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Navratri 2020 Durga Navami: हिंदू धर्म में नवरात्रि पर देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों में अष्टमी और नवमी तिथि पर देवी की उपासना का विशेष महत्व होता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर मां दुर्गा की विशेष पूजा के साथ माता के रूप में कुंआरी कन्याओं को पूजा जाता है। फिर इसके बाद माता की विदाई कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। नवरात्रि के आखिरी दिन को महानवमी मनाई जाती है जिसमें देवी के सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करते है। इस बार शारदीय नवरात्रि पर महानवमी दो दिन है जिनमें से कुछ लोग 24 अक्तूबर को तो कुछ 25 अक्तूबर के दिन पूजा करेंगे।
महानवमी शुभ मुहूर्त maha navami puja muhurat
24 अक्तूबर को नवमी तिथि सुबह 6 बजकर 58 से आरंभ होकर और 25 अक्तूबर को सुबह 7 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी। नवमी तिथि की समाप्ति के बाद 25 अक्तूबर को दशमी तिथि आरंभ हो जाएगी।
विजयादशमी शुभ मुहूर्त
विजय मुहूर्त- 13:57 मिनट से 14:41 मिनट तक
अपराह्न मुहूर्त- 13:12:15 से 15:26: 49 तक
नवरात्रि पर महानवमी का महत्व
नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। भक्त इनकी पूजा से यश, बल और धन की प्राप्ति करते हैं। मान-सम्मान और यश के लिए माँ सिद्धिदात्री की उपासना विशेष फलदायी है। नवें दिन माँ सिद्धिदात्री की आराधाना की जाती है इनके आशीर्वाद के बिना व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण नही होती। पौराणिक मान्यता के अनुसार माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी आठों सिद्धियों जिनमें, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व, और नौ निधियों से पूर्ण कर देती हैं। इनकी कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर नारी का हुआ था जिसके कारण वे 'अर्द्धनारीश्वर' कहलाये। चार भुजाओं वाली माँ अपने हाथ में गदा, कमल पुष्प, शंख और चक्र धारण करती हैं इनका वाहन सिंह हैं।
मां सिद्धिदात्री कथा
मां सिद्धिदात्री मां दुर्गा का नौवां स्वरूप है। सिद्धिदात्री का अर्थ है सिद्धि देने वाली मां। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से हमें आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। भगवान शिव के द्वारा महाशक्ति की पूजा करने पर मां शक्ति ने प्रसन्न होकर उन्हें यह आठों सिद्धियां प्रदान की थी। यह मां दुर्गा का अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप है। देवी दुर्गा का यह रूप समस्त देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। असुर महिषासुर के अत्याचार से परेशान होकर सब देवगण भगवान भोलेनाथ एवं विष्णु भगवान के समक्ष सहायता हेतु गए। तब वहां उपस्थित सभी देवगणों से एक-एक तेज उत्पन्न हुआ। उस तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ। जिन्हें सिद्धिदात्री के नाम से जाना गया।
सार
- इस बार शारदीय नवरात्रि पर महानवमी दो दिन है जिनमें से कुछ लोग 24 अक्तूबर को तो कुछ 25 अक्तूबर के दिन पूजा करेंगे।
विस्तार
Navratri 2020 Durga Navami: हिंदू धर्म में नवरात्रि पर देवी दुर्गा के सभी नौ रूपों में अष्टमी और नवमी तिथि पर देवी की उपासना का विशेष महत्व होता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर मां दुर्गा की विशेष पूजा के साथ माता के रूप में कुंआरी कन्याओं को पूजा जाता है। फिर इसके बाद माता की विदाई कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। नवरात्रि के आखिरी दिन को महानवमी मनाई जाती है जिसमें देवी के सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा करते है। इस बार शारदीय नवरात्रि पर महानवमी दो दिन है जिनमें से कुछ लोग 24 अक्तूबर को तो कुछ 25 अक्तूबर के दिन पूजा करेंगे।
महानवमी शुभ मुहूर्त maha navami puja muhurat
24 अक्तूबर को नवमी तिथि सुबह 6 बजकर 58 से आरंभ होकर और 25 अक्तूबर को सुबह 7 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी। नवमी तिथि की समाप्ति के बाद 25 अक्तूबर को दशमी तिथि आरंभ हो जाएगी।
विजयादशमी शुभ मुहूर्त
विजय मुहूर्त- 13:57 मिनट से 14:41 मिनट तक
अपराह्न मुहूर्त- 13:12:15 से 15:26: 49 तक
नवरात्रि पर महानवमी का महत्व
नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। भक्त इनकी पूजा से यश, बल और धन की प्राप्ति करते हैं। मान-सम्मान और यश के लिए माँ सिद्धिदात्री की उपासना विशेष फलदायी है। नवें दिन माँ सिद्धिदात्री की आराधाना की जाती है इनके आशीर्वाद के बिना व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण नही होती। पौराणिक मान्यता के अनुसार माँ सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी आठों सिद्धियों जिनमें, अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व, और नौ निधियों से पूर्ण कर देती हैं। इनकी कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर नारी का हुआ था जिसके कारण वे 'अर्द्धनारीश्वर' कहलाये। चार भुजाओं वाली माँ अपने हाथ में गदा, कमल पुष्प, शंख और चक्र धारण करती हैं इनका वाहन सिंह हैं।
मां सिद्धिदात्री कथा
मां सिद्धिदात्री मां दुर्गा का नौवां स्वरूप है। सिद्धिदात्री का अर्थ है सिद्धि देने वाली मां। मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से हमें आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। भगवान शिव के द्वारा महाशक्ति की पूजा करने पर मां शक्ति ने प्रसन्न होकर उन्हें यह आठों सिद्धियां प्रदान की थी। यह मां दुर्गा का अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप है। देवी दुर्गा का यह रूप समस्त देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। असुर महिषासुर के अत्याचार से परेशान होकर सब देवगण भगवान भोलेनाथ एवं विष्णु भगवान के समक्ष सहायता हेतु गए। तब वहां उपस्थित सभी देवगणों से एक-एक तेज उत्पन्न हुआ। उस तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ। जिन्हें सिद्धिदात्री के नाम से जाना गया।