भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण या किसी अन्य एजेंसी की सहायता नहीं ली गई तो माता मनसा देवी मंदिर के प्राचीन भवन का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। दिनों दिन माता मनसा देवी मंदिर की प्रतिष्ठा दूर-दूर तक फैल रही है। इस साल 11 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मन्नत के लिए माता के दर पर दस्तक दी। इन्होंने मां के दरबार की भव्यता को बरकरार रखने के लिए करीब डेढ़ करोड़ से अधिक का चढ़ावा भी अर्पित किया।
सोने-चांदी व अन्य सामग्री अलग से चढ़ाई गई। अपनी मन्नतों के अलावा भक्तों की यह भी चाहत है कि माता के दरबार का चप्पा-चप्पा अनूठा, निराला और भव्य हो। मगर इसी दरबार परिसर में उन हिस्सों पर पर्दा डालने का काम हो रहा है, जिन्हें सजाने और संवारने की बजाय कुंडी बंद करके छोड़ दिया गया है। माता मनसा देवी की सीढ़ियों को चढ़ते ही दरबार में प्रवेश से पहले बाईं ओर भवन का प्राचीन भाग है।
इसमें दो सीढ़ियां ऊपर की ओर जाती हैं। इन सीढ़ियों के ऊपर चढ़ने पर सामने ऊपर भगवान की मूर्तियां और प्राचीन भित्ति चित्रों की अनूठी गैलरी नजर आती है। मगर इसे बेहद उपेक्षित हालत में छोड़ दिया गया है। इस जगह पर पूजा अर्चना नहीं होती है। सफाई और देखभाल करने की तो बात करना यहां बेमानी लगता है। गंदे कपड़े, कचरा और अन्य सामान इस प्राचीन भाग के भव्य अतीत को मुंह चिढ़ाता नजर आता है।
ये है सूरते हाल
1 - पुरानी सीढ़ियों का चूना निकल चुका है, ईंटें बाहर आ रही हैं
2 - अधिकांश प्राचीन भित्ति चित्रों का रख-रखाव करने की बजाय, इन पर सफेद चूने की पोताई कर दी गई है
3 - प्राचीन छत में लगे मधु मक्खियों के छत्तों को हटाने की व्यवस्था की बजाय आग लगाकर भित्ति चित्रों को काला कर दिया गया है
4 - छत में प्राचीन शैली में बनाए गए अधिकांश भित्ति चित्र खराब हो चुके हैं और कुछ जगहों पर बचे हैं।
5 - भवन परिसर में एक दरवाजे की ईंटें पूरी तरह से बाहर निकल चुकी हैं, जो कभी भी गिर सकता है।