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Bihar : काम के बदले महिला को बिस्तर पर ले जाने वाला अंचलाधिकारी जेल में; CO ने कैसे किया होगा खेल, जानें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भागलपुर Published by: आदित्य आनंद Updated Mon, 22 May 2023 11:18 AM IST
सार

Government of Bihar : बिहार के भू-राजस्व विभाग विभाग का एक अंचलाधिकारी एक कमरे में बेड पर एक पराई औरत के साथ जबरदस्ती करते पकड़ा था। 'अमर उजाला' ने रात में ही सबसे पहले यह खबर सामने लाई थी। जमीन का धंधा इन दिनों कई कारणों से गंदा होता जा रहा है।

Bihar: Circle officer being sent to jail, CO was raping women in BDO room, buy and sale land mutation in bihar
जांच में जुटी पुलिस। - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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बिहार के भू-राजस्व विभाग में किस तरह गंदा खेल चलता है, इसका नजारा रविवार की रात 'अमर उजाला’ ने सबसे पहले सामने लाया था। भागलपुर जिले में एक अंचलाधिकारी (CO) ने प्रखंड विकास पदाधिकारी। (BDO) को छुट्टी में जाते देख उनके कमरे की चाबी ली और वहां बिस्तर पर एक पराई औरत के साथ जबरदस्ती करते पकड़ा गया। औरत का आरोप था कि उसकी छह धूर जमीन का म्यूटेशन किसी कारण कैंसिल हो गया था, जिसे सुधारने के लिए वह अंचलाधिकारी अजय कुमार सरकार के दफ्तर के चक्कर लगा रही थी। रविवार को उन्हाेंने यहां बुलाया कि काम कर देंगे, लेकिन गंदी हरकत करने लगे तो पुलिस को सूचना दी। महिला की रविवार रात ही मेडिकल जांच प्रक्रिया पूरी की गई। अंचलाधिकारी को भी सोमवार सुबह जेल भेज दिया गया।



जिस काम के लिए बुलाया, उसकी शक्ति नहीं
महिला के अनुसार म्यूटेशन कैंसिल होने के कारण वह अंचलाधिकारी के फेरे लगा रही थी। लेकिन, भूमि-राजस्व विभाग के अधिकारियों की मानें तो रद्द म्यूटेशन में सुधार की शक्ति अंचलाधिकारी के पास नहीं। अपर जिला दंडाधिकारी (ADM) स्तर पर इसके लिए आवेदन देना होता है। एडीएम यह रिपोर्ट मांगते हैं अंचल कार्यालय से। रिपोर्ट में पुष्टि करनी होती है कि जमीन का वास्तविक मालिक कौन है। मतलब, अगर अंचलाधिकारी इस नाम पर महिला का शोषण कर रहा था तो वह रिपोर्ट बनाने के एवज में यह कर रहा होगा। मंशा पूरी होने के बाद वह काम करना चाहता तो रिपोर्ट बनाता कि राजस्व कर्मचारी से भूलवश यह अंकित हो गया था, जिसके कारण इनका म्यूटेशन रद्द हो गया है। जमीन इन्हीं के नाम पर  है। इतनी-सी रिपोर्ट के लिए कोई क्या इतना कुछ करा सकता है, यह सवाल अगर जेहन में आ रहा है तो आगे पढ़िए। 


सीओ-कर्मचारी की पूरी ताकत जान लीजिए
बिहार सरकार जमीन विवाद को खत्म करने के लिए एड़ी-चोटी की ताकत लगाने की बात कहती है, लेकिन हकीकत यह है कि सीओ-कर्मचारी की ताकत के सामने यह संभव नहीं है। सीओ, मतलब अंचलाधिकारी और कर्मचारी मतलब राजस्व कर्मचारी। जमीन से जुड़े कागजातों को अद्यतन करने या इसकी जांच का जिम्मा कर्मचारी पर होता है, जबकि इससे जुड़ा कोई आदेश अंचलाधिकारी के हस्ताक्षर से होता है। बिहार में 534 प्रखंड हैं, मतलब इतनी ही संख्या में अंचलाधिकारियों का पद है। कई बार कहीं का पद खाली रहा तो निकटस्थ अंचलाधिकारी को कार्यभार दिया जाता है। राजस्व कर्मचारी तो हर मौजा के लिए अलग होना चाहिए, लेकिन हालत यह है कि कर्मचारी ज्यादा से ज्यादा मौजा का कार्यभार अपने पास रखना चाहता है।

