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Chandigarh Administrator to inaugurate Shaheed Smarak in February
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चंडीगढ़: 48 साल बाद कार्बूजिए का सपना साकार, फरवरी में होगा कैपिटल कांप्लेक्स में बने शहीदी स्मारक का उद्घाटन
रिशु राज सिंह/अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Sun, 07 Nov 2021 05:06 PM IST
सार
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कैपिटल कांप्लेक्स को यूनेस्को से वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा प्राप्त है। यहां बनने वाले स्मारक पर विश्व की नजर है। स्मारक कैपिटल कांप्लेक्स में स्थित रैंप के पास पिंक स्टोन को जोड़कर बनाया जाएगा। प्रोजेक्ट पर कमेटी करीब दो साल से काम कर रही है। कमेटी ने पहले ली कार्बूजिए के डिजाइन को समझा और इसका स्केल मॉडल तैयार किया, जिसे सब कमेटी ने पास किया। ली कार्बूजिए के कहे अनुसार अधिकारी राजस्थान के बयाना गए और फिर स्मारक के लिए पत्थरों का चयन हुआ।
चंडीगढ़ के निर्माता ली कार्बूजिए ने कैपिटल कांप्लेक्स में एक शहीदी स्मारक बनाने का सपना देखा और डिजाइन बनाया लेकिन निर्माण शुरू कराने से पहले ही वर्ष 1965 में उनकी मृत्यु हो गई। आठ साल बाद वर्ष 1973 में प्रशासन ने उनके सपने पर काम करना शुरू किया लेकिन पूरा नहीं हो पाया। अब करीब 48 साल बाद ये स्मारक लगभग बनकर तैयार है और 21 फरवरी को प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित उद्घाटन करेंगे।
ली कार्बूजिए ने कैपिटल कांप्लेक्स में ओपन हैंड, जिओमेट्रिक हिल, टावर ऑफ शैडो और शहीदी स्मारक बनाने का सपना देखा था। यह शहीदी स्मारक वर्ष 1947 की आजादी की जंग में शहीद हुए लोगों की याद में बनाया जा रहा है। इसमें ब्रिटिश साम्राज्य का पतन और भारत रुपी शेर के उदय को दर्शाया जाएगा। स्मारक में पिलर रूपी ब्रिटिश साम्राज्य को गिरते हुए दिखाया जाएगा। ली कार्बूजिए ने अपनी योजना में बताया था कि स्मारक को बनाने में धौलपुर के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा चाहिए।
कार्बूजिए की मृत्यु के बाद वर्ष 1973 में विश्व विख्यात मूर्तिकार शंखो चौधरी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई। उन्होंने इस पर काम किया। उनके बाद विख्यात मूर्तिकार बीएन चुग ने भी काफी प्रयास किए लेकिन किन्हीं कारणों से ये स्मारक नहीं बन पाया। पूर्व प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने पुरानी फाइलें निकलवाईं और इस पर फिर काम शुरू कराया। वह खुद इसका उद्घाटन करना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। उन्होंने निर्माण के लिए जो कमेटी बनाई, उसमें पीसीएस सौरभ अरोड़ा, आर्किटेक्ट विभाग के राजीव मेहता, ललित कला अकादमी के भीम मल्होत्रा, आर्ट कॉलेज के प्रोफेसर राजेश शर्मा और विख्यात मूर्तिकार विशाल भटनागर को शामिल किया। कमेटी के सदस्यों ने काफी मेहनत की और फिर अब काम लगभग पूरा होने वाला है।
वर्ष 1973 के बाद से यह स्मारक अधूरा था। इसे पत्थरों को जोड़कर बनाया जाएगा। इसके लिए टीम के साथ मैं भी दो बार बयाना जा चुका हूं, जहां पत्थरों को देखकर आए हैं। फरवरी में इसका उद्घाटन किया जाएगा। यह ली कार्बूजिए का सपना है, इसलिए इसे जल्द पूरा किए जाने का प्रयास है। - सौरभ अरोड़ा, निदेशक, कला व साहित्य विभाग।
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