पानीपत सेक्टर 29 पार्ट टू में राकेश टेक्सटाइल में आग लगने दमकल विभाग की एक बार फिर पोल खुल गई। पर्दों की फैक्ट्री में सोमवार सुबह सात बजे आग लगी लेकिन आग पर शाम छह बजे तक भी पूर्ण रूप से काबू नहीं पाया गया। जिले के छह स्टेशन से गाड़ियों को बुलाया गया, जिनमें से 16 गाड़ियों ने 200 चक्कर लगाए लेकिन फिर भी आग की लपटें शांत नहीं हुईं।
फैक्ट्री मालिक राकेश खन्ना का दावा है कि करीब 25 करोड़ का नुकसान हुआ है। देर रात तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। इसका कारण आग को लगातार मिल रही ऑक्सीजन को बताया गया है। वहीं मालिक ने आरोप लगाया है कि एसोसिएशन ने प्रशासन से बार-बार फोम टेंडर के स्टेशन की मांग की थी लेकिन प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की।
पीड़ित राकेश खन्ना ने बताया कि उन्होंने 10 साल पहले सेक्टर 29 पार्ट टू में फैक्ट्री खरीदी थी, जिसका नाम उन्होंने राकेश टेक्सटाइल रखा था। फैक्ट्री में पर्दे बनाए जाते हैं। इस फैक्ट्री में लगभग 30 से 40 वर्कर काम करते हैं। उन्होंने बताया कि दो दिन फैक्ट्री बंद थी। सोमवार सवा छह बजे सुबह वर्करों ने ब्वॉयलर को चालू किया था और वह फर्स्ट फ्लोर पर जाकर बैठ गए थे।
उसके कुछ समय पश्चात सुबह करीब सात बजे उन्हें नीचे से आग की लपटें दिखाई दीं तो उन्होंने मालिक को आग लगने की सूचना दी। वहीं मालिक ने सूचना मिलते ही दमकल विभाग को सूचना दी। सूचना मिलने के आधे घंटे बाद विभाग की चार गाड़ियां मौके पर पहुंचीं लेकिन आग की लपटें लगातार बढ़ने के बाद गाड़ियों के ड्राइवरों ने दूसरे स्टेशनों से गाड़ियां मंगाने की बात कही। जिसके बाद छह अलग-अलग स्टेशनों से 16 गाड़ियां मंगाई गईं, जिनमें पांच से छह गाड़ियां फोम टेंडर की थीं। सुबह सात बजे से लेकर शाम छह बजे तक आग पर पूर्ण रूप से काबू नहीं पाया गया।
मालिक ने बताया कि वह फैक्ट्री की शनिवार-रविवार की हमेशा छुट्टी करते आए हैं। इसलिए फैक्ट्री दो दिन से बंद थी लेकिन सोमवार को खोलकर वर्करों ने ब्वॉयलर को ऑन किया इसके बाद आग लगी। हालांकि आग लगने का मुख्य कारण तो उन्हें भी नहीं पता लेकिन आशंका है इसी प्रकार से आग लगी होगी।
फैक्ट्री में थे फॉयर सेफ्टी के सिलिंडर, प्रयोग करने पर भी नहीं बुझी तो किया विभाग को फोन
उन्होंने बताया कि आग लगने के बाद फैक्ट्री में आए 16 वर्करों ने मालिक को सूचना देने के बाद फैक्ट्री में स्थित फायर सेफ्टी के सभी सिलिंडरों का प्रयोग करना शुरू कर दिया था लेकिन उनसे आग नहीं बुझ पाई। लगातार आग बढ़ती गई, जिससे पूरी फैक्ट्री का माल जलकर राख हो गया।
गाड़ियों में नहीं था पानी, साथी उद्यमियों ने अपनी फैक्ट्री से भरवाया
उन्होंने बताया कि दमकल विभाग की जब गाड़ियां मौके पर पहुंची और जब एक बार उन्होंने आग बुझाने का प्रयास किया तो गाड़ियां खाली हो गईं। अब उनके लिए पानी का संकट हो गया लेकिन मालिक खन्ना के साथियों ने अपनी फैक्ट्रियों से पानी भरवाया और आग बुझाने की प्रक्रिया को दोबारा शुरू किया।
दो दिन पहले ही आया था 1.80 करोड़ का कच्चा माल
फैक्ट्री के वर्करों ने बताया कि मालिक का करोड़ों का नुकसान हुआ है। उन्होंने शुक्रवार को ही 1.80 लाख रुपये का कच्चा माल मंगाया था जिससे पर्दे तैयार करना था। उन्होंने बताया कि ग्राउंड फ्लोर पर मशीन लगी हुई थी। वहीं, दूसरे फ्लोर पर माल बनाया जा रहा था। इसके साथ माल को बनाकर तीसरे फ्लोर यानी गोदाम में रखा हुआ था। वह लोकल में ही बनाकर उसको बेचते थे।
