सिंहपुर (अमेठी)। महाकवि घाघ की प्रचलित कहावत है ‘अगहन दूनी पूस सवाई, माघ मा बरसे घर से जाई’। इस कहावत पर गौर करें तो मंगलवार से रुक रुक कर हो रही बरसात रबी में बोई गई फसलों को फायदा पहुंचाएगी। बीते दिनों रूखी जमीन के चलते जो पाला पड़ा था, उसका नुकसान भी कम होगा। असिंचित फसलों के लिए भी यह बरसात मुफीद साबित होगी। फूल वाली फसलों को बरसात से नुकसान होगा।
कृषि विभाग के अधिकारी रहे सेवानिवृत्त डॉ. राम प्रताप मौर्य ने कहा कि जो बारिश हो रही है, वह गेहूं की फसल के लिए संजीवनी है। जिस तरह इस साल फिर गेहूं की बोआई जोरदार रही है और मौसम अनुकूल है, आगे भी इसी तरह अनुकूल स्थिति रही तो गेहूं उत्पादन में नया रिकॉर्ड बन सकता है। इस समय जहां कहीं भी बारिश हो रही है वहां गेहूं की फसल को सिर्फ फायदा होगा।
डॉ. मौर्य ने बताया कि कछियाना (सब्जी) की खेती और बागवानी की फसलों के लिए भी यह बारिश लाभप्रद है। क्षेत्र में सबसे ज्यादा गेहूं की बोआई हुई है, लेकिन सरसों की कीमत में गत वर्ष की उछाल के चलते सरसों की बोआई भी खूब हुई है। दिसंबर का आखिरी पखवारा है। सत्तर से अस्सी प्रतिशत फसलें सिंचाई करने की स्थिति में थीं। क्षेत्र में दलहनों में मटर, मसूर और चना की बोआई भी हुई है दलहनी फसलें अधिकांश असिंचित ही होती हैं। ऐसे में इस बरसात का निश्चित ही किसानों को फायदा मिलेगा।
राजकीय बीज गोदाम सिंहपुर में तैनात कृषि वैज्ञानिक डॉ. पवन वर्मा ने बताया कि यह बरसात सरसों (यदि फूल नहीं है तो) और दूसरी रबी फसलों के लिए फायदेमंद हैं। यह बारिश ऐसे समय में हुई है, जब बड़ी संख्या में किसानों को रबी फसलों में पहली बार सिंचाई करनी पड़ती। ऐसे किसानों का खर्च बच जाएगा। अगेती गेहूं की फसलों में एक बार सिंचाई हो चुकी है, उनके लिए भी यह बरसात फायदा पहुंचाएगी। जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है, वहां इस मौसम में जो बारिश होती है वह रबी फसलों के लिए वरदान है।
सिंहपुर (अमेठी)। महाकवि घाघ की प्रचलित कहावत है ‘अगहन दूनी पूस सवाई, माघ मा बरसे घर से जाई’। इस कहावत पर गौर करें तो मंगलवार से रुक रुक कर हो रही बरसात रबी में बोई गई फसलों को फायदा पहुंचाएगी। बीते दिनों रूखी जमीन के चलते जो पाला पड़ा था, उसका नुकसान भी कम होगा। असिंचित फसलों के लिए भी यह बरसात मुफीद साबित होगी। फूल वाली फसलों को बरसात से नुकसान होगा।
कृषि विभाग के अधिकारी रहे सेवानिवृत्त डॉ. राम प्रताप मौर्य ने कहा कि जो बारिश हो रही है, वह गेहूं की फसल के लिए संजीवनी है। जिस तरह इस साल फिर गेहूं की बोआई जोरदार रही है और मौसम अनुकूल है, आगे भी इसी तरह अनुकूल स्थिति रही तो गेहूं उत्पादन में नया रिकॉर्ड बन सकता है। इस समय जहां कहीं भी बारिश हो रही है वहां गेहूं की फसल को सिर्फ फायदा होगा।
डॉ. मौर्य ने बताया कि कछियाना (सब्जी) की खेती और बागवानी की फसलों के लिए भी यह बारिश लाभप्रद है। क्षेत्र में सबसे ज्यादा गेहूं की बोआई हुई है, लेकिन सरसों की कीमत में गत वर्ष की उछाल के चलते सरसों की बोआई भी खूब हुई है। दिसंबर का आखिरी पखवारा है। सत्तर से अस्सी प्रतिशत फसलें सिंचाई करने की स्थिति में थीं। क्षेत्र में दलहनों में मटर, मसूर और चना की बोआई भी हुई है दलहनी फसलें अधिकांश असिंचित ही होती हैं। ऐसे में इस बरसात का निश्चित ही किसानों को फायदा मिलेगा।
राजकीय बीज गोदाम सिंहपुर में तैनात कृषि वैज्ञानिक डॉ. पवन वर्मा ने बताया कि यह बरसात सरसों (यदि फूल नहीं है तो) और दूसरी रबी फसलों के लिए फायदेमंद हैं। यह बारिश ऐसे समय में हुई है, जब बड़ी संख्या में किसानों को रबी फसलों में पहली बार सिंचाई करनी पड़ती। ऐसे किसानों का खर्च बच जाएगा। अगेती गेहूं की फसलों में एक बार सिंचाई हो चुकी है, उनके लिए भी यह बरसात फायदा पहुंचाएगी। जहां सिंचाई की सुविधा नहीं है, वहां इस मौसम में जो बारिश होती है वह रबी फसलों के लिए वरदान है।