न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Mon, 20 Sep 2021 07:51 PM IST
कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद अब विरोधी खेमें के बीच ही खींचतान शुरु हो गई है। पहले तो विधायक दल का नया नेता चुनने में ही दो दिन लग गए। जैसे-तैसे मुख्यमंत्री पद के लिए चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर मुहर लगी लेकिन इसके बाद डिप्टी सीएम के पदों को लेकर विवाद खड़ा हो गया।
सुखजिंदर सिंह रंधावा जोकि जाट-सिख के तौर पर कल तक खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर पेश कर रहे थे, को सोमवार को डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ लेनी पड़ी। डिप्टी सीएम का दूसरा पद कैप्टन के खासमखास विधायक ब्रह्म मोहिंदरा को देने पर रविवार रात ही मुहर लगा दी गई थी लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्दू को यह नागवार गुजरा।
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सुबह होने तक उन्होंने हाईकमान को मना लिया कि मोहिंदरा को डिप्टी सीएम न बनाया जाए। इसकी जगह उन्होंने ओपी सोनी के नाम का प्रस्ताव हाईकमान को दिया। बीते पांच महीनों के दौरान पंजाब कांग्रेस के विवाद में सोनी ही ऐसे नेता रहे, जिन्होंने चुप्पी साधे रखी और किसी भी खेमें के साथ दिखाई नहीं दिए। सोमवार सुबह शपथ ग्रहण से एक घंटा पहले मोहिंदरा के स्थान पर सोनी को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला लिया गया।
उल्लेखनीय है कि रविवार रात कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पवन बंसल ने ट्वीट कर यह जानकारी दी थी कि चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के साथ ही ब्रह्म मोहिंदरा और सुखजिंदर रंधावा को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी लेकिन सुबह होते ही नाम बदल गए। बंसल ने सोमवार को अपना पुराना ट्वीट डिलीट कर नया ट्वीट किया। इसमें उन्होंने अपने कल के गलत ट्वीट के लिए खेद प्रकट किया।
यह भी पढ़ें- ताजपोशी के बाद एक्शन में सीएम चन्नी: किसानों के बकाया बिल माफ, हड़ताली कर्मियों से काम पर लौटने की अपील
सिद्धू का खुला विरोध करते रहे हैं मोहिंदरा
नवजोत सिद्धू को प्रदेश प्रधान बनाए जाने के बाद जब पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया तो ब्रह्म मोहिंदरा ही कैप्टन के पहले ऐसे नजदीकी रहे, जिन्होंने स्पष्ट तौर सिद्धू का विरोध करते हुए कहा था कि वह भी सिद्धू से तब तक नहीं मिलेंगे जब तक कैप्टन के खिलाफ ट्वीट करने को लेकर वह माफी नहीं मांग लेते हैं।
विस्तार
कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद अब विरोधी खेमें के बीच ही खींचतान शुरु हो गई है। पहले तो विधायक दल का नया नेता चुनने में ही दो दिन लग गए। जैसे-तैसे मुख्यमंत्री पद के लिए चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर मुहर लगी लेकिन इसके बाद डिप्टी सीएम के पदों को लेकर विवाद खड़ा हो गया।
सुखजिंदर सिंह रंधावा जोकि जाट-सिख के तौर पर कल तक खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर पेश कर रहे थे, को सोमवार को डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ लेनी पड़ी। डिप्टी सीएम का दूसरा पद कैप्टन के खासमखास विधायक ब्रह्म मोहिंदरा को देने पर रविवार रात ही मुहर लगा दी गई थी लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्दू को यह नागवार गुजरा।
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सुबह होने तक उन्होंने हाईकमान को मना लिया कि मोहिंदरा को डिप्टी सीएम न बनाया जाए। इसकी जगह उन्होंने ओपी सोनी के नाम का प्रस्ताव हाईकमान को दिया। बीते पांच महीनों के दौरान पंजाब कांग्रेस के विवाद में सोनी ही ऐसे नेता रहे, जिन्होंने चुप्पी साधे रखी और किसी भी खेमें के साथ दिखाई नहीं दिए। सोमवार सुबह शपथ ग्रहण से एक घंटा पहले मोहिंदरा के स्थान पर सोनी को डिप्टी सीएम बनाने का फैसला लिया गया।
उल्लेखनीय है कि रविवार रात कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पवन बंसल ने ट्वीट कर यह जानकारी दी थी कि चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के साथ ही ब्रह्म मोहिंदरा और सुखजिंदर रंधावा को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी लेकिन सुबह होते ही नाम बदल गए। बंसल ने सोमवार को अपना पुराना ट्वीट डिलीट कर नया ट्वीट किया। इसमें उन्होंने अपने कल के गलत ट्वीट के लिए खेद प्रकट किया।
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सिद्धू का खुला विरोध करते रहे हैं मोहिंदरा
नवजोत सिद्धू को प्रदेश प्रधान बनाए जाने के बाद जब पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया तो ब्रह्म मोहिंदरा ही कैप्टन के पहले ऐसे नजदीकी रहे, जिन्होंने स्पष्ट तौर सिद्धू का विरोध करते हुए कहा था कि वह भी सिद्धू से तब तक नहीं मिलेंगे जब तक कैप्टन के खिलाफ ट्वीट करने को लेकर वह माफी नहीं मांग लेते हैं।