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कोरोना की लड़ाई में आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक भी आगे आएं हैं। इसी कड़ी में उन्होेंने कम लागत वाला एक पोर्टेबल वेंटिलेटर विकसित किया है, जो कोविड-19 के गंभीर मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उपयोगी और किफायती साबित हो सकता है। ‘प्राण-वायु’ नाम के इस क्लोज्ड लूप वेंटिलेटर को एम्स ऋषिकेश के सहयोग से विकसित किया गया है। वेंटिलेटर मरीज को जरूरत की मात्रा में हवा पहुंचाने के लिए प्राइम मूवर के नियंत्रित ऑपरेशन पर आधारित है।
लॉकडाउन से एक सप्ताह पहले कोविड-19 से निपटने के लिए आईआईटी रुड़की की टीम ने सस्ते वेंटिलेटर का काम शुरू कर दिया था। शोध टीम में आईआईटी रुड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी और प्रो. अरूप कुमार दास के साथ ऑनलाइल मदद के लिए एम्स ऋषिकेश से डॉ. देवेंद्र त्रिपाठी शामिल हैं। शोध के लिए संस्थान की टिंकरिंग लैब की सुविधाओं का उपयोग किया गया। प्रो. द्विवेदी ने बताया कि प्राण-वायु को विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के लिए डिजाइन किया गया है। यह कम लागत वाला, सुरक्षित और विश्वसनीय मॉडल है, जिसका निर्माण तेजी से किया जा सकता है। यह स्वचालित प्रक्रिया दबाव और प्रवाह की दर को सांस लेने-छोड़ने के अनुरूप नियंत्रित करता है। इस वेंटिलेटर में ऐसी व्यवस्था है जो टाइडल वॉल्यूम और प्रति मिनट सांस को नियंत्रित भी कर सकती है। वेंटिलेटर सांस नली के विस्तृत प्रकार के अवरोधों में उपयोगी होगा और सभी आयु वर्ग के रोगियों, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए खास लाभदायक है।
प्रोटोटाइप का परीक्षण सामान्य और सांस के विशिष्ट रोगियों पर सफलतापूर्वक किया गया है। इसे काम करने के लिए कंप्रेस्ड हवा की जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसे में यह अस्पताल के किसी वार्ड या खुले क्षेत्र में परिवर्तित आईसीयू में मददगार होगा। यह रीयल-टाइम स्पायरोमेट्री और अलार्म से उच्च दबाव को सीमित कर सकता है। इसमें रिमोट मॉनिटरिंग, ऑपरेटिंग मीटर, टच स्क्रीन से नियंत्रण, सांस लेने के लिए नमी और तापमान नियंत्रण की भी खूबियां हैं। इसकी लागत 25 हजार रुपये आंकी गई है जबकि बाजार में वेंटिलेटर की कीमत कई लाख में है। आईआईटी के निदेशक प्रो. अजीत चतुर्वेदी ने आईआईटी वैज्ञानिकों के इस प्रयास की सराहना की है।
सर्टिफिकेशन के बाद निर्माण को मिल सकती है हरी झंडी
वेंटिलेटर को आईआईटी ने अपने स्तर पर सफलतापूर्वक टेस्ट कर लिया है। साथ ही बृहस्पतिवार को कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज वेबिनार पर ऑनलाइन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये आईआईटी दिल्ली, आईआईटी चेन्नई समेत 400 से अधिक औद्योगिक कंपनियों के अधिकारियों ने प्रजेंटेशन देखा। साथ ही इसके निर्माण की इच्छा जताई है। प्रो. अक्षय द्विवेदी ने बताया कि सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के बाद इसका निर्माण शुरू हो सकता है। प्रक्रिया में तेजी आती है तो महामारी के संकट में इसका उपयोग शुरू हो जाएगा।
कोरोना की लड़ाई में आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक भी आगे आएं हैं। इसी कड़ी में उन्होेंने कम लागत वाला एक पोर्टेबल वेंटिलेटर विकसित किया है, जो कोविड-19 के गंभीर मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उपयोगी और किफायती साबित हो सकता है। ‘प्राण-वायु’ नाम के इस क्लोज्ड लूप वेंटिलेटर को एम्स ऋषिकेश के सहयोग से विकसित किया गया है। वेंटिलेटर मरीज को जरूरत की मात्रा में हवा पहुंचाने के लिए प्राइम मूवर के नियंत्रित ऑपरेशन पर आधारित है।
लॉकडाउन से एक सप्ताह पहले कोविड-19 से निपटने के लिए आईआईटी रुड़की की टीम ने सस्ते वेंटिलेटर का काम शुरू कर दिया था। शोध टीम में आईआईटी रुड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी और प्रो. अरूप कुमार दास के साथ ऑनलाइल मदद के लिए एम्स ऋषिकेश से डॉ. देवेंद्र त्रिपाठी शामिल हैं। शोध के लिए संस्थान की टिंकरिंग लैब की सुविधाओं का उपयोग किया गया। प्रो. द्विवेदी ने बताया कि प्राण-वायु को विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के लिए डिजाइन किया गया है। यह कम लागत वाला, सुरक्षित और विश्वसनीय मॉडल है, जिसका निर्माण तेजी से किया जा सकता है। यह स्वचालित प्रक्रिया दबाव और प्रवाह की दर को सांस लेने-छोड़ने के अनुरूप नियंत्रित करता है। इस वेंटिलेटर में ऐसी व्यवस्था है जो टाइडल वॉल्यूम और प्रति मिनट सांस को नियंत्रित भी कर सकती है। वेंटिलेटर सांस नली के विस्तृत प्रकार के अवरोधों में उपयोगी होगा और सभी आयु वर्ग के रोगियों, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए खास लाभदायक है।
प्रोटोटाइप का परीक्षण सामान्य और सांस के विशिष्ट रोगियों पर सफलतापूर्वक किया गया है। इसे काम करने के लिए कंप्रेस्ड हवा की जरूरत नहीं पड़ती है। ऐसे में यह अस्पताल के किसी वार्ड या खुले क्षेत्र में परिवर्तित आईसीयू में मददगार होगा। यह रीयल-टाइम स्पायरोमेट्री और अलार्म से उच्च दबाव को सीमित कर सकता है। इसमें रिमोट मॉनिटरिंग, ऑपरेटिंग मीटर, टच स्क्रीन से नियंत्रण, सांस लेने के लिए नमी और तापमान नियंत्रण की भी खूबियां हैं। इसकी लागत 25 हजार रुपये आंकी गई है जबकि बाजार में वेंटिलेटर की कीमत कई लाख में है। आईआईटी के निदेशक प्रो. अजीत चतुर्वेदी ने आईआईटी वैज्ञानिकों के इस प्रयास की सराहना की है।
सर्टिफिकेशन के बाद निर्माण को मिल सकती है हरी झंडी
वेंटिलेटर को आईआईटी ने अपने स्तर पर सफलतापूर्वक टेस्ट कर लिया है। साथ ही बृहस्पतिवार को कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज वेबिनार पर ऑनलाइन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये आईआईटी दिल्ली, आईआईटी चेन्नई समेत 400 से अधिक औद्योगिक कंपनियों के अधिकारियों ने प्रजेंटेशन देखा। साथ ही इसके निर्माण की इच्छा जताई है। प्रो. अक्षय द्विवेदी ने बताया कि सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के बाद इसका निर्माण शुरू हो सकता है। प्रक्रिया में तेजी आती है तो महामारी के संकट में इसका उपयोग शुरू हो जाएगा।