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- भाजपा की बड़ी जीत में शहर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने निभाई अहम भूमिका
- किसी भी चक्र में बढ़त नहीं बना पाया गठबंधन
गोरखपुर। गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी रवि किशन की तीन लाख से अधिक मतों से हुई बड़ी जीत में हर जाति और धर्म के मतदाताओं का योगदान रहा। चारो ओर से मोदी-योगी के नाम पर भाजपा को वोट बरसे। वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के साथ ही गठबंधन के वोट बैंक में सेंधमारी की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रणनीति पूरी तरह से कामयाब रही। शहर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने वोटिंग प्रतिशत बढ़ाकर खुद पर लगे ढाई दशक का दाग तो धुला ही, भाजपा की जीत के बड़े अंतर में संजीवनी भी साबित हुए।
निषाद मतदाताओं के दम पर उपचुनाव में करीब ढाई दशक बाद मंदिर के हाथ से गोरखपुर सीट छिनने में कामयाब रही सपा इस बार उन्हें भी नहीं सहेज पाई। गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक करीब तीन लाख वोट निषादों के हैं। ग्रामीण और पिपराइच विधानसभा क्षेत्र में निषाद मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। भाजपा को पिपराइच के 90 फीसदी से अधिक निषादों का तो वोट मिला ही ग्रामीण विधानसभा में भी निषादों का ठीक-ठाक वोट पाने में कामयाब रही। यही वजह है कि गठबंधन के प्रत्याशी रामभुआल यादव को मुस्लिम और निषाद वोटों का गढ़ माने जाने वाले ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में भी बढ़त नहीं मिल पाई। शुरू से ही भाजपा सभी विधानसभा क्षेत्र के हर चक्र में बढ़त बनाती रही। वहीं, निषादों के साथ ही भाजपा, अनुसूचित जाति के वोटरों में भी बड़ी सेंधमारी करने में कामयाब रही, जिसे गठबंधन का दूसरा धड़ा बसपा अपना मान रही थी। प्रधानमंत्री आवास और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत घर-घर शौचालय आदि योजनाओं के बूते भाजपा, अनुसूचित जाति का बड़ा वोट बैंक हासिल करने में कामयाब रही। कुछ मुस्लिमों का भी वोट भाजपा को मिला तो सिख, ईसाई के भी ज्यादातर वोट भाजपा को गए।
चक्रवार मतगणना की बात करें तो गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में पड़े 11.82 लाख वोटों में से पांच लाख मतों की गिनती में ही भाजपा ने गठबंधन से डेढ़ लाख से अधिक वोटों की बढ़त बना ली थी। 9.21 लाख मतों की गिनती के बाद यह अंतर बढ़कर सवा दो लाख से अधिक का हो गया। रामभुआल को उतने भी वोट नहीं मिले जितना कि 2018 के उपचुनाव में सपा से प्रत्याशी रहे प्रवीण निषाद को मिले थे। प्रवीण कुल पड़े वोट 9.25 लाख में से 5.56 लाख वोट पाने में कामयाब हुए थे। वहीं कांग्रेस पिछले चुनाव की तुलना में अपना परंपरागत वोट भी नहीं बचा पाई। 2014 मेें कांग्रेस प्रत्याशी अष्टभुजा शुक्ला को करीब 45719 हजार वोट मिले थे।
नोट:आपको हमारी यह स्टोरी कैसी लगी इस पर अपना फीडबैक नीचे बने कमेंट बॉक्स में जरूर दें।
- भाजपा की बड़ी जीत में शहर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने निभाई अहम भूमिका
- किसी भी चक्र में बढ़त नहीं बना पाया गठबंधन
गोरखपुर। गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी रवि किशन की तीन लाख से अधिक मतों से हुई बड़ी जीत में हर जाति और धर्म के मतदाताओं का योगदान रहा। चारो ओर से मोदी-योगी के नाम पर भाजपा को वोट बरसे। वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के साथ ही गठबंधन के वोट बैंक में सेंधमारी की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रणनीति पूरी तरह से कामयाब रही। शहर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने वोटिंग प्रतिशत बढ़ाकर खुद पर लगे ढाई दशक का दाग तो धुला ही, भाजपा की जीत के बड़े अंतर में संजीवनी भी साबित हुए।
निषाद मतदाताओं के दम पर उपचुनाव में करीब ढाई दशक बाद मंदिर के हाथ से गोरखपुर सीट छिनने में कामयाब रही सपा इस बार उन्हें भी नहीं सहेज पाई। गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में सबसे अधिक करीब तीन लाख वोट निषादों के हैं। ग्रामीण और पिपराइच विधानसभा क्षेत्र में निषाद मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। भाजपा को पिपराइच के 90 फीसदी से अधिक निषादों का तो वोट मिला ही ग्रामीण विधानसभा में भी निषादों का ठीक-ठाक वोट पाने में कामयाब रही। यही वजह है कि गठबंधन के प्रत्याशी रामभुआल यादव को मुस्लिम और निषाद वोटों का गढ़ माने जाने वाले ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में भी बढ़त नहीं मिल पाई। शुरू से ही भाजपा सभी विधानसभा क्षेत्र के हर चक्र में बढ़त बनाती रही। वहीं, निषादों के साथ ही भाजपा, अनुसूचित जाति के वोटरों में भी बड़ी सेंधमारी करने में कामयाब रही, जिसे गठबंधन का दूसरा धड़ा बसपा अपना मान रही थी। प्रधानमंत्री आवास और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत घर-घर शौचालय आदि योजनाओं के बूते भाजपा, अनुसूचित जाति का बड़ा वोट बैंक हासिल करने में कामयाब रही। कुछ मुस्लिमों का भी वोट भाजपा को मिला तो सिख, ईसाई के भी ज्यादातर वोट भाजपा को गए।
चक्रवार मतगणना की बात करें तो गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र में पड़े 11.82 लाख वोटों में से पांच लाख मतों की गिनती में ही भाजपा ने गठबंधन से डेढ़ लाख से अधिक वोटों की बढ़त बना ली थी। 9.21 लाख मतों की गिनती के बाद यह अंतर बढ़कर सवा दो लाख से अधिक का हो गया। रामभुआल को उतने भी वोट नहीं मिले जितना कि 2018 के उपचुनाव में सपा से प्रत्याशी रहे प्रवीण निषाद को मिले थे। प्रवीण कुल पड़े वोट 9.25 लाख में से 5.56 लाख वोट पाने में कामयाब हुए थे। वहीं कांग्रेस पिछले चुनाव की तुलना में अपना परंपरागत वोट भी नहीं बचा पाई। 2014 मेें कांग्रेस प्रत्याशी अष्टभुजा शुक्ला को करीब 45719 हजार वोट मिले थे।
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