चंडीगढ़। अब पीजीआई में दो अलग-अलग टीमें लीवर प्रत्यारोपण करेंगी। इससे एक लीवर के गंभीर मरीजों को काफी राहत मिलगा। यह जानकारी पीजीआई हेपेटॉलजी विभाग के प्रमुख प्रो. वीरेंद्र सिंह ने शुक्रवार को दी। उन्होंने बताया कि 2011 से पीजीआई में लीवर प्रत्यारोपण किया जा रहा है लेकिन अब एक और टीम ने मोर्चा संभाल लिया है। नई टीम में शामिल डॉ. टीडी यादव, डॉ. विकास गुप्ता और डॉ. हरिजीत पिछले एक वर्ष से लीवर प्रत्यारोपण कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने 7 सफल प्रत्यारोपण किए हैं। अब दोनों टीम काम करेंगी।
प्रो. वीरेंद्र ने बताया कि पीजीआई में लीवर संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए सबसे ज्यादा मरीज पंजाब से आ रहे हैं। इसका कारण शराब का अत्यधिक सेवन है। इसके साथ ही मोटापा और हेपेटाइटिस-सी भी इसका मुख्य कारण है। प्रो. वीरेंद्र ने बताया कि निजी अस्पतालों में लीवर प्रत्यारोपण पर 40 लाख रुपये तक का खर्च आ रहा है जबकि पीजीआई में 10 लाख रुपये का खर्च आ रहा है। वहीं अगर समय रहते इलाज शुरू करा दिया जाए तो इससे बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि विकास की कड़ी में पीजीआई के नेहरू एक्सटेंशन स्थित नए हेपेटॉलजी सेंटर का शुभारंभ 12 जुलाई को किया जाएगा।
अब तक 64 लीवर ट्रांसप्लांट हो चुके हैं पीजीआई में
इस अवसर पर मौजूद पीजीआई के चिकित्सा अधीक्षक व रोटो के नोडल अधिकारी प्रो. विपिन कौशन ने बताया कि 2011 से अब तक पीजीआई में 64 लीवर प्रत्यारोपित किए जा चुके हैं। जबकि एक लाइव ट्रांसप्लांट किया जा चुका है। इसके अलावा 499 किडनी, सात हृदय, 35 पैंक्रियाज, एक फेफड़ा और 6,375 कोर्निया प्रत्यारोपित किया जा चुका है। अब तक अंगदान पर 637 जागरुकता अभियान चलाया जा चुका है। वहीं 18 हजार लोगों को अंगदान की शपथ दिलाई जा चुकी है।
फाइबर स्कैन जरूर कराएं, लिवर की समस्या का चल जाएगा पता
जो लोग मोटापा, हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त हैं या शराब आदि का सेवन करते हैं उन्हें फाइबर स्कैन जरूर कराना चाहिए। इसके अलावा एक सामान्य व्यक्ति को भी अपने जीवन में फाइबर स्कैन जरूर कराना चाहिए ताकि लिवर की कोई समस्या पनप भी रही हो तो उसका समय पर पता लगाया जा सके। फाइबर स्कैन के जरिए लिवर से जुड़ी हर समस्या का पता लगाया जा सकता है।