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Saphala Ekadashi 2022: आज रखा जा रहा है सफला एकादशी का व्रत, जानें पूजा की विधि और महत्व

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: आशिकी पटेल Updated Mon, 19 Dec 2022 10:34 AM IST
इस साल कब रखा जाएगा सफला एकादशी का व्रत? जानें तिथि, पूजा विधि और महत्व
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Saphala Ekadashi 2022 : आज साल 2022 की आखिरी एकादशी है। हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को सफला एकादशी कहते हैं। सफला एकादशी अपने नाम के अनुसार सभी जगह सफलता दिलाने वाली और मनोकामना पूर्ण  करने वाली मानी जाती है। कहा जाता है कि सफला एकादशी उन लोगों को अवश्य करनी चाहिए, जो हर काम में असफल होते रहते हैं और खूब मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिलती है। सफला एकादशी भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। कहा जाता है कि सफला एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। ऐसे में सफला एकादशी के दिन व्रत रखने और पूजा-पाठ आदि करने का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। चलिए जानते हैं सफला एकादशी की पूजा विधि और महत्व के बारे में...  

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इस साल कब रखा जाएगा सफला एकादशी का व्रत? जानें तिथि, पूजा विधि और महत्व
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सफला एकादशी 2022 तिथि और मुहूर्त
एकादशी तिथि आज यानी 19 दिसंबर 2022 को सुबह 3 बजकर 32 मिनट से हो शुरू होकर 20 दिसंबर 2022 देर रात 2 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि आज प्राप्त हो रही है, इसलिए सफला एकादशी का व्रत आज यानी 19 दिसंबर को रखा रहा है।
 
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सफला एकादशी 2022 पारण
सफला एकादशी व्रत का पारण 20 दिसंबर सुबह 08 बजकर 05 मिनट से लेकर 09 बजकर 13 मिनट के बीच में किया जा सकता है।

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इस साल कब रखा जाएगा सफला एकादशी का व्रत? जानें तिथि, पूजा विधि और महत्व
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सफला एकादशी का महत्व
सफला एकादशी के दिन व्रत कर जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करता है, उसके सभी काम सफल हो जाते हैं।

 
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सफला एकादशी पूजा विधि
  • सफला एकादशी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर भगवान विष्णु को ध्यान करते हुए उन्हें पंचामृत से स्नान करवाएं।
  • इसके बाद गंगा जल से स्नान करवा कर भगवान विष्णु को कुमकुम-अक्षत लगाएं।
  • सफला एकादशी की कथा का श्रवण या वाचन करें और दीपक और कपूर से श्री हरि की आरती उतारें एवं प्रसाद सभी में वितरित करें।
  • भगवान विष्णु के पंचाक्षर मंत्र ‘‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’’ का यथा संभव तुलसी की माला से जाप करें। इसके बाद शाम के समय भगवान विष्णु के मंदिर अथवा उनकी मूर्ति के समक्ष भजन-कीर्तन का कार्यक्रम करें।
  • इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु सहित देवी लक्ष्मी की पूजा करने से इस जीवन में धन और सुख की प्राप्ति तो होती ही है। परलोक में भी इस एकादशी के पुण्य से उत्तम स्थान मिलता है। 
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