न्यूज डेस्क, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Sat, 19 Dec 2020 12:29 AM IST
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को धान की पराली पर आधारित भारत के पहले ब्रिकेटिंग प्लांट का पटियाला में उद्घाटन किया। इस प्लांट की क्षमता 100 टन प्रतिदिन है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि नई तकनीक से राज्य में पराली के ठोस प्रबंधन से न केवल पर्यावरण प्रदूषण घटाने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे किसान समुदाय खासकर छोटे किसानों को पराली की बिक्री से अतिरिक्त आमदनी होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे प्लांट भविष्य में भी बनाए जाएंगे। इससे पंजाब में पराली की समस्या से निपटा जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि ब्रिकेटिंग कोयले की तुलना में आर्थिक तौर पर काफी किफायती है, क्योंकि कोयले की कीमत 10 हजार रुपये प्रति टन और ब्रिकेटिंग की कीमत 4500 रुपये प्रति टन है। तेल महंगा होने के कारण यह ऊर्जा का एक ज्यादा किफायती स्रोत बन गया है।
यह प्लांट पटियाला के कुलबुर्छां गांव में 5.50 करोड़ रुपये से पंजाब स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ओर से मैसर्ज पंजाब रिन्यूएबल एनर्जी सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के साथ हिस्सेदारी और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सहायता से क्लाइमेट चेंज एक्शन प्रोग्राम के अंतर्गत स्थापित किया गया है।
प्लांट के करीब 40 गांवों की पराली का हो सकेगा प्रबंधन
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तकनीक से प्लांट के पास के 40 गांवों की पराली को ग्रीन फ्यूल में बदला जा सकेगा। इससे न सिर्फ पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे स्वास्थ्य की समस्याओं से निजात पाने में भी मदद मिलेगी। यह प्लांट 45 हजार टन पराली के अवशेष का इस्तेमाल करके उद्योगों में जैविक ईंधन का विकल्प बनेगा, जिससे 78000 टन की हद तक कार्बन डाईऑक्साइड को घटाने में मदद मिलेगी।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को धान की पराली पर आधारित भारत के पहले ब्रिकेटिंग प्लांट का पटियाला में उद्घाटन किया। इस प्लांट की क्षमता 100 टन प्रतिदिन है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि नई तकनीक से राज्य में पराली के ठोस प्रबंधन से न केवल पर्यावरण प्रदूषण घटाने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे किसान समुदाय खासकर छोटे किसानों को पराली की बिक्री से अतिरिक्त आमदनी होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे प्लांट भविष्य में भी बनाए जाएंगे। इससे पंजाब में पराली की समस्या से निपटा जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि ब्रिकेटिंग कोयले की तुलना में आर्थिक तौर पर काफी किफायती है, क्योंकि कोयले की कीमत 10 हजार रुपये प्रति टन और ब्रिकेटिंग की कीमत 4500 रुपये प्रति टन है। तेल महंगा होने के कारण यह ऊर्जा का एक ज्यादा किफायती स्रोत बन गया है।
यह प्लांट पटियाला के कुलबुर्छां गांव में 5.50 करोड़ रुपये से पंजाब स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ओर से मैसर्ज पंजाब रिन्यूएबल एनर्जी सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के साथ हिस्सेदारी और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की सहायता से क्लाइमेट चेंज एक्शन प्रोग्राम के अंतर्गत स्थापित किया गया है।
प्लांट के करीब 40 गांवों की पराली का हो सकेगा प्रबंधन
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस तकनीक से प्लांट के पास के 40 गांवों की पराली को ग्रीन फ्यूल में बदला जा सकेगा। इससे न सिर्फ पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे स्वास्थ्य की समस्याओं से निजात पाने में भी मदद मिलेगी। यह प्लांट 45 हजार टन पराली के अवशेष का इस्तेमाल करके उद्योगों में जैविक ईंधन का विकल्प बनेगा, जिससे 78000 टन की हद तक कार्बन डाईऑक्साइड को घटाने में मदद मिलेगी।