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नवरात्रि के नवें दिन यानी आखिरी दिन माता के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाले देवी हैं। नवरात्रि के नवमी तिथि पर सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए इनकी उपासना की जाती हैं। 25 अक्तूबर, रविवार को नवमी तिथि है। इसमें सिद्धिदात्री की उपासना के बाद नवरात्रि का समापन होता है। देवी सिद्धिदात्री सिंह की सवारी करती हैं। यह कमल के फूल पर आसीन रहती हैं। इन्हें शिवजी का आधा शरीर प्राप्त हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। इसके अलावा इनके इस रूप को मां सरस्वती का भी स्वरूप माना जाता है। नवरात्रि का आखिरी दिन होने के कारण नवमी तिथि पर विशेष हवन किया जाता है। यह माता के स्वरूप की पूजा करने का अंतिम दिन होता है। ऐसे में सिद्धिदात्री माता की आरती का विशेष महत्व होता है।
मां सिद्धिदात्री की आरती
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा। महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।।
Durga Navmi 2020: जानिए महानवमी का शुभ मुहूर्त, महत्व और मां सिद्धिदात्री की कथा
सार
- नवरात्रि के नवें दिन यानी आखिरी दिन माता के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाले देवी हैं।
विस्तार
नवरात्रि के नवें दिन यानी आखिरी दिन माता के सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाले देवी हैं। नवरात्रि के नवमी तिथि पर सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए इनकी उपासना की जाती हैं। 25 अक्तूबर, रविवार को नवमी तिथि है। इसमें सिद्धिदात्री की उपासना के बाद नवरात्रि का समापन होता है। देवी सिद्धिदात्री सिंह की सवारी करती हैं। यह कमल के फूल पर आसीन रहती हैं। इन्हें शिवजी का आधा शरीर प्राप्त हुआ था। इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। इसके अलावा इनके इस रूप को मां सरस्वती का भी स्वरूप माना जाता है। नवरात्रि का आखिरी दिन होने के कारण नवमी तिथि पर विशेष हवन किया जाता है। यह माता के स्वरूप की पूजा करने का अंतिम दिन होता है। ऐसे में सिद्धिदात्री माता की आरती का विशेष महत्व होता है।
मां सिद्धिदात्री की आरती
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा। महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।।
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