रोशन ठाकुर/सचिन चौधरी, अमर उजाला नेटवर्क, कुल्लू/ धर्मशाला
Updated Mon, 13 Jul 2020 01:34 PM IST
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वैश्विक महामारी कोरोना पहाड़ी राज्य हिमाचल के पर्यटन कारोबार पर कहर बनकर टूटी है। तीन महीने में पर्यटन कारोबार को 5000 हजार करोड़ से अधिक की चपत लग चुकी है। 50 हजार से अधिक लोगों को या तो रोजगार से हाथ धोना पड़ा है या उनके रोजगार पर संकट की तलवार लटकी है। सैलानियों से सीधे जुड़े 6000 हजार से अधिक होटल, होम स्टे यूनिट और गेस्ट हाउस बंद हैं। कोरोना की मार के ये आंकड़े शिमला, कुल्लू-मनाली, कांगड़ा समेत धर्मशाला, मैकलोडगंज और चंबा जिले के हैं। पूरे प्रदेश की बात करें तो नुकसान के आंकड़े इससे कहीं अधिक हैं।
अनलॉक-02 में केंद्र की गाइडलाइन पर जयराम सरकार ने हिमाचल के द्वार भले ही सैलानियों के लिए खोल दिए हैं, लेकिन स्थिति में सुधार होता नहीं दिख रहा है। कोरोना संक्रमण के खतरे से बड़ी संख्या में होटल कारोबारी और व्यापारी सैलानियों का स्वागत करने से गुरेज कर रहे हैं। कड़ी शर्तों के चलते प्रदेश में प्रवेश करने वाले सैलानियों को लौटाया जा रहा है। बरसात का सीजन भी शुरू हो चुका है। साफ है कि इस विकट स्थिति से निपटने और पर्यटन कारोबार को पटरी पर लाने में हिमाचल को अभी लंबा समय लगेगा।
कोरोना ने 30 साल में पहली बार कुल्लू-मनाली के पर्यटन को दो हजार करोड़ का झटका दिया है। साढ़े तीन माह से बंद पर्यटन गतिविधियों के कारण करीब 20 लाख सैलानी कुल्लू-मनाली और रोहतांग का दीदार नहीं कर सके। 3000 होटल, रेस्तरां, कॉटेज, होमस्टे तथा रेस्टहाउसों में ताला लटका है।
पर्यटन सीजन में काम करने वाले 20 हजार लोगों का रोजगार छिन गया है। अप्रैल से जुलाई तक सैलानियों से गुलजार रहने वाले कुल्लू जिले के करीब एक दर्जन से अधिक पर्यटन स्थल सूने पड़े हैं। साहसिक गतिविधियां ठप हैं। पिछले साल इसी अवधि में 15 लाख से अधिक सैलानी कुल्लू-मनाली आए थे। जिले के कारोबारियों को अब दशहरा में ही पर्यटन कारोबार चलने की उम्मीद है। शिमला में कोरोना ने पर्यटन कारोबारियों को 1500 से अधिक की चोट दी है।
कांगड़ा में भी मार्च से जुलाई तक होटल कारोबार को करीब 1500 करोड़ की चपत लगी है। होटल एसोसिएशन धर्मशाला के अध्यक्ष अश्वनी बांबा के अनुसार कोरोना के कारण प्रदेश के सबसे बड़े कारोबार को हजारों करोड़ों का नुकसान हुआ है। वर्ष 2019 की बात करें तो मार्च से जुलाई तक कांगड़ा में बाहरी राज्यों व विदेश से आने वाले 10 लाख 92 हजार 120 पर्यटकों ने प्रवेश किया था।
इनमें 10 लाख 33 हजार 849 देश के अन्य राज्यों से पर्यटक घूमने आए थे। मार्च से जुलाई तक 58 हजार 271 विदेशी पर्यटक आए थे। चंबा के खज्जियार व डलहौजी में इस बार दस से 15 करोड़ का नुकसान पर्यटन व्यवसाय को हुआ है। डलहौजी में प्रतिदिन चार हजार तक पर्यटक पहुंचते थे। यही पर्यटक खज्जियार घूमने के बाद लौटते थे। सप्ताह तक पर्यटकों का ट्रिप रहता था।
सिरमौर जिले में भी पर्यटन कारोबार को गहरा झटका लगा है। उत्तराखंड और हरियाणा सीमा से सटे होने के कारण प्रतिवर्ष लाखों सैलानी जिले के रेणुका, हरिपुरधार, जमटा, चूड़धार, हरिपुरधार और पांवटा साहिब के रमणीक स्थलों की ओर रुख करते हैं। राज्य पर्यटन निगम का सर्वाधिक व्यवसाय भी इन्हीं चार महीनों पर निर्भर करता है, लेकिन इस वर्ष इन चार महीनों में जिले में पर्यटकों के न आने से पर्यटन कारोबार में 75 से 80 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है।
