करीब 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित लोहाघाट विकासखंड का एबटमांउट सैलानियों के लिए कुदरती सौंदर्य के विहंगम नजारे पेश करता है। मगर एबटमाउंट में पर्यटन परियोजना का निर्माण अब भी पूरा नहीं हो सका है। तीन साल से अधिक हो गए, धन की कमी की वजह से इसका बचा हुआ काम लटका है। इस वजह ये इलाका न तो पर्यटन मानचित्र पर आ पा रहा है, और न ही यहां की अर्थव्यवस्था बढ़ पा रही है।
सैलानियों के लिए एबटमाउंट आकर्षण का केंद्र है। एबटमाउंट का जिला मुख्यालय से फासला भी महज 20 किलोमीटर है। एबटमाउंट जाने के लिए 13 किमी दूर लोहाघाट जाना पड़ता है। टनकपुर-पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित एबटमाउंट लोहाघाट से 7 किमी दूर है। मगर यहां निर्माणाधीन पर्यटन परियोजना का काम लंबे समय से लटका है। गर्मियों में पहाड़ में मौसम खुशगवार होता है। पर शीतलता का अहसास कराने वाले इस इलाके में सैलानी नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसकी वजह पर्यटन परियोजना का अभी तक अधूरा रहना है।
भारत सरकार की पर्यटन परियोजना में एबटमाउंट में 4.95 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। कार्यदाई संस्था सीएनडीएस के इंजीनियर बीसी जोशी का कहना है कि योजना के अंतर्गत यहां 8 इको हट, एक बहुद्देश्यीय भवन, व्यू प्वाइंट, चहारदीवारी और एबटमाउंट तक मार्ग का निर्माण होना था। इको हट तो दिसंबर 2014 में ही बन गए। पर इसके बाद से अब तक दो व्यू प्वाइंट नहीं बनाए जा सके।
विभाग को निर्माण के लिए 3.95 करोड़ रुपये ही मिल सके हैं। इस राशि से 8 इको हट, एक बहुउद्देश्यीय भवन सहित 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। धन नहीं मिलने से आगे का काम शुरू नहीं हो पा रहा है।
पर्यावरण के अनुकूल बने हैं हट
इस इलाके की खूबसूरती के मद्देनजर यहां पर्यावरण के अनुकूल ईको लॉग हट बनाए गए हैं। इसका निर्माण करने वाली संस्था का कहना हैं कि हटों का निर्माण यूरोप से मंगाई गई खास लकड़ी से किया गया है। इन हटों को रसायनों में शोधित कर हल्का और काफी टिकाऊ बनाया गया है। जिला पर्यटन अधिकारी आरएस ऐरी का कहना है कि जल्द ही यहां से पर्यटक सूर्योदय के साथ हिमालय के दिव्य दर्शन कर सकेंगे। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद एबटमाउंट कुमाऊं के नए पर्यटन केंद्र के रूप में सामने आएगा। जाड़ों में अक्तूवर-नवंबर और गर्मियों में हिम दर्शन का खास आनंद है। इस दौरान हिमालय बेहद करीब नजर आता है।
क्रासर
एबटमाउंट के इको हट का काम धन की कमी से लंबे समय से लटका है। इसके लिए बजट की मांग की गई है। रकम मिलने के बाद ही आगे का काम शुरू हो सकेगा। ठेकेदारों के ही पिछले काम के 47 लाख रुपये बकाया है।
संजीव वर्मा परियोजना प्रबंधक, सीएनडीएस, लोहाघाट।