अर्जुन अवार्ड व पद्मश्री पुरस्कार से अलंकृत 1964 टोक्यो ओलंपिक हॉकी स्वर्ण पदक विजेता टीम के कप्तान रहे चरणजीत सिंह का 97 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने ऊना के मलाहत स्थित पैतृक घर में गुरुवार सुबह करीब पांच बजे आखिरी सांस ली। कार्डिक अरेस्ट होने से उनका निधन हुआ है। चरणजीत सिंह 84 साल की आयु तक बीमार नहीं हुए, लेकिन उसके बाद उन्हें अधरंग हो गया। सायं 5:30 बजे चरणजीत सिंह के पार्थिव शरीर को उनके पुत्र वीपी सिंह ने मुखाग्नि दी। पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब थी। बुधवार रात को उन्हें क्षेत्रीय अस्पताल ऊना ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें चेकअप के बाद घर भेज दिया था। वह मूलतया ऊना जिले के मैड़ी क्षेत्र के रहने वाले थे।
चरणजीत सिंह हॉकी में देश के बेहतरीन खिलाड़ियों में शुमार रहे। उनका जन्म नैहरियां में हुआ था। गांव के ही स्कूल में प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के बाद जालंधर के लायलपुर एग्रीकल्चर कॉलेज से बीएससी (कृषि) की। 1949 में पहली बार यूनिवर्सिटी की तरफ से खेले। 1958 से 1965 तक लगातार देश का प्रतिनिधित्व किया। इसी दौरान 1960 व 1964 के दो ओलंपिक तथा एक एशियन स्पर्धा में भाग लिया। 1964 में स्वर्ण पदक विजेता हॉकी ओलंपिक टीम के कप्तान रहे। चरणजीत सिंह, बलबीर सीनियर, पिरथीपाल जैसे धुंरधरों से सजी टीम को उस समय स्टार स्टडड टीम का नाम दिया गया था। सभी दर्शक चाहते थे कि हर प्रतियोगिता में यही टीम खेलने उतरे।
100वां जन्मदिन मनाने की थी इच्छा
चरणजीत सिंह के बेटे वीपी सिंह के अनुसार 22 अक्तूबर, 2021 को पिता का 97 जन्मदिन मनाया गया। अपने जन्मदिन पर उन्होंने 100वां जन्मदिन मनाने की इच्छा जताई थी, लेकिन उनके निधन के साथ उनकी यह हसरत अधूरी रह गई।
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अर्जुन अवार्ड व पद्मश्री पुरस्कार से अलंकृत 1964 टोक्यो ओलंपिक हॉकी स्वर्ण पदक विजेता टीम के कप्तान रहे चरणजीत सिंह का 97 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने ऊना के मलाहत स्थित पैतृक घर में गुरुवार सुबह करीब पांच बजे आखिरी सांस ली। कार्डिक अरेस्ट होने से उनका निधन हुआ है। चरणजीत सिंह 84 साल की आयु तक बीमार नहीं हुए, लेकिन उसके बाद उन्हें अधरंग हो गया। सायं 5:30 बजे चरणजीत सिंह के पार्थिव शरीर को उनके पुत्र वीपी सिंह ने मुखाग्नि दी। पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब थी। बुधवार रात को उन्हें क्षेत्रीय अस्पताल ऊना ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें चेकअप के बाद घर भेज दिया था। वह मूलतया ऊना जिले के मैड़ी क्षेत्र के रहने वाले थे।
चरणजीत सिंह हॉकी में देश के बेहतरीन खिलाड़ियों में शुमार रहे। उनका जन्म नैहरियां में हुआ था। गांव के ही स्कूल में प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के बाद जालंधर के लायलपुर एग्रीकल्चर कॉलेज से बीएससी (कृषि) की। 1949 में पहली बार यूनिवर्सिटी की तरफ से खेले। 1958 से 1965 तक लगातार देश का प्रतिनिधित्व किया। इसी दौरान 1960 व 1964 के दो ओलंपिक तथा एक एशियन स्पर्धा में भाग लिया। 1964 में स्वर्ण पदक विजेता हॉकी ओलंपिक टीम के कप्तान रहे। चरणजीत सिंह, बलबीर सीनियर, पिरथीपाल जैसे धुंरधरों से सजी टीम को उस समय स्टार स्टडड टीम का नाम दिया गया था। सभी दर्शक चाहते थे कि हर प्रतियोगिता में यही टीम खेलने उतरे।
100वां जन्मदिन मनाने की थी इच्छा
चरणजीत सिंह के बेटे वीपी सिंह के अनुसार 22 अक्तूबर, 2021 को पिता का 97 जन्मदिन मनाया गया। अपने जन्मदिन पर उन्होंने 100वां जन्मदिन मनाने की इच्छा जताई थी, लेकिन उनके निधन के साथ उनकी यह हसरत अधूरी रह गई।