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रुड़की। इसे सत्ता की हनक कहिए अथवा सियासी दबाव, कल तक विभागीय आवासों पर अवैध कब्जों के मामले में गरजने वाले अफसरों के सुर अब धीमे पड़ गए हैं। आलम यह है कि अब वे मामले में मुकदमा दर्ज कराने से भी कतराने लगे हैं।
सिंचाई विभाग के आवासों पर काबिज बाहरी लोगों के खिलाफ पब्लिक प्रोविजन एक्ट के तहत कार्रवाई करने को लेकर विभागीय अधिकारियों के बड़बोले दावों की पोल खुलती जा रही है। दो दिन पहले जो अधिकारी वाद दायर करने के लिए एसडीओ को भेजने की बात कर रहे थे अब वह विभाग कर्मचारियों की हड़ताल का बहाना बना रहे हैं। इससे साफ हो गया है कि विभाग के अधिकारियों को इसकी कोई चिंता नहीं है।
पहले से ही कई अवैध कब्जों के अलावा, सिंचाई विभाग के आवास पर 6 जनवरी को विधायक प्रदीप बत्रा के समर्थकों ने जबरन कब्जा कर लिया था। तभी से यह मामला सुर्खियों में है। विभाग के कर्मचारियों को आवास नहीं मिल पा रहे और बाहरी लोग कब्जा नहीं छोड़ रहे। कर्मचारी लगातार बाहरी लोगों को आवासों से खाली कराने की मांग कर रहे हैं। इसके बाद भी विभाग के अधिकारी गंभीर नजर नहीं आ रहे। इतना ही नहीं झूठे दावे किए जा रहे हैं। कुछ रोज पहले विभागाध्यक्ष वीके टम्टा ने दावा किया था कि जिला प्रशासन को नब्बे लोगों की सूची कार्रवाई के लिए सौंप दी है। लेकिन जिला प्रशासन ने साफ किया था कि कार्रवाई करने के लिए विभाग की तरफ से कोई सूची उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके बाद सोमवार को सिंचाई विभाग प्रशासन खंड के ईई और आवास आवंटन समिति के सचिव एलआर आर्य ने कहा कि था कि आज वाद दायर करवाया जाएगा। लेकिन सोमवार को वाद दायर करने के लिए तहसील प्रशासन को कोई पत्र नहीं मिला। जबकि समिति के सचिव एलआर आर्य ने कहा कि था कि एसडीओ को वाद दायर करने के लिए भेज दिया गया है। बृहस्पतिवार को जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि विभाग के बाबू को पत्र दे दिया गया है। विभाग के दो चालकों के लापता होने से कामकाज बाधित हो रहा है। अब इस बारे में ज्यादा जानकारी शुक्रवार सुबह को लेना। इससे साफ हो जाता है कि अधिकारी अब किन्हीं वजहों से बैकफुट पर चले गए हैं।
रुड़की। इसे सत्ता की हनक कहिए अथवा सियासी दबाव, कल तक विभागीय आवासों पर अवैध कब्जों के मामले में गरजने वाले अफसरों के सुर अब धीमे पड़ गए हैं। आलम यह है कि अब वे मामले में मुकदमा दर्ज कराने से भी कतराने लगे हैं।
सिंचाई विभाग के आवासों पर काबिज बाहरी लोगों के खिलाफ पब्लिक प्रोविजन एक्ट के तहत कार्रवाई करने को लेकर विभागीय अधिकारियों के बड़बोले दावों की पोल खुलती जा रही है। दो दिन पहले जो अधिकारी वाद दायर करने के लिए एसडीओ को भेजने की बात कर रहे थे अब वह विभाग कर्मचारियों की हड़ताल का बहाना बना रहे हैं। इससे साफ हो गया है कि विभाग के अधिकारियों को इसकी कोई चिंता नहीं है।
पहले से ही कई अवैध कब्जों के अलावा, सिंचाई विभाग के आवास पर 6 जनवरी को विधायक प्रदीप बत्रा के समर्थकों ने जबरन कब्जा कर लिया था। तभी से यह मामला सुर्खियों में है। विभाग के कर्मचारियों को आवास नहीं मिल पा रहे और बाहरी लोग कब्जा नहीं छोड़ रहे। कर्मचारी लगातार बाहरी लोगों को आवासों से खाली कराने की मांग कर रहे हैं। इसके बाद भी विभाग के अधिकारी गंभीर नजर नहीं आ रहे। इतना ही नहीं झूठे दावे किए जा रहे हैं। कुछ रोज पहले विभागाध्यक्ष वीके टम्टा ने दावा किया था कि जिला प्रशासन को नब्बे लोगों की सूची कार्रवाई के लिए सौंप दी है। लेकिन जिला प्रशासन ने साफ किया था कि कार्रवाई करने के लिए विभाग की तरफ से कोई सूची उपलब्ध नहीं कराई गई। इसके बाद सोमवार को सिंचाई विभाग प्रशासन खंड के ईई और आवास आवंटन समिति के सचिव एलआर आर्य ने कहा कि था कि आज वाद दायर करवाया जाएगा। लेकिन सोमवार को वाद दायर करने के लिए तहसील प्रशासन को कोई पत्र नहीं मिला। जबकि समिति के सचिव एलआर आर्य ने कहा कि था कि एसडीओ को वाद दायर करने के लिए भेज दिया गया है। बृहस्पतिवार को जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि विभाग के बाबू को पत्र दे दिया गया है। विभाग के दो चालकों के लापता होने से कामकाज बाधित हो रहा है। अब इस बारे में ज्यादा जानकारी शुक्रवार सुबह को लेना। इससे साफ हो जाता है कि अधिकारी अब किन्हीं वजहों से बैकफुट पर चले गए हैं।