियों को झटका लग सकता है।
गौर हो कि बीते दिनों पंजाब आबकारी विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारियों के घरों की तलाशी और उनसे पूछताछ की गई थी, जिससे सूबे की अफसरशाही में हड़कंप की स्थिति हो गई थी। इसकी वजह से अधिकारी भी पंजाब में लाइसेंस रद्द करने के पक्ष में हैं। इस मामले को आबकारी एवं कराधान मंत्री हरपाल सिंह चीमा के ध्यान में लाया जा चुका है।
सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों द्वारा सौंपी गई फील्ड रिपोर्ट को भी इसका आधार माना जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एल-1 लाइसेंस धारक कुछ विशेष ब्रांड की शराब की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए अन्य कई नामी ब्रांड की शराब सप्लाई नहीं कर रहे हैं। कई लाइसेंस धारक तो शराब की सप्लाई ही नहीं दे रहे, इससे छोटे ठेकेदारों को दिक्कतें पेश आ रही हैं। अगर एल-1 लाइसेंस रद्द होते हैं तो छोटे कारोबारियों को भी सीधे डिस्टिलरी से शराब की खरीद करनी पड़ेगी।
विभाग ने नई नीति के तहत देसी शराब के एल-1 लाइसेंस के लिए 40 लाख और अंग्रेजी शराब के एल-1 लाइसेंस के लिए चार करोड़ रुपये फीस वसूली है। ऐसे में सरकार अगर लाइसेंस रद्द करती है तो उसे संबंधित लाइसेंस धारकों को फीस लौटानी पड़ेगी।