वैश्विक महामारी कोरोना पहाड़ी राज्य हिमाचल के पर्यटन कारोबार पर कहर बनकर टूटी है। तीन महीने में पर्यटन कारोबार को 5000 हजार करोड़ से अधिक की चपत लग चुकी है। 50 हजार से अधिक लोगों को या तो रोजगार से हाथ धोना पड़ा है या उनके रोजगार पर संकट की तलवार लटकी है। सैलानियों से सीधे जुड़े 6000 हजार से अधिक होटल, होम स्टे यूनिट और गेस्ट हाउस बंद हैं। कोरोना की मार के ये आंकड़े शिमला, कुल्लू-मनाली, कांगड़ा समेत धर्मशाला, मैकलोडगंज और चंबा जिले के हैं। पूरे प्रदेश की बात करें तो नुकसान के आंकड़े इससे कहीं अधिक हैं।
अनलॉक-02 में केंद्र की गाइडलाइन पर जयराम सरकार ने हिमाचल के द्वार भले ही सैलानियों के लिए खोल दिए हैं, लेकिन स्थिति में सुधार होता नहीं दिख रहा है। कोरोना संक्रमण के खतरे से बड़ी संख्या में होटल कारोबारी और व्यापारी सैलानियों का स्वागत करने से गुरेज कर रहे हैं। कड़ी शर्तों के चलते प्रदेश में प्रवेश करने वाले सैलानियों को लौटाया जा रहा है। बरसात का सीजन भी शुरू हो चुका है। साफ है कि इस विकट स्थिति से निपटने और पर्यटन कारोबार को पटरी पर लाने में हिमाचल को अभी लंबा समय लगेगा।
कोरोना ने 30 साल में पहली बार कुल्लू-मनाली के पर्यटन को दो हजार करोड़ का झटका दिया है। साढ़े तीन माह से बंद पर्यटन गतिविधियों के कारण करीब 20 लाख सैलानी कुल्लू-मनाली और रोहतांग का दीदार नहीं कर सके। 3000 होटल, रेस्तरां, कॉटेज, होमस्टे तथा रेस्टहाउसों में ताला लटका है।
पर्यटन सीजन में काम करने वाले 20 हजार लोगों का रोजगार छिन गया है। अप्रैल से जुलाई तक सैलानियों से गुलजार रहने वाले कुल्लू जिले के करीब एक दर्जन से अधिक पर्यटन स्थल सूने पड़े हैं। साहसिक गतिविधियां ठप हैं। पिछले साल इसी अवधि में 15 लाख से अधिक सैलानी कुल्लू-मनाली आए थे। जिले के कारोबारियों को अब दशहरा में ही पर्यटन कारोबार चलने की उम्मीद है। शिमला में कोरोना ने पर्यटन कारोबारियों को 1500 से अधिक की चोट दी है।
कांगड़ा में भी मार्च से जुलाई तक होटल कारोबार को करीब 1500 करोड़ की चपत लगी है। होटल एसोसिएशन धर्मशाला के अध्यक्ष अश्वनी बांबा के अनुसार कोरोना के कारण प्रदेश के सबसे बड़े कारोबार को हजारों करोड़ों का नुकसान हुआ है। वर्ष 2019 की बात करें तो मार्च से जुलाई तक कांगड़ा में बाहरी राज्यों व विदेश से आने वाले 10 लाख 92 हजार 120 पर्यटकों ने प्रवेश किया था।
इनमें 10 लाख 33 हजार 849 देश के अन्य राज्यों से पर्यटक घूमने आए थे। मार्च से जुलाई तक 58 हजार 271 विदेशी पर्यटक आए थे। चंबा के खज्जियार व डलहौजी में इस बार दस से 15 करोड़ का नुकसान पर्यटन व्यवसाय को हुआ है। डलहौजी में प्रतिदिन चार हजार तक पर्यटक पहुंचते थे। यही पर्यटक खज्जियार घूमने के बाद लौटते थे। सप्ताह तक पर्यटकों का ट्रिप रहता था।
सिरमौर जिले में भी पर्यटन कारोबार को गहरा झटका लगा है। उत्तराखंड और हरियाणा सीमा से सटे होने के कारण प्रतिवर्ष लाखों सैलानी जिले के रेणुका, हरिपुरधार, जमटा, चूड़धार, हरिपुरधार और पांवटा साहिब के रमणीक स्थलों की ओर रुख करते हैं। राज्य पर्यटन निगम का सर्वाधिक व्यवसाय भी इन्हीं चार महीनों पर निर्भर करता है, लेकिन इस वर्ष इन चार महीनों में जिले में पर्यटकों के न आने से पर्यटन कारोबार में 75 से 80 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है।