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शिव जी को भोलेनाथ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वे बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। करुणा उनके हृदय से निकलती है। ऐसे में शुद्ध मन आैर पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा निश्चित रूप से फल देती है। सुबह स्नान के बाद भगवान शिव की पूजा के लिए पूर्व या उत्तर दिशाओं की ओर मुंह करके बैठें। घर के देवालय या किसी शिवालय में जाकर गंगा या पवित्र जल से जलधारा अर्पित करें। दूध, जल, शहद, घी, शक्कर, बेलपत्र, धतूरे से भगवान शिव का अभिषेक करें। भगवान शिव के साथ शिव परिवार का फूल, गुड़, जनेऊ, चंदन, रोली, कपूर से पूजन करें। शिव स्तोत्रों और शिव चालीसा का पाठ करें। व्रत रखें और सच्चे दिल से अपनी मनोकामना के लिए उपासना करें।
शिवरात्रि पर चार प्रहर में चार बार पूजन का विधान आता है, इसलिए चार बार रुद्राभिषेक भी संपन्न करना चाहिए। पहले प्रहर में दूध से शिव के ईशान स्वरूप का, दूसरे प्रहर में दही से अघोर स्वरूप का, तीसरे प्रहर में घी से वामदेव रूप का और चौथे प्रहर में शहद से सद्योजात स्वरूप का अभिषेक कर पूजन करना चाहिए। यदि कन्याएं चार बार पूजन न कर सकें, तो पहले प्रहर में एक बार तो पूजन अवश्य ही करें। महाशिवरात्रि की रात महासिद्धिदायिनी होती है, इसलिए उस समय किए गए दान और शिवलिंग की पूजा व स्थापना का फल निश्चित रूप से मिलता है।
शिव जी को भोलेनाथ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि वे बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। करुणा उनके हृदय से निकलती है। ऐसे में शुद्ध मन आैर पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा निश्चित रूप से फल देती है। सुबह स्नान के बाद भगवान शिव की पूजा के लिए पूर्व या उत्तर दिशाओं की ओर मुंह करके बैठें। घर के देवालय या किसी शिवालय में जाकर गंगा या पवित्र जल से जलधारा अर्पित करें। दूध, जल, शहद, घी, शक्कर, बेलपत्र, धतूरे से भगवान शिव का अभिषेक करें। भगवान शिव के साथ शिव परिवार का फूल, गुड़, जनेऊ, चंदन, रोली, कपूर से पूजन करें। शिव स्तोत्रों और शिव चालीसा का पाठ करें। व्रत रखें और सच्चे दिल से अपनी मनोकामना के लिए उपासना करें।
शिवरात्रि पर चार प्रहर में चार बार पूजन का विधान आता है, इसलिए चार बार रुद्राभिषेक भी संपन्न करना चाहिए। पहले प्रहर में दूध से शिव के ईशान स्वरूप का, दूसरे प्रहर में दही से अघोर स्वरूप का, तीसरे प्रहर में घी से वामदेव रूप का और चौथे प्रहर में शहद से सद्योजात स्वरूप का अभिषेक कर पूजन करना चाहिए। यदि कन्याएं चार बार पूजन न कर सकें, तो पहले प्रहर में एक बार तो पूजन अवश्य ही करें। महाशिवरात्रि की रात महासिद्धिदायिनी होती है, इसलिए उस समय किए गए दान और शिवलिंग की पूजा व स्थापना का फल निश्चित रूप से मिलता है।