न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना
Published by: Sneha Baluni
Updated Sun, 27 Dec 2020 05:30 PM IST
बिहार की राजधानी पटना में रविवार को हुई जनता दल यूनाइडेट (जदयू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा फैसला लेते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद पूर्व आईएएस व राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह को सौंप दिया। नीतीश कुमार 2016 में शरद यादव द्वारा पार्टी छोड़ने के बाद से राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।
जदयू नेता केसी त्यागी ने एक प्रेस वार्ता कहा, 'नीतीश जी ने पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने की इच्छा जताई और पद के लिए आरसीपी सिंह का नाम प्रस्तावित किया, जिसे देखते हुए आरसीपी सिंह को अगले तीन साल के लिए पार्टी का अध्यक्ष चुना गया है।' नीतीश कुमार के इस फैसले के बाद से पार्टी कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है।
इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश के छह जदयू विधायकों के भाजपा में शामिल होने पर केसी त्यागी ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, 'हम अरुणाचल के हमारे छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने पर नाराजगी व्यक्त करते हैं। यह गठबंधन की राजनीति के लिए अच्छा संकेत नहीं है।'
कौन हैं नीतीश के राजनीतिक उत्तराधिकारी
आरसीपी सिंह यानी रामचंद्र प्रसाद सिंह राज्यसभा में जदयू संसदीय दल के नेता हैं। नीतीश कुमार ने खुद पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा था कि उनके बाद सब कुछ आरसीपी सिंह ही देखेंगे। नीतीश ने एक तरह से सिंह को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाया है। वे बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में कह चुके हैं कि यह उनका अंतिम चुनाव है। उन्होंने कहा था कि अंत भला तो सब भला।
नीतीश कुमार के खास हैं आरसीपी सिंह
आरसीपी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास माने जाते हैं और साए की तरह उनके साथ रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि नीतीश कुमार बिना आरसीपी की सलाह के कोई फैसला नहीं लेते हैं। आरसीपी केवल नीतीश के राजनीतिक, रणनीतिकार और सियासी सलाहकार ही नहीं हैं बल्कि उन्हीं के कुर्मी समुदाय से भी आते हैं।
ऐसा रहा आरसीपी सिंह का सियासी सफर
बिहार के नालंदा जिले के मुस्तफापुर में छह जुलाई 1958 को आरसीपी सिंह का जन्म हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा हुसैनपुर, नालंदा और पटना साइंस कॉलेज से हुई। बाद में वे जेएनयू में पढ़ाई करने के लिए दिल्ली आ गए। राजनीति में शामिल होने से पहले वे प्रशासनिक सेवा में रहे। सिंह उत्तर प्रदेश कैडर से आईएएस रहे। वे रामपुर, बाराबंकी, हमीरपुर और फतेहपुर के जिलाधिकारी रह चुके हैं।
कहा जाता है जदयू का 'चाणक्य'
आरसीपी सिंह पार्टी के अध्यक्ष बनने से पहले पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखते थे। चुनावों में रणनीति तय करना, प्रदेश की अफसरशाही को नियंत्रित करना, सरकार के लिए नीतियां बनाना और उनको लागू करने जैसे सभी कामों का जिम्मा उनके कंधों पर रहा है। इसी कारण उन्हें 'जदयू का चाणक्य' भी कहा जाता है।
बिहार की राजधानी पटना में रविवार को हुई जनता दल यूनाइडेट (जदयू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा फैसला लेते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद पूर्व आईएएस व राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह को सौंप दिया। नीतीश कुमार 2016 में शरद यादव द्वारा पार्टी छोड़ने के बाद से राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।
जदयू नेता केसी त्यागी ने एक प्रेस वार्ता कहा, 'नीतीश जी ने पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने की इच्छा जताई और पद के लिए आरसीपी सिंह का नाम प्रस्तावित किया, जिसे देखते हुए आरसीपी सिंह को अगले तीन साल के लिए पार्टी का अध्यक्ष चुना गया है।' नीतीश कुमार के इस फैसले के बाद से पार्टी कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल है।
इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश के छह जदयू विधायकों के भाजपा में शामिल होने पर केसी त्यागी ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, 'हम अरुणाचल के हमारे छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने पर नाराजगी व्यक्त करते हैं। यह गठबंधन की राजनीति के लिए अच्छा संकेत नहीं है।'
कौन हैं नीतीश के राजनीतिक उत्तराधिकारी
आरसीपी सिंह यानी रामचंद्र प्रसाद सिंह राज्यसभा में जदयू संसदीय दल के नेता हैं। नीतीश कुमार ने खुद पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा था कि उनके बाद सब कुछ आरसीपी सिंह ही देखेंगे। नीतीश ने एक तरह से सिंह को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाया है। वे बिहार विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में कह चुके हैं कि यह उनका अंतिम चुनाव है। उन्होंने कहा था कि अंत भला तो सब भला।
नीतीश कुमार के खास हैं आरसीपी सिंह
आरसीपी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास माने जाते हैं और साए की तरह उनके साथ रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि नीतीश कुमार बिना आरसीपी की सलाह के कोई फैसला नहीं लेते हैं। आरसीपी केवल नीतीश के राजनीतिक, रणनीतिकार और सियासी सलाहकार ही नहीं हैं बल्कि उन्हीं के कुर्मी समुदाय से भी आते हैं।
ऐसा रहा आरसीपी सिंह का सियासी सफर
बिहार के नालंदा जिले के मुस्तफापुर में छह जुलाई 1958 को आरसीपी सिंह का जन्म हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा हुसैनपुर, नालंदा और पटना साइंस कॉलेज से हुई। बाद में वे जेएनयू में पढ़ाई करने के लिए दिल्ली आ गए। राजनीति में शामिल होने से पहले वे प्रशासनिक सेवा में रहे। सिंह उत्तर प्रदेश कैडर से आईएएस रहे। वे रामपुर, बाराबंकी, हमीरपुर और फतेहपुर के जिलाधिकारी रह चुके हैं।
कहा जाता है जदयू का 'चाणक्य'
आरसीपी सिंह पार्टी के अध्यक्ष बनने से पहले पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखते थे। चुनावों में रणनीति तय करना, प्रदेश की अफसरशाही को नियंत्रित करना, सरकार के लिए नीतियां बनाना और उनको लागू करने जैसे सभी कामों का जिम्मा उनके कंधों पर रहा है। इसी कारण उन्हें 'जदयू का चाणक्य' भी कहा जाता है।