बता दें कि पानीपत जिले के छह स्टेशन, जिनमें लालबत्ती, सेक्टर 25, हाली झील नजदीक स्टेशन, रिफाइनरी, एनएफएल और समालखा से 16 गाड़ियों को आग बुझाने के लिए लगाया गया था। जिनमें छह गाड़ियां फोम टेंडर की थीं। आग इतनी भीषण लगी है कि आग पर दमकल विभाग की 16 गाड़ियों ने 200 चक्कर लगाए लेकिन फिर भी आग सुबह सात बजे से शाम छह बजे तक आग नहीं बुझ पाई। आग की लपटें लगातार बढ़तीं रहीं।
सुबह से चार बार बुझी लेकिन हर पांच मिनट पर लग जाती थी भीषण आग
बता दें कि सुबह सात बजे के बाद शाम छह बजे तक आग पर छह बार काबू पाया गया लेकिन आग बुझने के हर पांच मिनट बाद अपना भीषण रूप ले लेती है। दमकल कर्मियों के लिए मुख्य समस्या यह आ रही है कि फैक्ट्री जलने से खत्म हो चुकी है, जिसके कारण वह फैक्ट्री के अंदर नहीं घुस सके और बाहर से ही प्रेसर से आग पर बुझाते रहे। वहीं, मालिक का आरोप है कि सुबह प्रथम तल पर आग थी, जिसको दमकल विभाग के कर्मियों ने बुझा दिया था लेकिन उन्हें पानी नहीं मिला और वह लेट हो गए, जिसके कारण आग दूसरे और तीसरे फ्लोर तक पहुंच गई।
दमकल विभाग पर मालिक ने यह लगाए आरोप
- सूचना देने के बाद भी आधे घंटे में पहुंचीं गाड़ियां।
- प्रशासन को शिकायत देने के बाद भी इंडस्ट्रियल एरिया में नहीं फोम टेंडर स्टेशन।
- गाड़ियों के पास नहीं मिला पानी।
- दो बार 30-30 मिनट देरी हुई तो लगातार बढ़ी आग।
सरकार सुनवाई नहीं करती, उद्यमी बर्बाद हो रहे हैं: राणा
उद्योगों में आग लगने पर काबू पाने के लिए प्रशासन के पास कोई खास तकनीक नहीं है। पुराने वाहनों से आग बुझाई जाती है। इंडस्ट्रियल एरिया में फायर स्टेशन नहीं बनाया गया है। जब तक गाड़ियां मौके पर पहुंचती हैं उद्योग पूरी तरह जल चुका होता है। उनकी लंबे समय से मांग है कि यहां पर फॉम टेंडर गाड़ियों के लिए स्टेशन बनाया जाए, यहां उद्यमी बर्बाद हो रहे हैं। सरकार सुनवाई नहीं करती। -भीम राणा, प्रधान डायर्स एसोसिएशन।
पानीपत सेक्टर 29 पार्ट टू में राकेश टेक्सटाइल में आग लगने दमकल विभाग की एक बार फिर पोल खुल गई। पर्दों की फैक्ट्री में सोमवार सुबह सात बजे आग लगी लेकिन आग पर शाम छह बजे तक भी पूर्ण रूप से काबू नहीं पाया गया। जिले के छह स्टेशन से गाड़ियों को बुलाया गया, जिनमें से 16 गाड़ियों ने 200 चक्कर लगाए लेकिन फिर भी आग की लपटें शांत नहीं हुईं।
फैक्ट्री मालिक राकेश खन्ना का दावा है कि करीब 25 करोड़ का नुकसान हुआ है। देर रात तक आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। इसका कारण आग को लगातार मिल रही ऑक्सीजन को बताया गया है। वहीं मालिक ने आरोप लगाया है कि एसोसिएशन ने प्रशासन से बार-बार फोम टेंडर के स्टेशन की मांग की थी लेकिन प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की।
पीड़ित राकेश खन्ना ने बताया कि उन्होंने 10 साल पहले सेक्टर 29 पार्ट टू में फैक्ट्री खरीदी थी, जिसका नाम उन्होंने राकेश टेक्सटाइल रखा था। फैक्ट्री में पर्दे बनाए जाते हैं। इस फैक्ट्री में लगभग 30 से 40 वर्कर काम करते हैं। उन्होंने बताया कि दो दिन फैक्ट्री बंद थी। सोमवार सवा छह बजे सुबह वर्करों ने ब्वॉयलर को चालू किया था और वह फर्स्ट फ्लोर पर जाकर बैठ गए थे।
उसके कुछ समय पश्चात सुबह करीब सात बजे उन्हें नीचे से आग की लपटें दिखाई दीं तो उन्होंने मालिक को आग लगने की सूचना दी। वहीं मालिक ने सूचना मिलते ही दमकल विभाग को सूचना दी। सूचना मिलने के आधे घंटे बाद विभाग की चार गाड़ियां मौके पर पहुंचीं लेकिन आग की लपटें लगातार बढ़ने के बाद गाड़ियों के ड्राइवरों ने दूसरे स्टेशनों से गाड़ियां मंगाने की बात कही। जिसके बाद छह अलग-अलग स्टेशनों से 16 गाड़ियां मंगाई गईं, जिनमें पांच से छह गाड़ियां फोम टेंडर की थीं। सुबह सात बजे से लेकर शाम छह बजे तक आग पर पूर्ण रूप से काबू नहीं पाया गया।