बागपत में नोटबंदी ने एक बच्चे की जान ले ली। मामला बागपत के निवाड़ा गांव का है जहां एक मजदूर का बेटा एहसान पांच दिन से बीमार था। बेटे के इलाज के लिए मजदूर बाप ने उधार लिया, लेकिन उधार में मिले, पांच सौ और एक हजार के नोट। वो नोट बदलने बैंक गये, लेकिन लाइन इतनी लंबी थी नंबर ही नहीं आया। रुपये नहीं थे तो दवाएं नहीं मिली और दुआ बेअसर हो गई। नतीजा ये हुआ कि एहसान की जान चली गई। एहसान की मौत के बाद से पूरा गांव सदमे में है और नोटबंदी को कोस रहा है।
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