खेल समझने के पहले जमीन की प्रक्रिया जानें
किसी जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद अंचलाधिकारी का काम शुरू होता है। जमीन कैसे हासिल है और किस हक से कोई बेच रहा है, यह जानकारी देते हुए विक्रेता ने क्रेता को जमीन रजिस्ट्री कर दी। खरीदने वाला डीड में दी गई जानकारी को लेकर संतुष्ट होकर खरीद लेता है, लेकिन इसके बाद असल काम शुरू होता है। रजिस्ट्री के बाद दाखिल-खारिज की प्रक्रिया अंचल कार्यालय में होती है। रजिस्ट्री की सूचना अब ऑनलाइन ही अंचल कार्यालय में पहुंचाने का प्रावधान राज्य सरकार लागू कर चुकी है। प्रावधान है कि अंचल कार्यालय में इस रजिस्ट्री के तथ्यों की जांच होगी। अंचल कार्यालय में एक रिकॉर्ड होता है, जिसे रजिस्टर-2 कहते हैं। रजिस्टर-2 एक सरकारी दस्तावेज है, जिसमें हर जमीन के मालिक की जमाबंदी में खाता-खेसरा-रकबा की जानकारी दर्ज होती है। प्रावधान यह है कि रजिस्ट्री के बाद रजिस्टर-2 की जांच कर राजस्व कर्मचारी अंचलाधिकारी को रिपोर्ट देगा कि जमीन सही में इस मालिक के नाम पर है। वह बताएगा कि जितनी जमीन रजिस्टर-2 में है, उतनी या उससे कम बेची गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर अंचलाधिकारी दाखिल-खारिज का ऑर्डर देगा। दाखिल का मतलब है कि खरीदने वाले के नाम से उतनी जमीन चढ़ा दी जाए और खारिज का मतलब है कि बेचने वाले की जमाबंदी से उतनी जमीन काट ली जाए।   

प्रक्रिया जान लिया तो अब खेल भी समझ लें
बिहार में बड़े पैमाने पर दशकों से एक खेल चल रहा है। रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन ऑर्डर कर खरीदार के नाम पर दाखिल कर दो, लेकिन बेचने वाले की जमाबंदी से खारिज नहीं करो। इस खेल का नतीजा एक उदाहरण से समझें- बालेश्वर के पूर्वजों ने रामजी को 2 बीघा जमीन बेची। रामजी ने म्यूटेशन करा लिया। प्रक्रिया के तहत रजिस्टर-2 से उस दो बीघा जमीन को बालेश्वर से काटकर रामजी के खाते में दिखाया जाना चाहिए, लेकिन यहां सिर्फ रामजी के खाते में दिखा दिया जाता है और बालेश्वर के खाते से काटा नहीं जाता है। नतीजा बालेश्वर अब पूर्वजों की रजिस्ट्री और रामजी के म्यूटेशन को दरकिनार कर उस दो बीघा जमीन को फिर से बेच लेता है या कब्जा लेता है। आधार यह कि रजिस्टर-2 में यह जमीन उसके खाते में है, इसलिए वह इसका लगान रसीद कटवाने में सक्षम है। ऑफलाइन भी और ऑनलाइन भी। हर प्रक्रिया में अंचल कार्यालय के अंदर खेल चलता है। प्रक्रिया के तहत दाखिल-खारिज का ऑर्डर देने से पहले अंचल कार्यालय को जमीन के चाैहद्दीदारों को नोटिस भेजना चाहिए कि इस जमीन की बिक्री पर उसे कोई आपत्ति तो नहीं और ऐसा नोटिस अंचल कार्यालय में भी लगाया जाना चाहिए। लेकिन, चुपके से यह सब काम कर दिया जाता है। जहां खरीदने वाले की सेटिंग है, वहां कोई प्रक्रिया नहीं होती है और अगर वह अंचल कार्यालय को खुश नहीं कर सका तो आपत्ति करवाना कर्मचारी का खेल है, जबकि उस आपत्ति पर दाखिल-खारिज रोकना अंचलाधिकारी के बाएं हाथ का काम।

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