भारत में हर साल सड़क हादसे होते हैं। इन हादसों में कुछ लोगों की मौत हो जाती है। तो कुछ लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। कुछ हादसों में दूसरे वाहन से टक्कर होती है तो कहीं पर ड्राइवर को समझ ही नहीं आता और हादसा हो जाता है। ऐसी जगहों को ब्लैक स्पॉट कहा जाता है। ये किस तरह से हादसों के लिए जिम्मेदार होते हैं। आइए जानते हैं।
क्या होता है ब्लैक स्पॉट
सड़क पर जिस जगह बार-बार हादसे होते हैं, उन्हें ब्लैक स्पॉट कहा जाता है। सरकार की ओर से किसी सड़क, हाइवे, एक्सप्रेस वे पर अगर एक ही जगह तीन साल में पांच सड़क हादसे हो जाएं। इसके अलावा किसी जगह पर तीन साल में दस मौत हो जाएं तो उसे ब्लैक स्पॉट घोषित कर दिया जाता है। हादसे के आस-पास का 500 मीटर का एरिया ब्लैक स्पॉट माना जाता है।
कब बनता है ब्लैक स्पॉट
जिस जगह पर सीधी सड़क में एक शॉर्प गिरावट आए। ऐसी जगह पर जहां दूसरी ओर से आने वाला ट्रैफिक नजर ना आए, शॉर्प रोड पर छिपा हुआ जंक्शन हो। ऐसी जगहों पर हादसा होने का खतरा होता है।
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देश में कितनी जगह है ब्लैक स्पॉट
दिसंबर 2021 में लोक सभा में सरकार ने इस मामले पर एक जानकारी दी थी। जिसमें बताया गया था कि देश की सड़कों पर कुल 5803 ब्लैक स्पॉट हैं। सबसे ज्यादा ब्लैक स्पॉट तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में हैं और सबसे कम मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, मणिपुर और नगालैंड में हैं। सिर्फ 2016 से 2018 के दौरान ही 79 हजार हादसे हुए हैं। इन हादसों में 39 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।
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